मुनिया की दुनिया
किस्सा 35
ड्रेसिंग टेबल पर सारा सामान बिखरा पड़ा था और उसे समेटने का मानस था ही कि मुनिया जी का प्रवेश हुआ। मेकअप का इतना सारा सामान उसकी पहुँच में था…उसकी तो ‘बल्ले-बल्ले’ हो गई। बच्चों की कोमल त्वचा के लिए सारे प्रसाधनों की ज़रूरत भी नहीं होती और उनके लिए वे हानिकारक भी होते हैं, लेकिन बच्चों के लिए वर्जित उस मेकअप की दुनिया में उस दिन मुनिया को अचानक प्रवेश मिल गया था।
उसका इस समय आना मेरे लिए जितना अनपेक्षित था, उतना ही उसके लिए अपने सामने इस तरह किसी दुनिया का खुल जाना अनपेक्षित था…हम दोनों के चेहरे एक-समान भाव थे..दोनों के चेहरे पर विस्मय तो था लेकिन अचंभित होने का भाव भी..
तो जैसा कि होना ही था, मुनिया ने प्रसाधन की हर सामग्री को उठाना और प्रश्न करना शुरू कर दिया..कई दिनों से मैंने अपने चेहरे पर रंग-रोगन, लाली-पाउडर नहीं किया था, मैं भी उत्साह में आ गई और हर चीज़ को अपने चेहरे पर आज़माने लगी..उसे बताने लगी। (हाँ, ऐसे ही सीखते थे हम, देख-देखकर..तब बड़े होने पर अलग से किसी ‘ग्रूमिंग क्लास’ में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी.. ‘देखना’ मतलब ही ‘सीखना’ होता था।)
आज का मेकअप एकदम अलग होना था क्योंकि मुनिया भी अपनी कल्पनाशीलता को मेरे चेहरे के कैनवास पर दौड़ा रही थी…
मुनिया- यह क्या है?
मैं- आई लाइनर
मुनिया- इसे कहाँ लगाते हैं?
मैं- पलकों पर, देखो ऐसे (और मैंने अपनी आँखों पर लगा कर दिखाया)
मुनिया- ये काजल है, क्या?
मैं- नहीं, यह सिंदूर स्टिक है..देखो ऐसे लगाते हैं (और मैंने अपने माथे पर उसे सजा लिया)
इस मेकअप क्लास में कोई तारतम्य नहीं था, कि इसके बाद यह होगा…मुनिया के हाथ जो लगता, वह उसे उठाती, मुझसे पूछती और मैं अपने चेहरे पर पोत लेती।
मुनिया- यह क्या है?
मैं- तुम्हें यह नहीं पता?, यह कॉम्पैक्ट पाउडर है
मुनिया ने उसे मेरे चेहरे पर थापना शुरू कर दिया…और..और..जितनी मर्जी..उतना…उतना सारा..कितना सारा…
मुनिया- यह क्या है?
मैं- यह पूरी मेकअप किट है, इसमें अलग-अलग आई शैडो हैं, रूज़ हैं, लिपस्टिक के कलर है..
मुनिया- यह आरती की थाली है!
मैं- ??
मुनिया- देखो न ये हल्दी, ये कुमकुम..
मैं- कुछ भी!
मुनिया- नहीं क्या?
मैं- नहीं
मुनिया- तो फिर यह मसाले दानी है! हम सब्जी बनाएँगे
मैं- अच्छा ठीक है
तो खेल मुड़ गया, अब मेकअप का सामान रसोई की सामग्री हो गया, मेकअप किट-मसालेदानी, लिपलाइनर-बेलन, कॉम्पैक्ट पावडर-चकला, काजल-लाइटर, वैनेटी बॉक्स- मॉड्यूलर किचन….
मैं इस बीच अपना चेहरा धोने चली गई..
तभी मुनिया ने पूछा- यह क्या है?
मैं चौंक पड़ी, उसके हाथ में इनहेलर था और वह उसे लिपस्टिक समझ अपने होठों पर लगाने की तैयारी में थी
मैंने उसे तुरंत रोका..हुश्श किया…
मुनिया को प्यार से चूमा..मुनिया तुम बहुत अच्छी हो, जो हर चीज़ को पूछकर उठाती हो…इससे किसी दुर्घटना का खतरा कम हो जाता है…
मुनिया तुम्हारी दुनिया में कितनी कल्पनाएँ हैं और कितना रोमांच भी…और तुम्हारी दुनिया में प्रवेश की बस एक ही शर्त है..तुम्हारी हर बात सुनना..
मुनिया का प्रवेश…मुनिया की दुनिया में हमारा प्रवेश…मुनिया का हर चीज़ को देखकर सीखना और हमारा उसकी हर बात सुनकर..उसकी दुनिया के बारे में समझना..यह मुनिया के साथ आदान-प्रदान का सिलसिला है…है न मुनिया…
#MKD। #Kissa 5। मुनिया के लिए तो हर दिन है केवल पिता का
https://www.youtube.com/watch?v=8XLI9xvgXFI
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(क्रमशः)
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