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मुनिया की दुनिया
किस्सा 36
छुट्टियों की कोई दुपहरी थी..सारी महिलाएँ बीच के गलियारे में हँसी-ठिठौली कर रही थी कि तभी कहीं से मुनिया रोते हुए आई।
मुनिया कुछ कह रही थी पर रो रही थी या कि मुनिया रो रही थी पर कुछ कह रही थी..उसका कहा किसी को ठीक से समझ नहीं आ रहा था। सबसे पहले मुनिया की माँ ने उससे कहा ‘बिना रोए साफ़-साफ़ बताओ क्या हुआ!’
फ़िर मैंने भी उससे कहा कि ‘रोते नहीं, क्या हुआ, बोलो’
…और इस तरह बाक़ी जितनी भी आन्टियाँ खड़ी थीं उन्होंने मुनिया को यही नेक सलाह दी।
मुनिया तब भी सुबकते हुए बताने लगी कि ‘बंटी ने उसे चिढ़ाया और रुलाया’।
उसकी माँ ने कहा ‘चलो बताओ कहाँ है वह’
मैंने कहा चलो ‘उसकी माँ से शिकायत करते हैं’।
महिलाओं का काफ़िला बंटी की ओर बढ़ चला तो बंटी भागा…भागा और अपनी माँ के आँचल में जा छिपा। पर बंटी की माँ ने भी उसे अपने आँचल में छिपने न दिया। उसे सबके सामने लाया, डाँटा और सॉरी बोलने को कहा।
मामला शांत हो गया..हम फ़िर अपनी बातें करने लगे।
तभी मेरी बेटी आई और उसने मुनिया से कहा- ‘अगली बार कोई ऐसा करे तो रोना नहीं, उसी समय उससे निपटना..उस पर ज़ोर से चिल्लाना, हो-हल्ला मचाना और उसे एक घूँसा जमा देना’।
मैंने कनखियों से बेटी की ओर देखा…सोचा उसे डाँटू कि मारा-मारी नहीं करना…फिर सोचने लगी शायद आज लड़कियों को अब यही सीख देनी होगी जो मेरी बेटी मतलब मुनिया की दीदी उसे दे रही थी कि अन्याय के ख़िलाफ़ तुरंत आवाज़ उठाना न कि रोने लगना।
..और अचानक मुझे लगा आज कितनी बच्चियों की माँ इस तरह अपनी बेटी की बात सुनती हैं, (भले ही बेटी किसी भी उम्र की हो)…कितनी माँ अपनी बच्चियों के साथ खड़ी होती हैं और कितनी माँ बंटी की माँ की तरह हैं जो बंटी को पल्लू में नहीं छिपाती बल्कि सबके सामने खड़ा करती है, उसके किए की डाँट पड़वाती है और माफ़ी माँगने को भी कहती है।
MKD।Kissa 6।बाल लीला।Swaraangi Sane।Bhuvan Sarwate।Amit Joshi।
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