मुनिया की दुनिया
किस्सा 27
मैं बाहर जा रही थी। मेरे पीछे पीछे मुनिया भी आई। लिफ़्ट का दरवाज़ा खोलते हुए मैंने उसे बाय कहा।
मुनिया- बाय मत करो, मैं भी चल रही हूँ।
मैं- तुम कैसे चलोगी?
मेरे हाथ में सामान का बड़ा-सा थैला था, मुनिया ने उस ओर इशारा कर कहा- इसमें बैठ कर
मैं- अरे पर मैं फ़ल-सब्जी लाने जा रही हूँ..तुम वहाँ क्या करोगी?
मुनिया- मैं स्ट्रॉबेरी बन जाऊँगी, किसी को पता नहीं चलेगा और सारे फल मेरे दोस्त बन जाएँगे
मैं अपनी हँसी रोक नहीं पाई, मैंने कहा –ठीक है, मैं तुम्हारे लिए स्ट्रॉबेरी ले आऊँगी
मुनिया- स्ट्रॉबेरी मत लाना
मैं- क्यों?
मुनिया- अरे, स्ट्रॉबेरी तो मैं खुद हूँ न, आप बनाना (केला) ले आना..बनाना मेरा बेस्ट फ्रैंड है।
मैंने उसे अच्छा कहा…पर बहुत देर तक मेरे चेहरे पर हँसी देखी जा सकती थी।
(क्रमशः)