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मुनिया की दुनिया
किस्सा 22
मुनिया आज सुबह-सवेरे आई थी, आँखें मलते-मलते..नींद से उठी-उठी ही…और उसने मुझे ‘गुडमॉर्निंग’ किया, उसके आने से मेरी ‘मॉर्निंग’तो वैसे भी‘गुड’ हो गई थी…
भगवान् के आगे धूप-दीप-अगरबत्ती जल रही थी, वह मंदिर के सामने जाकर बैठ गई
मैं- जय-जय बाप्पा करा (करो)
मुनिया- हैलो बाप्पा
मैं- भगवान् को हैलो नहीं कहते, जय करो
मुनिया- गुड मॉर्निंग बाप्पा…बोलूँ
मैंने मुस्कुराते हुए हामी में सिर हिला दिया…मुनिया ने बाप्पा को गुड मॉर्निंग कहा।
अब वह सारे भगवान् देख रही थी..
मुनिया- ये काउ (गाय) यहाँ क्यों रखी है?
मैं- यह काउ नहीं नंदी है!
मुनिया- कौन नंदी?
मैं- नंदी बैल!
मुनिया-??!!??
मैं- ऑक्स!
मुनिया हँस दी…
आह!
मुनिया को कैसे समझाऊँ कि बाप्पा को जय नहीं किया तब भी चलेगा पर बैल कोई अजनबी प्राणी लगे और ऑक्स समझ में आ जाए तो गड़बड़ है।
आह!!
पर मुनिया कैसे समझेगी कि अभी तो उसके गुडमॉर्निंग बाप्पा कहने पर मैं मुस्कुराई थी और अब आपत्ति क्यों कर रही हूँ?
आह!!!
हमारी उलझी हुई पीढ़ी जो बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा रही है और उनके अपनी भाषा-संस्कृति से छिटकने पर मन मसोस रही है, इस उलझन से कैसे निकल पाएगी?
(क्रमशः)
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Muniya And Work From Home। मुनिया और वर्क फ्रॉम होम