मुनिया की दुनिया

मुनिया की दुनिया

किस्सा 21

कुछ बड़ी लड़कियों मतलब उस तथाकथित टीन एज की उम्र से छोटी ही, लड़कियों ने ‘गर्ल्स नाइट आउट’ की योजना बनाई और छुटकियाँ भी शामिल हो गईं। बिल्कुल वैसा ‘नाइट आउट’ नहीं था..केवल घरों से बाहर मिलने वाले थे और वैफर्स-केक-फ्रूटी जैसी कोई पार्टी करने वाले थे…रात 10 बजे तक…लेकिन वे बहुत उत्साहित थीं, चार दिनों से उनकी बैठकें हो रही थीं, उनके किसी ‘सीक्रेट बेस’ में।

…बातें करते-करते वे ‘सीक्रेट’ से ‘ओपन एरिया’ में भी आ जातीं और उनकी योजनाएँ सबके सामने होतीं…

मुनिया तो होनी ही थी…थी..

मुनिया- ऐसा करते हैं, हमारे घर पर सिंड्रेला की मूवी देखेंगे

बड़की-रे नाइट आउट करना है न, आउट…आउट समझी न

मुनिया- हम्म..तो सिंड्रेला जैसा गाउन पहनेंगे सब लोग

…तो सब इस पर राज़ी हो गए। तय दिन (मतलब रात तय हुई) वे मिले। सारी छुटकियाँ-बड़कियाँ, परियाँ लग रही थीं… ‘पैरेंट्स नॉट अलाउड’ थे..वे सब खुद करने वाली थीं, दरियाँ बिछाई जा रही थीं, पेपर प्लेट लग रही थी, सबकी पानी की बोतलें थीं, मोबाइल पर गाने थे…केवल हंगामा

तो जैसे कि कहा ‘पैरेंट्स नॉट अलाउड’ थे न…पर मुनिया ने उसमें जोड़ा ‘बॉयज़ नॉट अलाउड’..वैसे भी उन लड़कियों की योजना थी और उन्होंने लड़कों को शामिल नहीं किया था, लेकिन घोषणा कर उस पर मानो मुनिया ने मुहर लगा दी।

मुनिया इतने से कहाँ रुकती…वह अपनी उम्र के सभी छुटंकों के घर पर गई…उनकी मम्मियों मतलब आन्टियों को अपना प्यारा-सा पिंक गाउन दिखाया…ठुमकी, मटकी…और ‘अच्छी दिख रही हो’, ‘क्यूट’, ‘प्यारी’ की प्रशंसा बटोरने के बाद लड़कों वाले हर घर में जाकर कह भी आई.. ‘बॉयज़ नॉट अलाउड’

मुझे उसका यह आत्मविश्वास, यह दीदीगिरी बहुत प्यारी लगी…वो विज्ञापन था न एक दुपहिया का एकदम याद हो आया...

Boys move out, Girls are in नहीं नहीं.. Why Should Boys Have All the Fun अब

Girls move out, Boys are in जय हो

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Muniya And Work From Home। मुनिया और वर्क फ्रॉम होम

https://www.youtube.com/watch?v=yzRaXUZu9-4