मुनिया की दुनिया
किस्सा 20
‘मम्माss…मम्माsss…’
मुनिया आवाज़ लगा रही थी, उसकी माँ ने पूछा ‘क्या हुआ..?’
मुनिया ने संशोधन किया- ‘रिंकी दीदी मम्माs…’
(अच्छा तो मुनिया खेल रही थी और उससे दो साल बड़ी रिंकी दीदी उसकी मम्मा बनी थी)
रिंकी दीदी- ‘अच्छा अब मैं ऑफ़िस जा रही हूँ, ठीक’ (खेल-खेल में)
मुनिया- ‘मम्माsss…’
रिंकी दीदी- ‘क्या!’
मुनिया- ‘अरे, आपको नहीं, अपनी असली मम्मा को बुला रही हूँ। जब आप ऑफ़िस जाओगी, मैं अपनी मम्मा के पास रहूँगी और जब मम्मा ऑफ़िस जाएँगी तो आप मेरी मम्मा बन जाना’।
मानना पड़ेगा चतरी है मुनिया..!
कुछ देर बाद मुनिया ने अपना टैडी बियर उठा लिया।
मुनिया- ‘यह मेरा बेबी है’।
मैं- ‘अच्छा तो अब तुम मम्मा हो गई, तो रिंकी दीदी नानी बन गई न’।
मेरे इतना कहते ही रिंकी दीदी और मुनिया दोनों ही ठहाका लगा हँस पड़ीं।
मुनिया ने मुझे समझाया- ‘अरे, रिंकी दीदी मेरी मम्मा है और मैं टैडी की मम्मा’।
मैं- ‘हाँ तो तुम्हारे बेबी की मम्मा की मम्मा तुम्हारे टैडी की नानी हुई न’
मुनिया- ‘ऐसा थोड़े न होता है’
मैं- ‘ऐसे ही तो होता है’
मुनिया- ‘अरे क्या रिंकी दीदी बूढ़ी हैं, जो नानी बनेंगी’
(अब मैं मन में, ‘अरे पर क्या रिंकी दीदी इतनी बड़ी हैं, कि मम्मी बनेंगी?’)
तो मैं समझी मतलब यह कि हम सबके बचपन से मानस पटल पर होता है कि हम बड़े बनना चाहते हैं, पर बूढ़े नहीं।
इतने में मुनिया को खरोंच आ गई और वह दौड़ी
‘मम्माsss…’
इस बार उसने ‘रिंकी दीदी मम्माsss…’ नहीं कहा, चोट लगने पर अपनी माँ के पास जाना चाहिए, किसी और के पास नहीं..हाहाहा…ज्ञानी है मुनिया!
(क्रमशः)
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कैसे मुनिया ने आते ही सवालों की झड़ी लगा दी