ऑल-यू-कैन-ईट

ऑल-यू-कैन-ईट

हम खुद को ग्लोबल सिटिजन मानने लगे हैं, मतलब पूरी दुनिया एक गाँव है और यहाँ रहने वाला बाशिंदा, पूरी दुनिया का बाशिंदा। तब इंडिया सेंट्रिक रहकर कैसे चलेगा? मतलब आपको इस दुनिया के खान-पान के तौर-तरीकों के बारे में भी पता होना चाहिए। मसलन हमारे यहाँ मान्यता है कि खाना खाते वक्त मुँह से आवाज़ नहीं करनी चाहिए। चाय भी सुड़ुक-सुड़ुककर पीने के बजाय आराम-आराम से पीनी चाहिए।

ब्रिटेन और अमेरिका में भी यही नियम है और शायद औपनिवेशवाद के चलते यह नियम हमारे यहाँ अधिक लागू हुआ हो, बहरहाल जो भी हो लेकिन जापान में सुड़ुप-सुड़ुप कर सूप पीना और चबड़-चबड़ की आवाज़ के साथ नूडल्स खाना बिल्कुल भी बुरा नहीं माना जाता उन्हें तो लगता है इससे खाने का स्वाद और बढ़ जाता है। इसी तरह जहाँ भारत और जापान में थाली में झूठा छोड़ना अच्छा नहीं माना जाता लेकिन चीन में यदि आपने प्लेट सफाचट कर दी तो समझा जाएगा कि आप जन्म-जन्मांतर के भूखे हैं।

जैसा देश, वैसा भेष की तरह ही

इस तरह देखा जाए तो किसी भी बात को सही या ग़लत नहीं ठहरा सकते। यह जैसा देश, वैसा भेष की ही रेखा पर लिखी इबारत की तरह है। दक्षिण कोरिया में जब तक परिवार का बुजुर्ग खाना शुरू नहीं करता तब तक टेबल पर बैठा हुआ कोई भी सदस्‍य एक निवाला तक मुँह में नहीं डाल सकता

ब्रिटेन और अमेरिका में चाय पीने के साथ कई तरह की सांस्‍कृतिक पाबंदियां हैं। चाय में चीनी मिलाते वक्‍त चम्‍मच कप के कोनों से नहीं टकराएँ, चाय पीने के बाद कप में चम्‍मच नहीं छोड़ें, सॉसर यानी कि प्‍लेट में चम्‍मच रखने से पहले यह सुनिश्‍चित कर लें कि चम्‍मच का मुँह कप के हैंडल की तरफ ही हो।

जिन्हें हम सॉफिस्टिकेटेड मैनर्स कहते हैं वे चीन में लागू नहीं होते, चीन में खाना खाने के बाद डकार लेना यह बताता है कि आपको खाना बहुत पसंद आया। वहाँ खाने की टेबल पर चॉपस्टिक उठाकर बात करना अच्छा नहीं माना जाता। इतना ही नहीं चॉपस्टिक से किसी की ओर इशारा करना अभद्रता समझी जाती है

हिडन हैंडल विधि

यूरोपियन स्टाइल में काँटा दाएँ हाथ से और छुरी बाएँ हाथ से पकड़ी जाती है। काँटा इस तरह पकड़ना होता है कि तर्जनी सीधी हो और बाकी अंगुलियाँ काँटे के हत्थे पर हों, इसे अक्सर हिडन हैंडल विधि कहते हैं क्योंकि पूरा हैंडल आपके हाथ से छिप जाता है।

इस कॉन्टिनेंटल तरीके से हटकर अमेरिकन स्टाइल में काँटे को बहुत कुछ कलम पकड़ने की तरह पकड़ा जाता है। उसका हैंडल, अँगूठे और तर्जनी के बीच हाथ के सहारे होता है और तर्जनी सबसे ऊपर होती है।

वहीं थाईलैंड में काँटे यानी कि फॉर्क से खाना उठाकर सीधे मुँह में डालना अच्‍छा नहीं माना जाता है। यहाँ फॉर्क का इस्‍तेमाल चम्‍मच में खाना डालने के लिए किया जाता है। यानी कि जब आप खाना खा रहे हों तो फॉर्क की मदद से चम्‍मच में खाना लीजिए और फिर चम्‍मच में खाना रखकर मुँह में डालिए।

नाज़ो-नखरे

दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय मेक्सिकन व्यंजन हैं जो बहुत मसालेदार होते हैं लेकिन नाज़ो-नखरे फ्रांस के हैं। फ्रांस में अनौपचारिक दोपहर का भोजन, मूल रूप से नाश्ते और रात्रिभोज के बीच का हल्का भोजन होता है। लंच में मेहमान खड़े होकर खाना खाते है; और लंच उन छोटी मेजों पर परोसा जाता है जो मेहमान के आगे हैं। यहाँ लंच के समय चाकू वर्जित होता है इसलिए सभी पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें काँटे या चम्मच के साथ खाया जा सके।

फ्रांस मेंलंच में पेय पदार्थ अनिवार्य है- पंच, कॉफी, चॉकलेट, गर्म शोरबे से पहले विभिन्न प्रकार के गर्म स्नैक्स, ठंडे स्नैक्स, भारी ड्रेसिंग के साथ सलाद, झींगा मछली, आलू, चिकेन, चिंराट; गर्म रोल, वेफर-कट सैंडविच (सलाद, टमाटर, भुना हुआ हैम, इत्यादि); छोटा केक, जमी हुई क्रीम और बर्फ। तो इटली में खाने के बाद ब्‍लैक कॉफी पीना पसंद करते हैं

भोजन कक्ष

भोजन करने के तरीकों के अलावा उसे पेश करने के तरीके भी कई हैं। जैसे कैफेटेरिया में ग्राहक चलते हुए उस प्लेट का चयन करते है जिस प्लेट में वो खाद्य पदार्थ है जिसे वे खाना चाहते हैं।

तो चाइनीज रेस्टोरेंट में डिम सम हॉउस होता है जहाँ ग्राहक पहिएदार ट्राली के माध्यम से भोजन का चयन करते है जो पूरे रेस्टोरेंट में घूमती है। एक डेलिकटेसन (ऐसा दुकान जहां परोसने के लिये तैयार खाना मिलता हो) है तो स्वीडन में आहार-कक्ष का एक अन्य परंपरागत रूप स्मोर्गास्बोर्ड है जिसका वास्तविक मतलब सैंडविच की मेज है

डायनिंग टैबल मैनर्स

  • स्वीट डिश के लिए चम्मच और काँटा एक-दूसरे के समांतर प्लेट के ऊपरी हिस्से में रखते हैं।
  • साइड प्लेट जिसे ब्रेड या बटर प्लेट कहते हैं दाईं तरफ होती है।
  • पानी, चाय-कॉफी, वाइन दाईं तरफ रखते हैं, लेकिन उठाते बायें हाथ से ही है।
  • डायनिंग टैबल मैनर्स के अनुसार आप मेजबान द्वारा की गई सेटिंग्स को वैसे ही रखते हैं, पानी का गिलास उठाया तो उसे वापस वहीं रखे।

और एक आँकड़ा

अमेरिका में हर साल 3 लाख करोड़ डॉलर सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होते हैं। दुनिया में महज चार ही देश ऐसे हैं, जिनका सकल घरेलु उत्पाद यानी जीडीपी मुश्किल से इस राशि से ज्यादा होगा। सही खान-पान न होना इसकी मुख्य वजह है कि वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च करना पड़ता है। खान-पान के मामले में अमेरिका को खुद को सुधारना होगा क्योंकि जो कुछ भी अमेरिका करता है, लगभग पूरी दुनिया उसका अनुसरण करती है।