श्र अक्षर से बनने वाले शब्द

श्र अक्षर से बनने वाले शब्द

श्रृंखला के विश्राम का 'श्र'

किसी कार्य का प्रारंभ करना हो तो श्रीगणेश किया जाता है और कार्य पूर्ण होने पर इति श्री हो जाती है। एक ज़माने में कुछ भी लिखने से पहले, सबसे पहले हमेशा श्री लिखा जाता था। श्री अपने आपमें शुभता और लक्ष्मी का द्योतक भी है। हमारे यहाँ इसलिए किसी को सम्मान देते हुए श्री/श्रीमती, श्रीमंत या सुश्री कहने की प्रथा है। हम श्रीकृष्ण और श्रीराम भी कहते हैं और कोई आश्चर्य नहीं कि श्रीलंका का नाम भी इसलिए प्रचलित हो कि वह सोने की लंका थी, श्री यानी लक्ष्मी जो लक्ष्मी की देवी वह श्रीदेवी।

साधकों को श्रावक भी कहा जाता है, जिन्हें श्रीफल (नारियल) देकर सम्मानित किया जाता है। इस श्र से वह श्रद्धा है जो रावण के प्रति भी बैर नहीं जगाती बल्कि उसके भीतर की बुराई पर विजय पाने का श्रम करवाती है। प्रकांड विद्वान्, शिव के भक्त के रूप में उसे जानते हुए हम रावण लिखित तांडव स्तोत्र श्रद्धापूर्वक बाँचते हैं और उसके प्रति भी श्रद्धावान् हो जाते हैं और कोई कितना भी बुरा क्यों न हो उसकी मृत्यु पर श्रद्धांजलि देते हैं, न कि श्राप।

यह जो श्र है, वह श् + र = श्र है। यह एक संयुक्त व्यंजन है। परिभाषा कहती है कि जो व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मिलने से बनते हैं, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं। कोई श्रीयुक्त न होने पर श्रद्धाहीन हो जाता है। अपने घर-परिवार के किसी बालक श्रीकांत से भी यही अपेक्षा रखते हैं कि वह श्रवणकुमार-सा बने।

याद है न राजा दशरथ ने श्रव्य किया कि कोई मृग जल पी रहा है, जबकि श्रवणकुमार अपने बूढ़े माता-पिता के लिए जल भर रहे थे। कोई श्रीधर श्रीवास्तव (काल्पनिक नाम) अपने श्रुतलेख में इसे श्रृंखलाबद्ध तरीके से लिख सकता है और पूरा होने पर श्रोताओं को श्रीखंड बाँट सकता है। इससे श्रेणियाँ भी हैं जो किसी को श्रमजीवी श्रमिक तो किसी श्रेष्ठ को श्रेष्ठी होने का श्रेय देती हैं।

कोई श्रीपति श्रोत्रिय (काल्पनिक नाम) अपने श्रीमुख से बताएगा कि तत्सम शब्द श्रेष्‌ठी का तद्भव रूप सेठ है जैसे श्रृंखला का साँकल, श्रद्धा का साध, श्रावण का सावन, श्रृंग का सींग, श्रृंगार का सिंगार या श्रृगाल का सियार। कुछ शब्दों के बीच में आकर ये मिश्रित हो जाते हैं तो कभी आश्रित। ये जीवन के चार आश्रमों को बताते हैं और विश्राम को भी। अब ऐसा लगता है परिश्रम साध्य हुआ और हम भी श्रृंखला को विराम देते हैं।