अपने आपको पा लीजिए

अपने आपको पा लीजिए

देश, दुनिया, समाज, लोग, कुनबा और जाने किस-किस डर से हम सच बोलने से बचते हैं। सच न बोल पाना आपको भीतर ही भीतर खाता रहता है लेकिन फिर भी आप झूठ का नकाब ओढ़े रहते हैं। अपना सच सबके सामने रखिए। जो आपके मन-मस्तिष्क में चल रहा है, उसे उजागर होने दीजिए।

कोई भी व्यक्ति, वस्तु, घटना, परिस्थिति आपको रोके हुए है, तो उसके बंधनों से बाहर निकलिए। सच कहने के क्या परिणाम होंगे इसकी चिंता मत कीजिए। अपने दिल की बात कह देने से हो सकता है आप किसी व्यक्ति, रिश्ते या अपनी प्रतिष्ठा को खो दें लेकिन विश्वास जानिए कि ऐसा करने से आप अपने आपको पा लेंगे

अपने सच के साथ जीना, खुद को पा लेना सबसे बड़ी नेमत होती है। साहस कीजिए,हिम्मत दिखाइए। यदि कोई आपका सच्चा साथी है तो आपका साथ देगा और यदि कोई टॉक्सिक है तो उसे जाने दीजिए। ये कुछ इस तरह के लोग होते हैं जो टॉक्सिक होते हैं और आपके जीवन को नारकीय बना देते हैं, इनसे बचिए।

1. नकारात्मकता

आपके इर्द-गिर्द यदि ऐसे लोगों का जमावड़ा है जो नकारात्मकता से भरे हुए हैं और लगातार विष वमन करते हुए आपके भीतर भी विष बो रहे हैं तो उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकिए। महाभारत के युद्ध में अर्जुन की विजय और कर्ण की पराजय के पीछे बहुत बड़ा हाथ सोच और मानसिकता का था

धनुष उठा पाने की हिम्मत खो चुके अर्जुन को कृष्ण ने श्रीमद्भागवत् गीता का ज्ञान दिया और इसके विपरीत बड़ी मुस्तैदी से युद्ध में डटे कर्ण के रथ के सारथी का काम कर रहे सात्यिकी ने लगातार कर्ण से कहा, ‘तुम जीत नहीं सकते’ और युद्ध हारने से पहले कर्ण मन से हार गया

2. आलोचना

सात्यिकी ने हर वक्त कर्ण की आलोचना की। लगातार आपकी आलोचना करने वाले भी आपके मनोबल को गिरा देते हैं। इतना बड़ा युद्ध और इतना बड़ा महारथी भी कैसे कमज़ोर पड़ सकता है इसे समझना हो तो सात्यिकी के प्रभाव को समझना चाहिए। कबीरदास जी ने भले ही कहा है कि ‘निंदक नियरे राखिए’, लेकिन कोई यदि 24 घंटे आपकी निंदा करता हो तो उसे दूर से नमस्कार कर दीजिए

3. निंदा

लगातार निंदा राग अलापने वाले की संगत में बैठकर आप अपना समय ज़ाया करते हैं। न केवल उनसे बचिए बल्कि जो भी आपका समय खराब कर रहे हों, आपको बेवजह व्यस्त रख रहे हों और जिनके साथ समय का दुरुपयोग होता हो उन लोगों से भी दूर रहिए, उसी में आपकी भलाई है।

4. ईर्ष्या

जो आपसे जलते हैं उन पर ध्यान मत दीजिए। उनकी जलन, ईर्ष्या को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए। ‘हाथी चले बाज़ार’ की कहावत को गाँठ बाँध लीजिए

5. शिकार

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आपकी भावनाओं से खेलते हैं आपको भावनात्मक रूप से अपने जाल में फँसाते हैं। ऐसे लोगों से तो बहुत सावधानी से बचिए। ये ‘मीठी छुरी’ की तरह होते हैं। आपसे मीठा-मीठा बोलकर अपना काम निकलवा सकते हैं। ‘साम-दाम, दंड-भेद’ हर पैंतरे को आज़माकर वे आपको अपना शिकार बना सकते हैं।

जिन्हें आपकी चिंता नहीं, उनकी परवाह करते रहने की भी कोई आवश्यकता नहीं। जो आपका ध्यान नहीं रखते उनके लिए अपनी सारी ऊर्जा लगा देना किसी तरह की समझदारी नहीं कही जा सकती।

6. आत्मकेंद्रित

जो आत्मकेंद्रित होते हैं वे भी कभी आपके बारे में नहीं सोचेंगे। वे केवल अपना और अपना ही हित साध सकते हैं। स्वार्थी वृत्ति की ओर झुके इन लोगों से दूरी बना लीजिए।

7. उपेक्षा

और जिनकी वजह से लगातार आपका मन, दिल, भावनाएँ दुखती हों। जो लगातार आपको निराश करते हैं उनके वार को झेलते न रहिए। जहाँ उपेक्षा हो रही हो, वहाँ कोई अपेक्षा न रखिए।

वैसे भी किसी से कोई अपेक्षा न रखते हुए ‘एकला चलो रे’ को गाते रहिए और अपने पथ पर बढ़ते रहिए। अपने आपके साथ रहिए, अपने सच के साथ रहिए।