त्रयी को दर्शाते कई शब्द…

त्रयी को दर्शाते कई शब्द…

त्रिलोकी त्रिपुरारी त्रिशूलधारी त्रिनेत्र-त्रिलोचन त्रिकाल शिव आपके सामने भी त्रिशंकु की त्रासदी ना ले आएँ इसलिए उस त्रातार के नाम पर त्रयोदशी व्रत करिए ताकि त्रस्त जीवन की त्रुटियाँ दूर हो जाएँ, त्रिभुवन के स्वामी त्रिदेव, त्रिमुखी (वैसे तो उनके चार मुख हैं) ब्रह्मा, विष्णु, महेश के त्रिगुट को याद करते त्रावणकोर निवासी त्रिपाठीजी तो त्र्यंबकेश्वर को याद करते त्रिचिनापल्ली निवासी त्रिवेदीजी यह बताते और त्रिविमीय बदलाव के लिए त्रिरत्न पहनने को दे देते।

यदि वे त्रिवेंद्रम या त्रिची में भी रहते, तब भी ऐसा ही कहते, यहाँ स्थान सापेक्ष है। त्रिया चरित पर फब्तियाँ कसने वाले भी त्रिसंयोजक त्रिकूट में बैठ त्रिपक्षीय त्रिस्तरीय वार्ता कर त्रिवेणी स्नान का महत्व बताते हैं जबकि वे तीनों नदियाँ गंगा, यमुना, सरस्वती भी तो स्त्रीवाची हैं।

गणित के जानकार इस त्रिआयाम में नहीं उलझते तो उनके सामने संस्कृत का यह त्रिविध शब्द त्रिकोणमिति के त्रिकोण, त्रिभुज, त्रिज्या से आ जाता है। त्रयी को दर्शाते ऐसे कई शब्द आपको भी याद आने लगे होंगे जैसे त्रैमासिक,त्रैवार्षिक। हम बात कर रहे हैं देवनागरी वर्णमाला के 'त्+र' से बने संयुक्त वर्ण त्र की। हिंदी वर्णमाला में इसे क्ष के बाद स्थान दिया गया है, जबकि त् और र का संयुक्त रूप होने से शब्दकोश में इसे त के बाद ढूँढा जाना चाहिए।

यह अधिक क्लिष्ट हो रहा हो तो हजम करने के लिए त्रिफला चूर्ण ले लीजिए। इतना सुन त्रास निवारण और त्रिदोष दूर करने के आप त्रिधाम यात्रा पर मत निकल पड़िए। इससे अधिक त्रासद क्या होगा कि आपको इससे त्रिताप हो गया हो। ऐसी भी क्या बात, यह त्रियाहठ तो है नहीं, कि आपमें त्राण ही न रहे और हम कहते चले जाएँ। अब तो त्राहि-त्राहि, त्राहि माम् न कीजिए। इसका त्रिदिवसीय सत्र तो करना नहीं है। संगीत के ताल पक्ष से आती इस त्रिधा-तिरकिट की त्रिचक्री को हम तुरंत रोक देते हैं।