थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत

थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत


अल्प, न्यून, ज़रा, कम को एक शब्द में कहना हो तो क्या कहेंगे- थोड़ा। इसी तरह जमापूँजी, धरोहर, अमानत जैसे शब्द बहुत बड़े लग रहे हैं तो उसके एवज में क्या कह सकते हैं- थाती। श्रांति, क्लांति के लिए सरल शब्द क्या होगा थकान। तमाचा या झापड़ कहना अजीब लगता हो तो क्या कहेंगे थप्पड़। ढेर या समूह को थोक, स्थान, स्थल ,भूमि, जगह को थल। सारहीन, खोखला, खाली को थोथा या मुखड़ा, मुँह को आम बोलचाल में थोबड़ा...ऐसे कितने ही शब्द थ से हैं जिन पर थीसिस लिखी जा सकती है। यहाँ थ को थोपा नहीं जा रहा बल्कि इस थ में इतनी थ्रिल है कि आपको लगेगा जैसे थियेटर में मूवी देखने के बाद थंब किया जाए।

थोथा चना

थ को थामने निकले तो उधर से थुलथुल काया लेकर चलने वाले थॉमस अंकल ने ज्ञान थमा दिया कि थाईलैंड में सड़क पर कोई थूक नहीं सकता। यहाँ भी कुछ ऐसा है, बस थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत है। थूक को लेकर कितनी ही कहावतें भी हैं जैसे जिस थाली में खाया, उसमें छेद नहीं करते या उसमें नहीं थूकते या फिर थूककर चाटना मतलब चमचागिरी करना। वे इन बातों को सुन छी-थू कर मुँह बिचकाने लगे और कह पड़े कि मैं बहुत थक गया हूँ। वहाँ से गुज़रते थानेदार ने इन थकेहारे-थकेमाँदे को देख अपने थर्मस से चाय पिलाई और थैली से निकालकर दो बिस्कुट थमाए। वे थककर कुछ चलने लगे लेकिन जल्द ही फिर थक कर चूर हो गए और थक कर बैठ गए। थकने वाले से थानेदार ने कहा हम केवल थर्ड डिग्री सज़ा नहीं देते बल्कि मरहम देना भी जानते हैं।

थर्मामीटर में देखा तो पारा चढ़ा हुआ था। उन्होंने बताया उन्हें खून के थक्के बनने की बीमारी है। यह सुन थरथराहट होने लगी तो उन्होंने थपथपा दिया और थ्री इडियट मूवी का गाना गुनगुना उठे- आल इज़ वैल। अब उन्हें आखिर हुआ क्या था इसकी थाह पाना बड़ा कठिन था। क्या यह थोथा चना, बाजे घना जैसा कुछ था? कुछ लोग थकान उतारने के लिए पार्टी कर लेते हैं। क्या यह थकी हुई पीढ़ी का लक्षण है? जिन्होंने थपेड़े नहीं खाए वे पार्टियों के शोर में ज़िंदगी के थंब प्रिंट देखते हैं। थम्बनेल देखकर तो पूरा वीडियो नहीं समझा जा सकता न!

थ का सहारा

जिन्हें जिंदगी ने थप्पड़ रसीद दिया हो वे थकान से निपटने के लिए थ का ही सहारा लें तो देखेंगे कि किसी और को थकाना मतलब पस्त करना होता है और यदि थक्केदार मलाई कह दें तो वाह क्या बात हो जाए। इस थकावट से दीगर बात करें तो पुलिस की बड़ी चौकी को थाना कहते हैं और आ की मात्रा हटा दें तो शब्द हो जाता है थान। थान मतलब उसे कुछ निश्चित लंबाई का कपड़ा भी कह सकते हैं या वो चौपायों को बाँधने का स्थान भी हो सकता है। यदि उन्हें बाँधा न जाए तो वे थपथपकर कीचड़ में चलने लग जाएँ, नहीं क्या?

थोड़ा थबककर इन शब्दों की मीमांसा कीजिएगा, डरकर थर-थर करने जैसा कुछ नहीं है इसमें। थरथराहट क्यों हो, थरथराने क्यों लगे? ठंड लग रही हो तो भले ही थर्मल कपड़े पहन लीजिए और थ की गाड़ी थर्ड गियर में सरपट दौड़ाइए,डरिए नहीं। पर इतनी भी ज़ोर से नहीं कि थल पर चलने वाले थर्रा उठें।

एक थल

इस एक थल से ही देखिए न कितने सारे शब्द हैं। थल चिह्न, थल पक्षी, थल यान, थल सेना, थल सेना संचालन केंद्र, थल दल, थल पति, थल बेड़ा, थल भारी, थल चर फिर इसमें थलचर जंतु, थलचर जीव, थलचल प्राणी सब आ गए, थल चारी जैसे हम सब थल वासी।