हाँ भई हाँ भिड़ू!

हाँ भई हाँ भिड़ू!

  • ‘पता है’ क्या हुआ, ‘पता है’ फिर हम वहाँ गए थे, ‘पता है’ उस दुकान पर हमें वो मिला ही नहीं, जो चाहिए था
  • ‘मतलब’ दो दिन पहले ही ‘मतलब’ परसों ही ‘मतलब’ बिल्कुल अभी-अभी...
  • ‘कोई ना’ जो इस बार नहीं मिला, ‘कोई ना’ अगली बार हो जाएगा, ‘कोई ना’..
  • ‘मालूम’ हम पहले ही वहाँ पहुँच गए ‘मालूम’ ऐसा हुआ कि ‘मालूम’...
  • ‘चलो’ फिर बात करते हैं, ‘चलो’ बाद में मिलते हैं, ‘चलो’ अच्छा हुआ, ‘चलो’...

‘जो है सो’, ‘क्या बात है’, ‘माने कि’, ‘आप जानो कि’, ‘क्या कहते हो’, ‘आप तो जानते हो’, ‘नई (नहीं) यार’, ‘अब क्या बताएँ’, ‘बड़ी परेशानी है भाई’, ‘सब ठीक हो जाएगा’, 'हां...हां.. क्यों नहीं.. सही है भियाओ', इन सारे वाक्यांशों को आपने भी महसूस किया होगा कि कई बार कोई व्यक्ति बात-बात पर कोई वाक्य दोहराते हैं जिसे तकिया कलाम से जाना जाता है और यह उस व्यक्ति, चीज़ या संदर्भ के अलावा पूरी लोक संस्कृति को भी दिखाता है। किसी ख़ास भौगोलिक क्षेत्र के लोग कुछ अलग तरह के शब्दांशों का प्रयोग करते हैं मसलन बात-बात पर कुछ लोग ‘बढ़िया’ कहते हैं तो कुछ लोग ‘मसलन’ ही।

अंग्रेज़ी में कैचफ़्रेज़

तकिया कलाम को अंग्रेज़ी में कैचफ़्रेज़ कहते हैं तो अंग्रेज़ी में बात करने वाले अक्सर ‘आई फ़ील’, ‘यू नो’, ‘लाइक’, ‘राइट’ ‘या!’ जैसे कुछ शब्दों को बारंबार बोलते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बनने के अभियान में बराक ओबामा ने कई बार ‘येस वी कैन’ (हाँ, हम कर सकते हैं) का प्रयोग किया था जैसे इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था जो उनका तकिया कलाम भी था। राजीव गाँधी हमेशा ‘हम देखेंगे’ कहा करते थे तो अभी नरेंद्र मोदी का ‘मित्रो’ प्रचलन में है।

लोक संस्कृति का जुमला

हॉलीवुड अभिनेता अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने अपनी एक फ़िल्म में ‘हास्टा ला विस्टा बेबी’ (अलविदा, प्यारे) क्या बोला जैसे यह जुमला उस लोक संस्कृति के रूप में सामने आ गया था। वे अपनी फ़िल्मों में खलनायकों को धमकाते थे ‘आई’ल बी बैक’ (मैं वापस आऊँगा)।

बॉलीवुड की फ़िल्म ‘दीवार’ का संवाद ‘मेरे पास माँ है’ करोड़ों लोगों द्वारा पहचाना गया है। ‘मिस्टर इंडिया’ का ‘मोगैम्बो खुश हुआ’ या ‘बॉबी’ फ़िल्म का ‘प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा’ भी ऐसा ही लोकप्रिय तकिया कलाम रहा। फ़िल्म ‘शोले’ के ‘गब्बर’ के तकिया कलाम ‘जो डर गया समझो मर गया’, ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’, ‘कितने आदमी थे’।

अजीत खान जिन्हें ‘सारा शहर लॉयन के नाम से जानता है’ के कई तकिया कलाम आज भी बहुत मशहूर हैं जैसे ‘यादों की बारात’ का ‘मोना डार्लिंग’, ‘जंजीर’ का ‘लिली डोन्ट बी सिली’ भी लोकप्रिय तकिया कलाम रहे।

बॉलीवुड के राजकुमार का तकिया कलाम 'जानी' तो आज भी मशहूर है और जैकी श्रॉफ़ का तकिया कलाम ‘भिड़ू’ तो याद ही होगा। कुछ धारावाहिकों के भी तकिया कलाम लोगों की ज़ुबान पर चढ़ चुके हैं जैसे ‘भाबीजी घर पर है’ का ‘सही पकड़े हैं’

व्यापक असर

आम तौर पर बार बार कहने की आदत या वह शब्द या वाक्यांश जो कुछ लोगों की ज़बान पर बातचीत करने पर प्रायः मुँह से निकला करता है वह उनका तकिया कलाम बन जाता है। इसकी आदत कई लोगों में होती है। इसका असर कई बार नाटकीय भी लगता है कई बार चिढ़ भी पैदा करता है लेकिन बोलने वाला अपनी धुन में बोलता चला जाता है।

कुछ लोगों का मानना है कि तकिया कलाम का उपयोग करने वालों के पास शब्दों की कमी होती है। वहीं कुछ लोगों की धारणा है कि तकिया कलाम प्रभावशाली होते है, वे एक ही समय में बहुत सारी भावनाएँ और उनके साथ अर्थ पैदा कर सकते हैं। वे व्यापक तौर असर डालने में मदद करते हैं। ‘अच्छा’ तो कुछ लोगों का तकिया कलाम ‘अच्छा’ भी तो होता है, ‘अच्छा’, ‘चलो मान लेते हैं’, ‘अच्छा’, ‘हाँ भई हाँ!’