क्यों न खुद ही मसीहा बन जाएँ

क्यों न खुद ही मसीहा बन जाएँ

ज़ख़्म जो लगना था, वह तो लग गया, उस दर्द से ग़ुज़रे ज़माना-सा हो गया अब तो उस पर मलहम लगाने की ज़रूरत है। घाव कितना भी गहरा हो उसे भरा जाना ज़रूरी है। घाव भरा नहीं जाता तो वह नासूर हो जाता है और फिर उसमें से पीप, मवाद ही नहीं निकलता आह, कराह और कातरता भी बाहर आती है।

कोई शारीरिक व्याधि हो तो उसका इलाज डॉक्टर कर सकता है लेकिन मानसिक, भावनात्मक आघातों से उबरने में सदियाँ लग जाती हैं तो इस बार क्यों न खुद ही मसीहा बन जाएँ और अपने घावों पर खुद ही मलहम लगा लें, खुद ही उन पर राहत की फूँक मार लें, उन्हें भरने का खुद ही जतन कर लें।

यदि सब बचेंगे

कोराना के बाद ऐसा ही कुछ हुआ है। लोगों को कोविड हो रहा है, वे ठीक हो रहे हैं या नहीं हो रहे, हाथ छूट रहे हैं, साथ छूट रहे हैं। परवीन शाकिर के शायराना अंदाज़ में कहे तो ‘हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा/ क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा’

हर नया दिन किसी और बुरी ख़बर के साथ आ रहा है। लोग बड़ी शिद्दत से हीलिंग चाह रहे हैं, हील हो रहे हैं, दर्द पा रहे हैं, फिर हील हो रहे हैं। लोग महसूस कर रहे हैं कि यह समय न केवल खुद हील होने का है, बल्कि धरती को, कुदरत को, प्रकृति को और अपने आसपास के हर प्राणी, जंतु-जीव सबको हील करने का है। यदि सब बचेंगे तो हम बचेंगे और यदि हम बचेंगे तभी सबको बचा पाएँगे।

होलिस्टिक हीलिंग

कुछ लोग होलिस्टिक हीलिंग का सहारा ले रहे हैं जिसमें शरीर के दुख-दर्द संबंधी हर पहलू पर ध्यान दिया जाता है। हर समस्या का हल ढूँढ़ा जाता है। यह अपने आपमें बहुत बड़ा क्षेत्र है। इसमें अरोमा थेरेपी, आयुर्वेदिक इलाज, प्राकृतिक भोजन, योग एवं व्यायाम, काउंसलिंग, हर्बल उपचार, यूनानी चिकित्सा, एक्युपंक्चर, नेचुरोपैथी, एनर्जी हीलिंग, प्रार्थना साधना, चाइनीज मेडिसिन, ऑल्टरनेट मेडिसिन, कंप्लिमेंटरी मेडिसिन, इंटीग्रेटिव मेडिसिन, रेकी, प्राणिक हीलिंग, करुणा रेकी, एक्युप्रेशर, ध्यान, विपश्यना, मालिश, प्रेक्षा ध्यान, सिद्धा ध्यान आदि समाहित है।

कुछ लोग साउंड हीलिंग थेरेपी भी अपनाते हैं तो कुछ लोग म्यूज़िक थेरेपी आज़माते हैं।

अपना इलाज

लोग तनाव, डिप्रेशन, डिमेनशिया, ऑटिज़्म, मेंटल डिसॉर्डर से लेकर कैंसर तक से लड़ने में इन तकनीकों की मदद लेते हैं। इन हीलिंग तकनीकों को समझना हो तो सरल शब्दों में कह सकते हैं कि यह शरीर की ऊर्जा को संचारित कर अपना इलाज करना है। शारीरिक और भावनात्मक रूप से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर की ऊर्जा संतुलित रहना चाहिए।

स्वयं की चेतना

कुछ लोग इसके लिए शरीर के सात चक्रों पर भी काम करते हैं। कुछ क्रिस्टल की मदद से हीलिंग करते हैं। आपको पता होगा क्रिस्टल को ऊर्जा विकिरण का प्रभावशाली स्रोत माना जाता है। अधिकांश शल्य चिकित्सक, चिकित्सा से पहले और बाद में रोगी के मानसिक आघात को कम करने के लिये क्रिस्टल का उपयोग करते हैं।

वैज्ञानिक तरीके से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सौंदर्य संबंधी भी सरलतम और जटिलतम व्याधियों को इनसे दूर किया जाता है। स्वयं की चेतना को अनुभूत करने भर की देर है फिर आप भी हील हो सकते हैं।

विज्ञान का प्रयोग

आध्यात्मिक चिकित्सक इस विज्ञान का प्रयोग करने से पूर्व ध्यान एवं योग की कुछ क्रियाओं का नियमित अभ्यास कर स्वयं को चेतना के एक निश्चित स्तर पर लाते हैं। जो इसका अनुभव कर चुके हैं वे दावा करते हैं कि इनसे कई मनोविकारों जैसे मिर्गी, चिन्ता, उदासी, भय, आत्महत्या की प्रवृत्ति, शराब या किसी अन्य नशे की लत आदि का उपचार भी संभव है।

हीलर क्या करता है?

कोई भी हीलर मूल रूप से क्या करता है? वह ब्रह्मांड से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर ज़रूरतमंद के शरीर में प्रवाहित करता है एवं नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। हीलिंग से नकारात्मकता के स्तर को बहुत कम, लगभग नगण्य कर दिया जाता है और ऊर्जा के स्तर को सही दिशा में नई ऊँचाइयों को पाने के लिए लगाया जाता है।

जो काम सत्संग से होता था, प्रवचन से होता था वह लोग अपने स्तर पर एक इकाई के रूप में कर रहे हैं, पर वे कर रहे हैं, क्योंकि वे दर्द से उबरना चाहते हैं, वे अपने साथ सबको उबारना चाहते हैं कि बस! अब बहुत हुआ!