मुनिया की दुनिया

मुनिया की दुनिया

किस्सा 12

उसकी दीदिया (दीदी) ने इतनी तेज़ आवाज़ में कहा कि पूरी इमारत को सुनाई देने के लिए काफी था…मुनिया नाराज़ है।

…और मुनिया गलियारे में लिफ्ट के पास जाकर हमेशा की तरह खड़ी हो गई, मुँह फुलाए। फिर ऑफ़िस जाने वाले अंकल-आन्टी, कॉलेज जाने वाले भैया, स्कूल जाने वाली दीदी, मंदिर जाने वाली चिंटू की दादी..सभी उससे पूछते हैं, क्या हुआ-क्या हुआ। मुनिया लिफ्ट, कॉल करने से उसके आने तक का हिसाब जानती है, और लिफ्ट किस फ्लोर से आ रही है उस हिसाब से किसी को तपाक से, किसी से थोड़ी नानुकर के बाद अपनी नाराज़गी का कारण बता देती है…अपने काम से जाने वाला हर शख्स उससे वादा करता है कि वह उसकी समस्या निपटा देगा।

कोप भवन न सही, लिफ्ट से सटा वह कोना मुनिया के गुस्से का भाजन भले ही बनता हो लेकिन मुनिया के पूरे फ्लोर से मिलने वाले लाड़ का भी अकेला साक्षी होता है…

कोई उसे वहाँ खड़े होने से मना करता है, कोई उसकी माँ को आवाज़ देकर बाहर बुलवाता है..मुनिया की माँ उसकी चिरौरी करते हुए घर ले जाती है..मुनिया के दोनों हाथ में लड्डू..माँ भी उसकी साइड और उस फ्लोर के सभी लोग भी । हाहा।

(क्रमशः)

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