बेटों को ये 5 काम सिखाना फर्ज है हमारा

बेटों को ये 5 काम सिखाना फर्ज है हमारा

बेटियों को हमेशा से इस तरह तैयार किया जाता है कि उन्हें ससुराल में परेशानी न हो। मां अपनी बेटी को समझदार होते ही सीख देने लगती है कि खाना बनाना सीखो, झाड़ू-पोंछा, कपड़े, बर्तन, सिलाई सीखो, साड़ी पहनना सीखो, घर संभालना सीखो, पूजा-पाठ सीखो… वगैरह.. वगैरह..।

मान लें कि यह सब लड़कियों के लिए सीखना बहुत जरूरी भी है ताकि ससुराल में उसे व उसके घर के सदस्यों को कोई परेशानी न आये, लेकिन अब बदलते जमाने के साथ हम इस बात को भी स्वीकार करेंगे ही कि लड़कियों को शादी के बाद जॉब करना भी सीखना चाहिए, पैरों पर खड़े होना भी सीखना चाहिए ताकि उसे और उसके परिवार को परेशानी न हो

अगर आप इस बात से सहमत हैं तो आपको ये समझना होगा कि लड़कियां ये सारे काम कर सकती हैं, बस हमें जरूरत है कि लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी शुरुआत से कुछ काम करने की आदत डालें ताकि लड़कियां भी खुद के लिए वक्त निकाल सकें, कुछ बन सकें। ये जिम्मेदारी व फर्ज मां का है कि बेटों से भी सारे काम करवाएं ताकि उनकी बेटियां, बहुएं बाद में परेशान न हों। दोनों बराबरी से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकें।

1. खुद से खाना लेना और अपना टिफिन पैक करना

वैसे तो लड़कों को शादी के पहले मम्मी और शादी के बाद पत्नी खाना परोस देती है और ऑफिस के लिए टिफिन भी पैक कर देती हैं, लेकिन ये काम लड़कों को बचपन से ही सीखा दें तो महिलाओं का भी एक काम कम होगा और लड़कों के लिए भी अच्छा होगा

कई बार ऐसा देखा जाता है कि घर के पुरुष टेबल पर खाना खा रहे हैं, उन्हें सब्जी, रोटी कुछ चाहिए, जो सामने टेबल पर ही पड़ी है, लेकिन फिर भी वे पत्नी या मां को आवाज लगाते हैं कि ‘सब्जी दे दो, रोटी दे दो’। वे किचन में काम कर रही होती हैं, तो हाथ धोकर दौड़कर आती हैं और उनके सामने रखी चीज उठाकर उन्हें परोस कर चली जाती है।

ये रवैया बहुत खराब है। इन छोटी-छोटी आदतों को बदलें। खाना परोसने का काम खुद करें। ऑफिस में कितनी सब्जी ले जानी है, कितनी रोटी ले जानी है, खुद तय करें और किचन में जाकर अपने टिफिन में भर लें। ये आपकी मैच्योरिटी, समझदारी व प्रेम दर्शायेगा। मम्मियों को भी चाहिए कि बेटों को बचपन से ही ये काम खुद करने दें।

2. नहाने का पानी गरम करना व तौलिया, कपड़े लेना

बेटे व पतियों को बचपन से ही अपना काम खुद करना सीखाएं। आप प्यार में आकर, अपना फर्ज समझकर उनका हर काम करती हैं और फिर वे दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। याद रखें कि पानी गरम करना, तौलिया लेना, अपने कपड़े खुद प्रेस करना, रूमाल, वॉलेट, घड़ी खुद अपनी जगह से लेना, कोई रॉकेट साइंस नहीं है।

ये काम करने से उन्हें ही फायदा है। कभी उन्हें मां व पत्नी से दूर रहना पड़ा, तो वे भी परेशान नहीं होंगे। उन्हें एक बार बस बता दें कि ये सभी चीजें जैसे रूमाल, मोजे, घड़ी, वॉलेट कहां रखे हुए मिलेंगे, फिर वे हर बार खुद लेने लगेंगे।

3. प्लेट उठाकर रखना, झाड़ू-बर्तन करना

महिलाओं ने सालों से आ रही परंपरा व घर के माहौल को देखते हुए यही सीखा है कि अगर घर में महिला के होते पुरुष को खुद प्लेट उठाकर रखना पड़े, झाड़ू लगाना पड़े, बर्तन धोना पड़े तो ये महिला के लिए शर्म की बात है। लेकिन ऐसा नहीं है।

आज के जमाने में जब पति अपनी पत्नी को कहते हैं कि बाहर का काम करना सीखो, बिजली बिल, गैस बुकिंग, बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, सामान खरीदना आदि सीखो तो पत्नियां भी उन्हें घर के छोटे-मोटे काम खुद करना सीखने को कह सकती हैं। इन कामों को करने से कोई छोटा नहीं होगा। बल्कि आत्मनिर्भर ही बनेगा। पत्नी व मां की भी मदद होगी।

4. जूते रैक में रखना, बैग, तौलिया सही जगह रखना

महिलाओं का ढेर सारा वक्त घर में बिखरी हुई चीजों को सही जगह पर रखने में ही चला जाता है। बच्चों की फैली हुई चीजों को समेटना तो उनकी मजबूरी है, लेकिन अगर घर के पुरुष इस बात को समझ लें और अपनी सभी चीजें सही जगह पर रखें, तो वे घर की महिलाओं की बहुत बड़ी मदद करेंगे।

आपको ये सब मामूली बात लग सकती है लेकिन जब हर छोटी-छोटी चीज को एक कमरे से उठाकर दूसरे कमरे में व्यवस्थित रखना पड़े तो घर के घर में ही इंसान कई चक्कर लगा चुका होता है, थक जाता है, पैर दुखने लगते हैं, साथ ही समय भी बर्बाद होता है

इसलिए कुछ काम जैसे बाहर से आकर अपने जूते रैक में रखना, बैग को सही जगह पर रखना, नहाने के बाद तौलिया बेड पर फेंकने की बजाय धूप में सूखाना, बाथरूम में इस्तेमाल के बाद हर चीज शैंपू, टूथपेस्ट, साबून आदि को ठीक से रखना, अपने खराब कपड़े लॉन्ड्री बास्केट में ही डालना… खुद करने चाहिए। मम्मियों की ये जिम्मेदारी है कि बचपन से ही लड़कों को ये सब काम करने को कहें, उन्हें बार-बार टोकें। आपका हद से ज्यादा प्यार आपके बेटे को आत्मनिर्भर बनने से कहीं रोक न दें।

5. जो चीज जहां से उठायी, वापस वहीं रखना

लड़कियों में ये गुण पहले से ही होता है कि वे जो चीज जहां से उठाती हैं, उन्हें वापस वहीं रखती हैं। घर को साफ-सुथरा, सलीके से जमा हुआ रखती हैं, लेकिन लड़कों में ये गुण नहीं होता इसलिए जरूरी है कि उन्हें ये चीजें सिखाई जाएं। ये सब वे जान-बुझकर नहीं करते, लेकिन लापरवाही में, अनजाने में, अपनी ही धुन में आकर वो चीजें इधर से उठाकर उधर रख देते हैं और काम बढ़ा देते हैं

इसलिए मम्मियां अपने बच्चों को सिखाएं कि वे काम हो जाने के बाद हर चीज को उसकी सही जगह पर रखें। कई बार लड़के शौक में किचन में जाकर अपने लिए कुछ बना लेते हैं और जब वे बाहर निकलते हैं तो पूरा किचन फैला हुआ होता है। उसे साफ करने में महिलाओं के पसीने छूट जाते हैं। ऐसी गलती न करें।

इसके अलावा अगर आपने बुक शेल्फ से बुक उठाई तो उसे वापस रखें। पंखा, लाइट ऑन की है तो उसे बाद में याद से बंद करें। पानी की बॉटल पानी पीकर, वापस भरकर फ्रिज में रखें। सोफे के तकिये वापस करीने से जमा दें। बेडशीट ठीक करें।

(ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद कई लड़के जिम्मेदार हो जाते हैं। पत्नी की काम में मदद करते हैं, लेकिन उनकी मम्मियां ये सब देख नाराज हो जाती हैं। वे बेटे को जोरू का गुलाम कहती हैं। ताना देती हैं कि बहू की अंगुलियों पर नाचता है…वो बहू पर भी नाराज होती हैं कि मेरे बेटे से ये सब काम करवा रही है? सास को चाहिए कि अपने बेटे में आये इस बदलाव से खुश हों। भले ही देर से सही, बेटे को अपनी जिम्मेदारी समझ तो आयी।)