क्या है आयुर्वेदिक डाइट?

क्या है आयुर्वेदिक डाइट?

अब रुझान आयुर्वेदिक डाइट की ओर

‘जिसने जो कहा, वह सब ट्राई कर लिया’, आम तौर पर बोले जाने वाले इस हिंदुस्तानी वाक्य को डाइट के संदर्भ में भी लोगों ने आज़मा लिया है और अब उनका रुझान आयुर्वेदिक डाइट की ओर होने लगा है।

कैलोरी काउंट और यह कम करो, वह कम करो की उलझनों से निकलते हुए लोग आयुर्वेदिक डाइटीशियन के पास जाने लगे हैं। कीटो (Keto), ऐटकिन्स (Atkins), पालियो (Paleo), लो कार्ब (Low carb) से अब भारतीय उकता चुके हैं। वे समग्र दृष्टिकोण या कह लीजिए होलेस्टिक अप्रोच की ओर बढ़ रहे हैं। आयुर्वेद में हर मरीज़ के हिसाब से रोग का निदान होता है, उसी तरह हर व्यक्ति के हिसाब से उसका आहार तय किया जाता है, इसलिए लोगों को यह उनके अधिक करीब लग रहा है। वे इसके लिए व्हाट्स ऐप समूहों और इंस्टाग्राम के ज़रिए भी मदद तलाश रहे हैं, जहाँ डेली डाइट प्रोग्राम लिया-दिया जा रहा है।

लोग अब अपने एकल व्यक्तित्व को समझने लगे हैं और जीवन के हर मिनट के महत्व को भी आँकने लगे हैं। इन दिनों आपने भी किसी से ऐसा कुछ कहते सुना होगा कि, “मैंने अपने आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से इस बारे में लंबी चर्चा की है। उन्होंने मेरी समस्या को विस्तार से जाना है और मुझे कैसा आहार लेना चाहिए, यह बताया है।” इस तरह की जागरूकता पहले देखने नहीं मिलती थी।

आयुर्वेद कहता है हमारे आहार में छह रस शामिल होने चाहिए- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। आयुर्वेद कहते ही हमें लगता है कि उसमें कुछ जड़ी बूटियाँ ही होती हैं जैसे अश्वगंधा, शतावर, सालम मिश्री, गोक्षुरा, सफेद मूसली, शिलाजीत, सालम पंजा, विदारीकंद या काली मूसली वगैरह। लेकिन आयुर्वेद में संपूर्ण जीवन शैली के बारे में कहा गया है जिसमें आपके मन और तन के साथ मस्तिष्क को भी तंदरुस्त रखने पर ज़ोर दिया जाता है। सिर पर चंपी मालिश या शरीर पर तेल लगाना, कसरत करना, मन को शांत और आशावान् रखना तथा पौष्टिक लेकिन कम मात्रा में भोजन करना भी आयुर्वेद का हिस्सा है

इस हिसाब से भोजन करने के साथ सुबह उठते ही सबसे पहले दो गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए, चाहें तो उसमें नींबू या शहद मिला सकते हैं। छह घंटे के अंतराल के साथ दिन में दो बार भोजन करना चाहिए। फ़ल, सब्ज़ियाँ, अनाज और फलियाँ इस तरह हमारा संपूर्ण आहार होना चाहिए। पपीता और तरबूज खाली पेट खाना चाहिए तब वे सुपर फ़ूड हो जाते हैं। नाश्ते में मुट्ठीभर नट्स और भीगे बादाम खाने चाहिए। कम कैलोरी और अधिक पोषण के लिए दलिया सबसे बेहतरीन नाश्ता माना गया है।

आयुर्वेद रात के समय दही, चावल और मांसाहारी भोजन लेने की सलाह नहीं देता। हमें रात को लो कार्ब डाइट मतलब करी पत्ता, दाल, हल्दी और थोड़ी मात्रा में अदरक लेना चाहिए। हमें सूर्योदय से पहले उठना और रात में दस बजे के आसपास सो जाना चाहिए।