चुनिए अपना यथार्थ

चुनिए अपना यथार्थ

परिस्थितियों का हवाला बुजदिल लोग दिया करते हैं वरना कभी भी किसी को भी आदर्श परिस्थिति नहीं मिलती। रामायण के राम-सीता से लेकर, महाभारत के श्रीकृष्ण, कर्ण, द्रौपदी यहाँ तक कि दुःशासन और गांधारी हज़ारों उदाहरण देखे जा सकते हैं। पानी का जहाज लहरों से टकराने के लिए, तूफ़ानों से भिड़ने के लिए ही बना होता है, बंदरगाह पर खड़े-खड़े जंग लगने के लिए नहीं।

जीवन की कुंजी

आप किन तरंगों को उत्सर्जित करते हैं, आपकी वाइब्रेशनंस ही मायने रखती हैं। किसी भी तंतु वाद्य में जितनी मुख्य कुंजियाँ होती हैं, वे हर्ष और उल्लास का संचार करती हैं और निम्न कहलाती कुंजियाँ उदासी के तरानों पर बजती हैं। आपके जीवन की कुंजी भी आपके अपने हाथों में हैं, उनसे हर्ष और उल्लास के, उत्साह और उमंग के गीत बजाइए न कि दुःख और वेदना के। परिस्थितियाँ नहीं बदलेंगी, परिस्थितियों के बदलने का इंतज़ार करते हुए पूरी उम्र मत गुज़ार दीजिए।

परिस्थितियाँ किसी की कभी नहीं बदली थीं, लोगों का उन परिस्थितियों से उबरने का अपना नज़रिया था, जिन्होंने उन्हें महान् बनाया था। कई महानायकों की कथाएँ आपने सुनी होंगी जिन्होंने सड़क पर जलते बल्ब की रोशनी में पढ़ाई की और अपने क्षेत्र में श्रेष्ठता हासिल की। अपने जज़्बे को ऊँचा रखिए, केवल आप अपना जज़्बा जिंदा रख सकते हैं, बाकी सारी चीज़ें तो आपको पस्त करने में लगी ही रहेंगी

दोषारोपण

जिन चीज़ों को बदल नहीं सकते उनके बारे में सोचते रहने से क्या होगा। उससे तो उन पर ध्यान दीजिए, जिन्हें बदला जा सकता है, जैसे आप अपनी विचार शैली, अपनी मानसिकता, अपनी सोच को बदल सकते हैं। जिस लकीर पर आप चलते आ रहे हैं, उससे हटकर सोच सकते हैं। आप अपना यथार्थ खुद चुन सकते हैं, उसे बना सकते हैं। परिस्थितियों के वश में आकर या परिस्थितियों पर दोषारोपण करके कुछ हासिल नहीं होगा। अपनी ऊर्जा के वश में हो जाइए और अपनी ऊर्जा को अपने वश में कीजिए। ऊँचा उड़ने के सपने देखिए।

आदान-प्रदान

यह देखिए किसी भी परिस्थिति से आपको क्या मिला है और उसके बदले में आप क्या दे सकते हैं? ‘दिया तले अँधेरा’ वाली कहावत पर ज़रा इस तरह भी सोचकर देखिए कि दीपक के नीचे भले ही अँधेरा होता है लेकिन वह घने तिमिर को रोशनी से भर देता है। आदान-प्रदान करना सीखिए। आदान-प्रदान का अर्थ केवल वित्तीय लेन-देन नहीं होता। आप किसी का भावनात्मक संबल भी बन सकते हैं। किसी की भावनाओं को समझने के लिए आप अपनी भावनाओं को समझने का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। आप किसी को समझेंगे तो यकीन मानिए कोई आपको भी समझ सकेगा

खुलापन

यदि आप किसी को कुछ भी देना नहीं चाहते हैं तो अब अपना रवैया बदलिए। खुले बनिए, मानसिक रूप से विचारों में खुलापन लाइए, ईमानदार बनिए और सहज हो जाइए। ऐसा करने से आप अपने लिए नए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं। हो सकता है कि आपको तुरंत उसका फल न मिले, कुछ दिनों, महीनों या सालों में मिले लेकिन मिलेगा ज़रूर इस पर यकीन रखिए। सायास नहीं, अनायास देना शुरू कीजिए,अनायास आपको कुछ मिलने भी लगेगा।

कारण और परिणाम

अपने संपर्कों को खँगालिए, सूचनाओं के साथ प्रतिभा और सहयोग का भी आदान-प्रदान कीजिए। पूरा विश्व ‘कारण और परिणाम’ के नियम पर चलता है। प्राकृतिक रूप से सब संतुलन बना रहे इसलिए जो दिया जाता है, वो लौटकर भी आता है, यह प्रकृति का ही नियम है। यदि आपको लगता है कि आप खुशहाल नहीं हैं तो पहले दूसरों को खुशियाँ देना शुरू कीजिए, खुशियाँ आपके पास लौटकर भी आएँगी। आप किसी को अपना समय दे सकते हैं, अपने उपहार दे सकते हैं या उनकी मुश्किलों-परिस्थितियों, दिक्कतों में उनका साथ दे सकते हैं।

ऊर्जा का स्थानांतरण

यदि आप इस वजह से हलकान हैं कि आपके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा तो यह मत पूछिए कि आपको हासिल क्या हुआ है, आपने दूसरों को क्या दिया है, यह सोचना शुरू कीजिए। सोचिए आप क्या दे सकते हैं? ऊर्जा का क्षय नहीं होता, ऊर्जा एक से दूसरे में स्थानांतरित होती है, अपनी ऊर्जा का संचार दूसरों में कीजिए, आपकी ऊर्जा आप तक लौटकर ज़रूर आएगी।