झूठ क्या है और सच क्या

झूठ क्या है और सच क्या

अभी दो-तीन दिन पहले ख़बर आई महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से आठवीं तक के छात्रों को बिना परीक्षा अगली कक्षा में प्रमोट करने का निर्णय लिया है और अब ख़बर है यह भी है कि कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं की भी परीक्षाएं नहीं होंगी। यदि यह खबर आपने अपने बच्चों के साथ साझा नहीं की तो क्या उसे आपका झूठ माना जाएगा?

महीन रेखा

झूठ और सच के बीच कई बार बहुत महीन रेखा होती है। इसके बीच में आपको तय करना होता है कि दी परिस्थिति में आपके लिए क्या सही है और क्या ग़लत? उस आधार पर तय होता है कि सच बोला जाए या नहीं। यदि उक्त स्थिति में आप सच नहीं बता रहे तो इसका मतलब आप झूठ नहीं कह रहे बल्कि आप सच को छिपा भर रहे हैं ताकि बच्चा पढ़ाई से परावृत न हो जाए। सच न बताने के पीछे आपका उद्देश्य बहुत साफ़ है आप चाहते हैं कि उसके जीवन की स्लेट कोरी की कोरी न रह जाए, इसलिए आप सच नहीं बता रहे।

स्थितियों की समीक्षा

जीवन की उन कई स्थितियों की समीक्षा कीजिए जब आपने सच नहीं बोला और अपने आपको उस पापबोध से मुक्त कीजिए। समाज में रहने के लिए हम कई आवरणों, कई लबादों में खुद को छिपाते हैं क्योंकि सच का उजाला हर कोई झेल नहीं सकता। नई शुरुआत करने की चाह रखने वाले भी उन ख़तरों को उठाने के लिए तैयार नहीं होते इसलिए उन्हें ख़तरों के बारे में नहीं बताया जाता तो इसका मतलब यह नहीं होता कि कुछ झूठ कहा है, बस आपने सच नहीं बताया है।

ख़बर नहीं बताना

जैसे कहा जा रहा है कि सरकार कोविड के आँकड़े सही नहीं बता रही। कोई यह भी समझे कि क्यों सही नहीं बताया जा रहा? यदि सबको सच का पता चल गया तो इस ‘न भूतो न भविष्यति’ आपदा की तरह ही लोगों के मन में ‘न भूतो न भविष्यति’ अकर्मण्यता आ जाएगी, गहरी उदासीनता आ जाएगी। सरकार सोच-समझकर सही आँकड़ों को छिपाती है। यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे उक्त उदाहरण में अभिभावक तय करते हैं कि वे बच्चों को यह ख़बर नहीं बताएँगे।

उम्मीद की लौ

व्हाट्स ऐप और सोशल मीडिया के बढ़ते जाल में बच्चों तक यह ख़बर पहुँचेगी ही लेकिन हो सकता है तब तक परीक्षाएँ समाप्त हो जाएँ, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर लें। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा डॉक्टर्स सबसे कठिन समय में भी उम्मीद की लौ बुझने नहीं देते। जब किसी के जीने की ज़रा भी उम्मीद नहीं होती तब भी डॉक्टर झूठा दिलासा देने की तरह ही कहते हैं कि ‘अब ईश्वर ही बचा सकता है’ या ‘दवा की नहीं दुआ की ज़रूरत है’। कहने वाले को भी पता होता है, सच क्या है और सुनने वाले को भी, लेकिन दोनों तरफ से सच की काट को कुछ कम करने की कोशिश की जाती है।

सच की प्रखरता

यह वही बात है कि सच की प्रखरता कभी-कभी इतनी तेज़ होती है कि सहन नहीं की जा सकती इसलिए उसकी प्रखरता को कम करने का प्रयास किया जाता है। यदि आपमें सच को सहन कर लेने की ताकत है तो निश्चित मानिए कि आपसे कोई कभी झूठ नहीं बोल सकता। आपसे झूठ बोला जा रहा है मतलब साफ़ है कि आपमें सच को सुनने, समझने, झेलने की ताकत नहीं है। इस आईने में देखिए झूठा वो नहीं, जो आपसे झूठ कह रहा, झूठा आपका पैटर्न, आपकी सोच है जो आपको ऊपरी तौर पर दिखाती है आप बहुत सुलझे हुए हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।

यदि आपमें हिम्मत है

  • यदि आपमें सच सुनने की ताकत है तो बताया जाएगा कि परीक्षा नहीं होगी, तब भी पढ़ाई करने के घंटों को कम नहीं करना है।
  • यदि आप सुलझे हुए हैं तो आपको बताया जाएगा कि कोविड के सही आँकड़े क्या हैं और तब भी आपको धैर्य बनाए रखना है।
  • यदि आपमें हिम्मत है तो बता दिया जाएगा कि आईसीयू में भर्ती आपका कोई सगा कुछ ही घंटों का मेहमान है।

यदि आप सच सुनना चाहते हैं तो अपने को तैयार कीजिए। फिर भविष्य में आपके बच्चे भी आपसे झूठ नहीं कहेंगे, आपके परिवार का कोई व्यक्ति आपसे झूठ नहीं बोलेगा।