इंटरमिटेंट फास्टिंग से कंट्रोल करें वजन

इंटरमिटेंट फास्टिंग से कंट्रोल करें वजन

आज के समय में हर कोई फिट दिखना चाहता है, दुबला होना चाहता है। ऐसे में वजन घटाने के लिए लोग कई तरीके अपना रहे हैं। कोई जिम जा रहा है तो कोई योग कर रहा है। कोई जंक फूड खाना बंद कर रहा है तो कोई शक्कर। इन दिनों लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग भी कर रहे हैं। इसका ट्रेंड अब काफी बढ़ गया है। इससे हुए फायदों को देखते हुए कई लोग इसे अपना रहे हैं। यहां तक कि डाइटिशियन भी इसे करने की सलाह देने लगे हैं। अगर आपने इसे अभी तरह आजमाया नहीं है तो जरूर आजमाएं।

क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?

जैसे लोग धार्मिक कारणों से उपवास करते हैं, ये उसी तरह का है, बस इसमें उपवास को ब्रेक देते हैं यानी की रूक-रूक कर उपवास करना होता है। इसमें उपवास का टाइम बांध दिया जाता है और खाने का भी। उदाहरण के तौर पर 24 घंटों में से 16 घंटे उपवास किया जाता है और बाकि के 8 घंटे में आप खाना खा सकते हैं

यानी अगर आपने शाम के 7 बजे खाना खाया तो दूसरे दिन आप सुबह 11 बजे ही कुछ खा सकेंगे। नाश्ता करेंगे। नाश्ते के कुछ देर बाद लंच और फिर 7 बजे डिनर। और फिर यही चक्र दोबारा चलेगा। इस तरह आप रोजाना 16 घंटे का उपवास करेंगे और 8 घंटे खाने के लिए ओपन रखेंगे

फास्टिंग के दो तरीके हैं ज्यादा फायदेमंद

वैसे इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई तरीके हैं, जिनमें से पहला अभी हमने जाना 16 व 8 घंटे का अनुपात। वहीं दूसरा है एक दिन उपवास करना और दूसरे दिन नॉर्मल खाना लेना यानी एक दिन छोड़कर उपवास करना। इन दो तरीकों से तेजी से वजन घटता है। इसके अलावा यदि आपने अभी फास्टिंग करना शुरू किया है तो बेहतर होगा कि पहले फास्टिंग का टाइम कम रखें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।

16 घंटे फास्ट और 8 घंटे इंटिंग विंडो में पूरी तरह एडजस्ट होने के बाद आप 18 घंटे फास्ट और 6 घंटे इंटिंग विंडो रख सकते हैं। इसके बाद 20 घंटे फास्ट और 4 घंटे इंटिंग विंडो रख सकते हैं।

वजन घटाने के अलावा भी हैं कई फायदे

फास्टिंग करने से न सिर्फ वजन कम होता है, बल्कि आपके शरीर को भी आराम मिलता है, जो आपके हमेशा कुछ न कुछ खाते रहने के कारण लगातार पाचन का काम करता रहता है। इसके साथ ही फास्टिंग के वक्त इंसुलिन लेवल नीचे जाता है और हमारी फैट सेल्स अपनी स्टोर की हुई शुगर शरीर को एनर्जी देने के लिए रिलीज करती हैं। इसके कारण वजन घटता जाता है।

फास्टिंग एक तरह से हीलिंग का काम भी करता है। इससे आपके शरीर की वे सेल्स जो खराब हो चुकी हैं, वे हट जाती है और उनकी जगह नयी बनने लगती हैं। फास्टिंग से आपकी इम्युनिटी भी बूस्ट होती है।

इससे ब्लड प्रेशर में सुधार होता है। लाइफ बढ़ती है। दिमाग कंट्रोल में रहता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म फंक्शन ठीक होता है। एक शोध के मुताबिक इससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (एक प्रकार का ह्रदय रोग) का जोखिम भी कम होता है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग से कुछ लोगों को होने वाली परेशानी

  • सिरदर्द हो सकता है
  • कब्ज की परेशानी हो सकती है
  • खाना नहीं खाने से चिड़चिड़ापन आ सकता है
  • मूड स्विंग हो सकता है
  • चक्कर आ सकते हैं
  • भूख लगने के कारण नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है
  • कमजोरी लग सकती है

इन बातों का जरूर ख्याल रखें

  • शुरुआत में उपवास की अवधि कम ही रखें। धीरे-धीरे वक्त को बढ़ाएं।
  • अगर आपको कोई दूसरी बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इस टेक्निक को अपनाएं।
  • उपवास के वक्त पानी खूब पीएं। जूस पीएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
  • उपवास को ढेर सारा खाना खाकर न खोले। पहले कोई फल खा लें। उसके आंधे घंटे बाद खाना खाएं।
  • अगर आप सिगरेट व शराब का सेवन करते हैं, तो इस फास्टिंग का फायदा नहीं होगा, इसलिए उन्हें छोड़ दें।
  • फास्टिंग को जंक फूड से न खोलें। ऐसा भी न हो कि इतना लंबा फास्ट रखने के बाद आप हद से ज्यादा ही खा लें।
  • साथ में हल्की एक्सरसाइज भी करेंगे तो वजन तेजी से कम होगा।