सपनों की उड़ान भरने के पंख

सपनों की उड़ान भरने के पंख

अपने रिश्तों, भागीदारी और बातचीत में संतुलन रखिए। यह तब होगा जब आपका दिमाग और आपका शरीर एक समन्वय में काम कर रहा होगा। यदि आपको मानसिक या शारीरिक थकान नहीं होगी तो ही आप जीवन के अन्य क्षेत्रों में बखूबी काम कर पाएँगे। कई बार हम जो पूर्व निर्धारित नहीं हैं उस घटनाक्रम के होने की कल्पना मात्र से डर जाते हैं। अज्ञात का भय हमारी ऊर्जा को खींच लेता है। दिमागी तौर पर अपने विचारों को लेकर स्पष्ट रहिए और नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहिए।

जब आपकी कोई आलोचना करता है?

जब आपकी कोई आलोचना करता है तो हमेशा उस पर सोचने की या प्रत्युत्तर देने की ज़रूरत नहीं है। जिस वजह से बिन माँगी सलाह मिल रही है उसे लीजिए और आगे बढ़िए। आपके दिलो-दिमाग में जो भी चल रहा है उसे सबके सामने रखने से हिचकिचाइए नहीं। इस विचार से बाहर निकलिए कि आपकी आलोचना होगी। आलोचना होगी तो होगी, तेनु की...इस विश्वास को जगाइए। नए अवसर तभी सामने आते हैं जब आप नया करने को तैयार होते हैं और कुछ नया करते हुए प्रशंसा ही नहीं, आलोचना भी होगी ही, उससे क्या डरना?

एक विचारधारा

एक विचारधारा कहती है कि हम बार-बार जन्म लेते हैं और बार-बार मृत्यु को पाते हैं, यदि आपका इसमें विश्वास है या नहीं भी है लेकिन इस तरह से सोचिए कि जो मरण पाता है या जिसका क्षरण होता है वह फिर से निर्मित भी होता है। इस बात पर विश्वास रखिए कि पुनर्निर्माण हो सकता है। यदि आपके हाथ से कुछ बिगड़ जाता है, तो कोई बात नहीं, हो सकता है आप इसके बाद जो रचेंगे वह अधिक उपयोगी और अधिक टिकाऊ होगा। यदि कोई समस्या आ रही है तो शांत होकर विचार कीजिए, रास्ता ज़रूर मिलेगा। अपने दिमाग के साथ दिल की भी सुनिए। दिमाग के जाले साफ़ कीजिए ताकि विचारों के ताने-बाने में उलझने की बजाय आप सटीक विचार कर सकें।

तनाव

तनाव को किसी भी रिश्ते में आने मत दीजिए। कभी-कभी आपके विचार बहुत विस्फोटक हो सकते हैं। जब आप किसी बात से सहमत नहीं होते, तो उसके बाद आपको हर बात खराब लगने लगती है। छोटी-छोटी बातें भी आपको हैरान-परेशान कर देती हैं। याद कीजिए बचपन में यदि किसी के साथ खेलते समय ऐसा होता था तो हम क्या करते थे, हम अपनी गेंद उठाते थे और अपने घर की ओर चल देते थे। दूसरे दिन फिर नए उत्साह से खेलने आते थे। ऐसा ही कुछ अब भी कीजिए। यदि कोई बात असहमति के पाले में जा रही है तो बात को वहीं समाप्त कीजिए। एक दिन का समय दीजिए और दूसरे दिन फिर नए सिरे से शुरुआत कीजिए। झगड़े को इतना तूल मत दीजिए कि वो आपकी ऊर्जा और आपके समय को जाया कर सके।

नया जन्म

हर दिन अपना नया जन्म मानिए। एक कदम पीछे हटना है तो एक कदम पीछे लीजिए, रुकिए, देखिए हमने कहाँ से चलना शुरू किया था, लेकिन फिर एक कदम आगे बढ़ाइए। आगे बढ़ते हुए हमेशा नतमस्तक रहिए, आभार मानते रहिए। आप केवल एक परछाई हैं लेकिन आप जिसकी परछाई हैं, उस प्रकाश तत्व को पहचानिए और गहरे उतरकर इसका अर्थ समझिए। आप भी उसी रोशनी से भरे हुए हैं। न्याय के रोशन पथ पर चलिए, हर रिश्ते को न्याय दीजिए। जितना अधिक आप हर रिश्ते में संतुलन ला पाएँगे उतना आप अपने जीवन को नया पाएँगे। सोचिए आप अपने रिश्ते को कैसे मजबूत कर सकते हैं?

संतुलन

विश्वास रखिए कि हो सकता है आपको एक साल लग जाए या हो सकता है एक दिन में काम हो जाए लेकिन होगा ज़रूर और यह तभी हो सकेगा जब आप संतुलन ले आएँगे। सोशल मीडिया के डिटोक्स से भी बचिए ताकि आप लगातार सूचनाओं के भंडार के नीचे दब न जाएँ। न सूचनाओं का आहार लीजिए न भोजन अधिक कीजिए। एक-दो सप्ताह हल्का आहार लेकर देखिए। आपका कम भोजन लेना सीधे आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधार देगा।

हलके हो जाइए देखिए और अपने सपनों की उड़ान भरिए। सपनों की उड़ान भरने के लिए पंख होने ज़रूरी हैं और दोनों पंखों में संतुलन भी होना चाहिए, है न?