जीवन में ‘लाइफ़’, ज़िंदगी में ‘जान’

जीवन में ‘लाइफ़’, ज़िंदगी में ‘जान’

हम ‘व्यष्टि-समष्टि’ की बात जानते हैं, अब ज़रूरत है उसमें गहरे उतरने की। गहरे उतरने पर आप जानेंगे कि चूँकि हम सभी पंच महाभूतों से बने हैं तो निश्चित ही सबमें एक समान ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। तो दुनिया में अच्छा-बुरा जो भी हो रहा है उसके लिए आप भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं, जितना कोई और क्योंकि उसमें और आपमें एक ही ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। किसी और को ज़िम्मेदार ठहराने के बजाए, खुद की ज़िम्मेदारी स्वीकारें और चार बातों को दोहराते चलें।

प्रति व्यक्ति ऊर्जा

‘होपोनोपोनो’ एक तरह का ध्यान लगाने का तरीका है। यह क्षमा माँगने की प्राचीन हवाइन पद्धति है। डॉ. जो वाइटेल को इसका जनक कहा जाता है। इसके अनुसार इन चार बातों को सूत्र की तरह याद कर लें, दिन में जितनी बार चाहें, उतनी बार दोहराते रहे। आपका अवचेतन मन अनंत ऊर्जा से जुड़ा है।

अब तक आप तैयार नहीं थे, तो अब तैयार हो जाइए। अपना स्तर ऊँचा उठाइए, दुनिया का स्तर भी ऊँचा उठ जाएगा। जैसे ‘पर कैपिटा इनकम’ बढ़ती है, जैसे किसी देश की ‘प्रति व्यक्ति आय’ बढ़ती है तो अपने आप वह देश उन्नत कहलाता है, ठीक यह भी ऐसा ही है। विश्व में जो हो रहा है, उसमें आपका भी योगदान है और यह योगदान ऊर्जा के स्तर पर है। इसे ‘प्रति व्यक्ति ऊर्जा’ की तरह समझ सकते हैं।

1. आई एम सॉरी

ऐेसे में सबसे पहले ‘आई एम सॉरी’ कहना शुरू कीजिए। माफ़ी माँगिए, मन में दोहराइए या उच्चारण कीजिए लेकिन माफ़ी माँगिए, जो आपने किया, जो आपने नहीं किया, उन सबके लिए माफ़ी माँगने को अपने दिनक्रम का हिस्सा बनाइए। माफ़ी माँगने के लिए बड़ा दिल लगता है। अपनी ग़लतियों को स्वीकारिए। जाने-अनजाने आपने किसी को आहत किया हो, किसी के साथ कुछ ग़लत किया हो तो क्षमा माँगिए। आप खुद को बोल्ड कहते हैं तो सबसे बड़ी बोल्डनेस है, अपनी ग़लतियों को समय रहते मानना।

2. प्लीज़ फ़रगिव मी

और कहिए ‘प्लीज़ फ़रगिव मी’। कहिए कि मुझे माफ़ कीजिए। सुबह उठते ही माफ़ी माँगिए और खुद को भी अपनी ग़लतियों से मुक्त कीजिए। विश्व में यह संदेश जाएगा। माफ़ी का संदेश पहुँचाइए। आपको गुरुत्वाकर्षण का नियम पता है, जो भी जाता है, वह लौटता है। अपने लिए माफ़ी माँगिए, दूसरे आपको माफ़ करेंगे, आप दूसरों को माफ़ कर पाएँगे। कृपा या ग्रेस की अवस्था में रहिए। कृतज्ञ हो जाइए।

अब तक हम दूसरों की गलतियाँ देखते आ रहे थे, आज से, अभी से अपनी ग़लतियाँ स्वीकारिए। सीधा संवाद बनाइए। अपने आपसे और दुनिया से। दुनिया से माफ़ी की अपील कीजिए। यह निवेश है, आने वाले समय के लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए, इससे आने वाली पीढ़ी भी अधिक क्षमाशील हो सकेगी।

3. थैंक्यू

और कहिए ‘थैंक्यू’। भारत जैसे देशों में यह शब्द औपचारिक संबंधों के दौरान अधिक इस्तेमाल में आता है। शाब्दिक तौर पर नहीं तो अपने व्यवहार से धन्यवाद प्रेषित कीजिए। जापानी लोगों को देखिए वे कितना झुक-झुककर सबसे मिलते हैं। उर्दू को मीठी ज़ुबान इसीलिए कहा जाता है क्योंकि उसमें बहुत अदब है। शुक्रिया शब्द गाहे-बगाहे इस्तेमाल होता है। आपके लिए किसी ने थोड़ा भी समय दिया है, आपका थोड़ा भी भला किया है, आपकी थोड़ी भी मदद की है तो पूरे मनोभाव से धन्यवाद व्यक्त कीजिए। आभार मानिए।

4. आई लव यू

और अंत में अनुराग का संदेश दीजिए। सबसे अनुराग रखिए। ‘आई लव यू’ को केवल तदर्थों में मत लीजिए, इसे सबके प्रति मैत्री भाव, स्नेह, अपनापन और लगाव से जोड़िए। सहिष्णु बनिए। यदि आप किसी से प्यार करते हैं तो उससे घृणा नहीं कर सकते। यदि आप सबसे प्यार करने लगेंगे तो घृणा, तिरस्कार, वैमनस्य, वैर जैसे शब्दों तक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इन्हें अपने जीवन से निकाल बाहर कीजिए।

फ़ुल इमोशंस

और आप ‘आई एम सॉरी’ कहें, ‘प्लीज़ फ़रगिव मी’ कहें, ‘थैंक्यू’ कहे या ‘आई लव यू’ कहें, किसी भी भाषा में कहें, अपने हाव-भाव से कहें, लेकिन पूरे मनोभाव से कहिए। केवल ऊपरी तौर पर या दिखावे के लिए मत कहिए। यह किसी से जाकर नहीं कहना है। इन चार वाक्यों को अपने आपसे कहना है, अकेले में कहना है, पूरी दुनिया के लिए कहना है। पूरे जज़्बात से, ‘फ़ुल इमोशंस’ से, पूरे मनोयोग से कहे। प्रार्थना भी तभी स्वीकार होती है, जब मन से की जाती है, वरना तो सब केवल शब्द है। शब्दों में जान डालिए, देखिए आपके जीवन में वो जो ‘मिसिंग’ है, जीवन में ‘लाइफ़’ जिसे कहते हैं, ज़िंदगी में ‘जान’ जिसे कहते हैं, आ जाती है या नहीं।