परीक्षा के तनाव को कैसे दूर करें?

परीक्षा के तनाव को कैसे दूर करें?

परीक्षा फल का परिणाम आत्महत्या

हर साल की तरह परीक्षाएँ आती हैं, परीक्षाएँ केवल तनाव देती हैं, तनाव कभी-कभी इस हद तक बढ़ जाता है कि आत्महत्याएँ हो जाती हैं। परीक्षा फल जब आता है तो भारत में आत्महत्याओं का आँकड़ा परीक्षाओं के तनाव का परिणाम दिखा जाता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 से अब तक भारत में 14,000 से अधिक छात्रों ने इस वजह से आत्महत्या कर ली क्योंकि वे परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए थे। इनमें से 55 प्रतिशत 18 वर्ष से कम आयु के थे। बोर्ड की परीक्षाएँ इसकी वजह है या परीक्षा प्रणाली या शिक्षा प्रणाली या हमारी सामाजिक व्यवस्था जो छात्रों पर इतना दबाव डाल देती है कि वे उस तनाव को झेल नहीं पाते

थोड़ा बहुत तनाव या दबाव तो ठीक है, जो बेहतर प्रदर्शन के लिए मददगार होता है। तनाव से हमारे शरीर में एड्रिनलिन हारमोन स्रावित होते हैं, जो व्यक्ति को सचेत और फ़ोकस्ड बनाए रखने में मददगार होते हैं। लेकिन अतिरिक्त तनाव का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समय रहते पढ़ाई पूरी कर लेने से अतिरिक्त तनाव से बचा जा सकता है

हर दिन पढ़ाई करने वाले, अच्छा समय प्रबंधन करने वाले, ध्यान और एकाग्रता रखने वाले, अच्छी नींद और अच्छा आहार लेने वाले छात्रों को तनाव कम होता है। परीक्षा में किस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं, उसका प्रभावी ढंग से अध्ययन करना, परीक्षा लिखने की तैयारी करते रहना और समस्या के बारे में बहुत अधिक सोचने के बजाय उसके समाधान पर ज़ोर देना, इस तनाव को बचा सकता है।

परीक्षा आपकी योग्यता, क्षमता को परखने के लिए ली जाती है लेकिन शिक्षा प्रणाली उसे मार्क्स से जोड़ देती हैं। अच्छे मार्क्स मिलना मतलब अच्छी पढ़ाई करना होता है या अच्छी तरह से विषय को समझ पाना अच्छी पढ़ाई का द्योतक होता है, इसे छात्रों के साथ उनके अभिभावकों-शिक्षकों को भी समझना होगा।

आज के छात्रों को केवल मार्क्स का तनाव ही नहीं है वे कट ऑफ़ सूची से भी डरते हैं। किसी परीक्षा में न्यूनतम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को कितने अंक पर सफल घोषित किया गया है, इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए कट ऑफ़ का निर्धारण किया जाता है। इसे साधारण अर्थों में इस तरह से समझ सकते हैं कि वे न्यूनतम अंक जिसे प्राप्त करने के बाद अभ्यर्थी किसी कॉलेज में प्रवेश या किसी पद के लिए अर्हता प्राप्त कर लेता है।

छात्रों को यह सब पता होता है लेकिन फिर भी उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता तो एकाग्रता बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। हमेशा कुर्सी और मेज पर पढ़ाई करनी चाहिए, बिस्तर पर लेटकर कभी भी पढ़ाई न करें। समय सारणी बना लें और हर विषय को पर्याप्त समय दें। लगातार 45 मिनट से अधिक न पढ़ें और बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। अपना आकलन स्वयं करते रहें। अनुशासित रहें तभी आप डर के आगे जाकर जीत पाएँगे।

और यह भी ध्यान रखें

  • सही समय पर परीक्षा केंद्र पहुँच जाएँ।
  • परीक्षा कक्ष में पहुँचने पर गहरी लंबी साँसें लें।
  • एकाग्र होने की कोशिश करें।
  • मन में सकारात्मक विचार लाते रहें।
  • प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें।
  • किन प्रश्नों को पहले हल करना है, यह तय कर लें और लिखना शुरू कर दें…जीत आपकी है।