जीवन बीत रहा है...

जीवन बीत रहा है...

एक दिन काम कीजिए, एक दिन आराम। सोमवार को जी-जान लगा दीजिए, मंगलवार कोई और काम करते हुए उत्साहित हो जाइए। बुधवार फिर खुद को झोंक दीजिए। गुरुवार थोड़ा अलग काम कीजिए, ऐसा जो आपको उत्साह से भर दे। शुक्रवार को फिर मेहनत कीजिए, शनिवार फिर अपनी मस्ती में आने वाले रविवार का इंतज़ार कीजिए। अपने भावानात्मक स्तर को संतुलित रखिए। एक दिन छुट्टी और एक दिन काम लेकिन छुट्टी मतलब कोई काम करना नहीं, बल्कि दूसरा काम करना ताकि आप जान सकें कि आपको क्या करने में आनंद आता है, पर हमें तो आनंद ढूँढने बाहर जाने की आदत है।

उजला भविष्य

चीज़ें कठिन हैं, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन हम सब यह भी तो जानते हैं कि चीज़ें कभी न कभी तो बदलेंगी ही। हो सकता है कुछ अधिक समय लगे, हो सकता हो कुछ अधिक श्रम करना पड़े लेकिन आप जितनी मेहनत करेंगे, उसका उतना फल भी निश्चित मिलेगा। अभी भी एक भविष्य है, उजला भविष्य है। मन को पक्का कीजिए और काम कीजिए, और अधिक काम कीजिए, जितना कल किया था, उससे आज और अधिक कीजिए, करते चले जाइए।

खुद की कीमत

अपने आपको परिस्थितियों का शिकार मत समझिए। परिस्थितियों को बदला जा सकता है, उसे बदलना आपके हाथ में है। अपने आपमें बदलाव लाइए। कई स्कूलों में यह प्रार्थना गाई जाती है, ‘हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें, दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें’, लेकिन स्कूल छूटने के साथ यह प्रार्थना भी हम भूल जाते हैं। दूसरों के जयकारे में लग जाते हैं, खुद की कीमत ही नहीं आँक पाते। हमें अपने पर ध्यान देना है लेकिन हम या तो दूसरों की प्रशंसा में लगे रहते हैं, या दूसरों की कमियाँ खोजते रहते हैं। अपनी कमियों और खूबियों पर ध्यान दीजिए। जो कमियाँ हैं उन्हें दूर कीजिए, जो खूबियाँ है उन्हें बढ़ाइए।

जीवन के माली

केवल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कुछ नहीं होगा। निरे मंत्र-तंत्र से कुछ नहीं होगा, इकबाल का वह शे’र याद होगा- ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है’...भगवान् भी उनकी मदद करते हैं, जो खुद की मदद करना जानते हैं। अपने लक्ष्य को पहचानिए। अपनी प्राथमिकताएँ निर्धारित कीजिए। सबसे पहला लक्ष्य या सबसे पहली प्राथमिकता क्या हो, तो खुश रहना, दूसरों को खुशी देना। दूसरों को खुश करने और खुशी देने के अंतर को पहचानिए। जब आप खुद खुश रहेंगे तो आपके पास आने वाला हर इंसान खुद-ब-खुद खुश हो जाएगा। जैसे फ़ुलों की बगिया से गुज़रते हुए आप अपने आप महक उठते हैं, है न! अपने जीवन को कूड़ा न बनाइए, उसे महकाइए। आप ही अपने जीवन के माली है। खरपतवार हटाइए और अच्छी बातों को खाद-पानी डालिए।

फिर पढ़िए

वास्तव में क्या करना चाहिए? वो कीजिए जिसमें आपका मन प्रसन्न रहता है। एक कागज़-कलम लीजिए। लिखिए आप बचपन में क्या करना चाहते थे। वो क्या था जो आपको खुशी देता था? हो सकता है बागवानी या खाना बनाना या नृत्य करना या गाना आपको अच्छा लगता था तो दिन में एक बार अपने मन को कुछ समय दीजिए। हमने मन के सुकून पर कभी ध्यान ही नहीं दिया जबकि हम सब जानते हैं कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। अपने जीवन को एक स्तर ऊँचा उठाइए। कोई किताब उठाइए, पढ़िए। हो सकता है आपने पहले उसे पढ़ा हो, फिर पढ़िए, बीसियों बार पढ़िए। हर बार कुछ नया हासिल होगा।

एक अनुभव

मोमबत्ती जलाकर देखिए, कितनी देर चलती है, समझ लीजिए उतना ही तो आपके पास जीवन है। किसी दिन 24 घंटे मोमबत्ती जलाकर देखिए। उस मोमबत्ती को ऐसी जगह रखिए जहाँ से आपको दिखती रहे। विश्वास कीजिए, जब कुछ नहीं होता, तब भी कुछ न कुछ हो रहा होता है। कुछ भी नहीं होता तब भी आपकी साँस तो चलती है न। एक बार मोमबत्ती जलाने का अनुभव कीजिए। दूसरे दिन से आपको मोमबत्ती जलाए रखने की जरूरत नहीं, आप उस बुझी मोमबत्ती को भी देखेंगे तो आपको याद आ जाएगा कि हर पल जैसे मोमबत्ती जलते-जलते बुझने लगती है, वैसा ही आपका जीवन है और ठीक तभी से काम में जुट जाइए, जीवन बीत रहा है।