असंभव कुछ भी नहीं

असंभव कुछ भी नहीं

नेपोलियन का बड़ा प्रसिद्ध वाक्य है कि ‘असंभव’ शब्द मेरे शब्दकोश में है ही नहीं। अंग्रेज़ी में इसे इम्पॉसिबल स्पैलिंग के हिज्जे कर कहा जाता है ‘आई एम पॉसिबल’।

असंभव चमत्कार

जो बात नेपोलियन कह सकता है, वो हम और आप क्यों नहीं। हम और आप यानी कि हम सभी करोड़ों कोशिकाओं से बने स्वयं में ही असंभव चमत्कार हैं। जब हम स्वयं चमत्कार हैं तो शेष अन्य चमत्कारों को हम नकारते क्यों हैं? और हम ऐसा क्यों मान लेते हैं कि अमुक या तमुक हो ही नहीं सकता...चाहे तो कुछ भी हो सकता है, सब कुछ संभव है। आपने अब तक यह चयन किया था कि ऐसा नहीं हो सकता इसलिए वैसा नहीं हो रहा था, जबकि आसमान को ज़मीन पर उतार लाने तक का माद्दा आपमें हैं, हममें है, हम सबमें है। आप जो चाहते हैं उसे पा सकते हैं, बशर्ते आपका उस पर विश्वास हो।

एक दिन में

आप फलाँ काम नहीं कर सकते, यह विचार करना ही ग़लत है। जो आप करना चाहते हैं उसे प्यार से, पूरी शिद्दत से कीजिए, सब कुछ बदल सकता है। आप कर सकते हैं, इस विश्वास को अपने लिए चुन लीजिए और देखिए आप हर काम कर लेंगे। आप देखिए उसके बाद आप कैसा महसूस करते हैं। आप क्या सोच रहे हैं, उसे देखना शुरू कर दीजिए, अपनी कीमत खुद कीजिए। एक दिन में आप अपनी दुनिया बदल सकते हैं।

अपना अनुभव

जब आप अपनी दुनिया बदल लेंगे तो उस अनुभव को दूसरों के साथ बाँटिएगा। उन लोगों को बताइएगा जिन्होंने कभी आपका मार्ग प्रशस्त किया था, जो आपके व्यावसायिक भागीदार रहे हैं, जो आपके सहयोगी-कर्मचारी या रचनात्मक भागीदार, दोस्त याकि अजनबी भी हैं...अपना अनुभव अधिक से अधिक लोगों को बताएँगे तो वे भी उसका लाभ ले सकते हैं

अगला मुकाम

आपको अपनी विचार शैली बदलनी है। किसी ने आपको घुटने के बल झुका दिया तो यह मत सोचिए कि उसने ऐसा क्यों किया, यह देखिए कि उससे आपको क्या सबक मिला? अनुभवों के स्तर पर आप किसी एक अनुभव से भी कितने समृद्ध हो गए, यह देखिए। आप समृद्ध हैं इस विश्वास के साथ अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत कीजिए। जो भी करें उसमें सद्भाव और अपनापन लेकर आइए। सद्भाव को अपने जीवन का हिस्सा बनने दीजिए, अपने जीवन को अगले मुकाम तक ले जाने की कोशिश कीजिए।

आप दूसरों के लिए जितना करते आ रहे हैं, उसे अब दुगुनी शिद्दत से करना शुरू कर दीजिए। दूसरों के घावों पर मरहम लगाइए, देखिए आपके घाव भी भरते चले जाएँगे। अपनी भावनाओं को ऊर्जा दीजिए। अपनी भावनाओं को संबल देकर ही आप उन पर काम कर सकते हैं और सकारात्मकता को ला सकते हैं। अपने सोच के स्तर को बड़ा रखिए।

दुनिया को बताइए

आप थकान और तनाव क्यों महसूस करते हैं? क्योंकि आप जो कर रहे होते हैं उससे खुद को जोड़ नहीं पाते, जो आप कर रहे हैं, वो आपको प्रेरित नहीं कर पाता। इस वजह से आप अवसादग्रस्त, तनावग्रस्त और बिखरे हुए से हो जाते हैं। आप खुद की काबिलियत पर शक करने लगते हैं। जबकि आप स्वयं अपने आपमें अनूठा चमत्कार हैं। इसे खुद को बताइए, दुनिया को बताइए।

आप अपने आसपास की दुनिया के किस तरह की ऊर्जा से जुड़ते हैं, वह बहुत मायने रखता है। यदि आप थकान और नैराश्य से अपने आसपास की दुनिया को टटोलेंगे तो दुनिया से भी आपको वही मिलेगा। यह कोरी बातें नहीं, जीव विज्ञान है। यदि आप तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करते हैं तो आपके शरीर का हर पुर्जा उस खिंचाव को महसूस करता है। यदि भीड़भाड़ वाली सड़क पर कोई अचानक से आपकी कार से टकरा जाता है तो गुस्सा आपके केवल मन या चेहरे पर नहीं, पूरे शरीर पर दिखता है, है न!

जटिल कलयंत्र

सारे विवाद, फसाद और निराशा और टूटन...बताइए कहाँ जाकर संचित होती है? आपके शरीर में, जो आपको थका देती है। जिसने भी इनका अनुभव किया है, उन्होंने पाया है कि वह सब उनकी देहयष्टि में दिख जाता है। किसी भी जटिल कलयंत्र की तरह आपका शरीर जो मशीन है और आपका शरीर जो आपकी ऊर्जा है, इन कई सालों में कई उतार-चढ़ावों से गुज़र चुकी है। अब उसकी देखभाल करने की ज़रूरत है। जब आपको चोट लगती है और खपली चढ़ती है तो हर बार उसे कुरेदकर नहीं देखते, अन्यथा वह चोट कभी भर नहीं सकती। अपनी चोटों को हर बार कुरदेते मत रहिए। आगे बढ़िए, दुनिया को जीत लीजिए।

व्यावाहारिक सोच

फिर एक बार नेपोलियन की बात, नेपोलियन जिन प्रांतों को जीतकर पार कर लेता था वो उन पुलों को तोड़ देता था, जो प्रांतों तक पहुँचने के लिए बने थे। वह ऐसा इसलिए करता था कि पीछे लौटने का रास्ता न रहे। नेपोलियन की इस व्यावाहारिक सोच को अपनाइए। जिन चोटों को आप झेल चुके हैं, मतलब उन्हें जीत लिया है, अब उन चोटों को बार-बार याद मत कीजिए। आगे बढ़िए। जो नेपोलियन कर सकता था, हम भी कर सकते हैं। याद रखिएगा असंभव कुछ भी नहीं है।