ये छोटा-सा नज़राना...

ये छोटा-सा नज़राना...

‘बता दूँ क्या लाना, तुम लौट के आ जाना, ये छोटा-सा नज़राना, पिया याद रखोगे कि भूल जाओगे’ गीतकार मज़रूह सुल्तानपुरी के शब्दों और लता मंगेशकर की आवाज़ में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीतबद्ध किया ‘पत्थर के सनम’ फ़िल्म (1967) का यह गीत किसी समय बहुत बजता और सुना-पसंद किया जाता था। किसी पत्थरदिल सनम के लिए गाया यह गीत क्या केवल प्रेमी-प्रेमिका की बात भर है? यदि इसे विस्तार दें तो यह गीत हर रिश्ते पर लागू होता है।

गिफ़्ट और रिटर्न गिफ़्ट

महँगे गिफ़्ट देना और लंच या डिनर पर मिलना मतलब बिज़नेस मीटिंग करना, कॉरपोरेट जगत् का चलन है। जाने कैसे यह चलन हमारे घरों तक आ गया। बच्चों की बर्थ-डे पार्टियों से होता हुआ यह शगूफ़ा महानगरों से छोटे कस्बों तक पहुँच गया। अब हर मुलाकात गिफ़्ट लेने-देने की प्रथा बन गई है। किसी को गिफ़्ट देना और उससे रिटर्न गिफ़्ट लेना आम चलन हो गया है। जबकि सच बताइए इस औपचारिकता में रिश्तों की गर्माहट रह पाती है क्या? जैसे शादी-ब्याह में नाते-रिश्तेदारों से आने वाले शगुन के लिफ़ाफ़ों के बारे में लिखा जाता था और उन परिवारों में ऐसा कोई अवसर आने पर उसी हिसाब से तोल-मोल कर दिया जाता था, वैसा ही कुछ हर छोटे-बड़े अवसरों पर होने लगा है।

उपहार - स्टेटस बन गया है

दो या दो से अधिक लोग जब मिलते हैं तो ऊर्जा का अनंत संचार होता है। यदि उसमें उष्मा नहीं रही, ठंडापन रहा तो कोई तोहफ़ा उसे नहीं भर सकता और यदि रिश्तों में जान है तो बेजान उपहार तो और बेमानी हो जाता है। लोगों का लोगों से मिलना सबसे बड़ा उपहार है। इंटरनेट पर कई साइट्स आपकी ओर से उपहार भिजवाने लगी हैं, आपकी ओर से कस्टमाइज़ मैसेज भेजने लगी हैं, इनका क्या औचित्य है? कई बार रस्म अदायगी में उपहार भिजवा दिए जाते हैं। कई बार किसी से मिलने का समय न हो तो उसकी भरपाई में उतना बड़ा उपहार दे दिया जाता है। कई बार उपहार देना और लेना स्टेटस बन जाता है।

जब यह स्टेटस दिखाने का आडंबर बन जाता है तो ब्रांड और उसकी ब्रांड वैल्यू से व्यक्ति की कीमत तय होती है। एक किस्सा प्रसिद्ध नाटककार बर्नार्ड शॉ के बारे में प्रसिद्ध है, इसे मुल्ला नसीरुद्दीन शाह के नाम से भी पढ़ा-सुना जाता है। किस्सा यूँ है कि किसी दावत में वे सादे कपड़ों में चले गए तो किसी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी, उसके बाद वे सूट-बूट या भारी मखमली कुर्ता-पाजामा पहन पहुँचे तो हर कोई उनकी आवभगत करने लगा। तब उन्होंने अपने परिधान में लज़ीज़ व्यंजनों को उड़ेलना शुरू कर दिया। उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों कर रहे हो तो उन्होंने कहा कि यहाँ मेरी नहीं, मेरे कपड़ों की पूछ-परख हो रही है, सो उन्हें खिला रहा हूँ। यही हाल उपहारों की कीमत से व्यक्ति की कीमत आँकने वाली स्थिति में भी है।

रिश्तों की गर्माहट

छोटे बच्चे तुरंत आपकी ओर दौड़े आते हैं, उन्हें आपके वस्त्रों से कोई मतलब नहीं होता। इसी तरह बुजुर्ग भी आपको अपने पास बैठने के लिए कहते हैं,आपके सिर-चेहरे को अपने झुर्रीदार हाथों से सहलाते हैं। इन दोनों आयु वर्गों के लोगों को आपसे क्या चाहिए होता है, केवल आपका स्पर्श, आपके होने की गर्माहट। युवा मन भी स्पर्श के लिए आतुर होता है, लेकिन उसमें कई बार दैहिक आकर्षण होता है जबकि बच्चों या बूढ़ों के पास यह जुगुप्सा नहीं है। बात जो भी हो, रेखांकित करने वाली बात यह है कि उपहार से अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति का व्यक्ति से मिलना है।

सही गिफ़्ट

एक बुजुर्ग ने एक किस्सा बताया कि उन्होंने अपने पोते को श्रीमद्भागवत गीता (बाइबल भी कह सकते हैं) उपहार में दी तो पोते ने उन्हें फ़ुटबॉल उपहार में भेज दी। तर्क कहता है कि बुजुर्ग को उनके हिसाब से जो सही लगा वो उन्होंने दिया और पोते को भी जो उसके हिसाब से योग्य लगा वो दिया। तार्किक तौर पर दोनों ही ग़लत नहीं थे। फिर ग़लत क्या था? ग़लत यह था कि हमारे पोथी-पुराण या धर्मग्रंथ हमें सही राह पर चलना सिखाते हैं, जो किसी भी उम्र में सीखना लाज़मी है लेकिन फ़ुटबॉल हर उम्र में नहीं खेली जा सकती। उतनी ताकत और इच्छाशक्ति बूढ़ी हड्डियों में होगी ही, यह ज़रूरी नहीं। एक पहलू यह है कि उपहार वह दिया जाना चाहिए, जिसे पाकर आप खुद खुश हो सकते हैं लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि उपहार जिसे दिया जा रहा है वह उसके काम का है भी या नहीं। किसी टीटोटलर (केवल चाय पीने वाला) को यदि आप शैम्पेन गिफ़्ट कर देंगे तो वो उसका क्या करेगा? शायद वह किसी और को थमा देगा।

उपहार देना ही है तो ऐसा दें, जो किसी व्यक्ति को काम आ सके लेकिन जिस रिश्ते में उपहार से ज़्यादा महत्वपूर्ण आपका होना भर है, वहाँ आप स्वयं जाइए। टूटती आस को जिलाए रखने का सहारा दीजिए। अपनी ही ग़ज़ल का एक शेsर याद हो आया... ‘यों मुलाकात के जो इशारे मिले/ आस टूटी नहीं वो सहारे मिले’..तो उनसे मिलिए, जो आपसे मिलना चाहते हैं। आपसे मुलाकात ही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार होगी...इस ‘आरज़ू’ को देखिए, सुनिए यहाँ

आरज़ू...The Longing https://youtu.be/Uzr4nXW-AZE