अँधेरा ही उजाले की राह दिखाता है

अँधेरा ही उजाले की राह दिखाता है

पहले लोग एक-दूसरे की आप-बीती सुना-समझा करते थे और अपने जीवन की परेशानियों के हल भी उन्हें मिल जाया करते थे। जीवन में कुछ भी सीखना हो तो उसका सही तरीका है कि आप दूसरों की कहानियाँ सुनिए। किसी और की कहानी सुनकर क्या होगा? और किसके पास इतनी फुर्सत है कि दूसरों की राम कहानी सुनते रहें?? या क्यों भई, हम क्यों सुनें???

यदि ये आपके सवाल हैं तो उसका जवाब है जब आप किसी की भावनाओं को समझते हैं तो उसके साथ आपकी स्मृति जुड़ जाती है। अक्सर लोगों को यह याद नहीं रहता कि उनके साथ एकदम सही-सही क्या घटा था लेकिन उन्हें याद रहता है कि उस वक्त उन्हें कैसा महसूस हुआ था

भावना में बहकर

आपने जब पहली बार बर्फ़ का रंग-बिरंगा गोला खाया था, तो आपको कैसा महसूस हुआ था? जब आप उस भावना को याद करते हैं तो आपको उससे जुड़ी और भी दूसरी बातें याद आने लग जाती हैं मसलन वो कब खाया था, किसके साथ खाया था, कौन-कौन आपके साथ थे, किस समय खाया था, मौसम कौन-सा था और कहाँ खाया था, किस शहर, गली-मोहल्ले में…आप उसे विस्तार से याद कर पाते हैं केवल उस भाव तक पहुँच कर।

स्टोरी टैलिंग

यह बताता है कि अनुभव और भावनाएँ आपके दिमाग को ताकत देती हैं। हम कई बार लोगों को इमोशनली फ़ूल कहते हैं, उन्हें पागल, बावरा कहते हैं लेकिन उनकी स्मरण शक्ति दूसरों से कई गुना अधिक इसी वजह से होती है क्योंकि वे अपनी भावनाओं और अनुभवों से अधिक गहरे जुड़े रहते हैं।

अब उस बात पर आते हैं, इसलिए कहा जाता है किसी की स्टोरी टैलिंग को सुनना एकदम सही तरीका है जिसके ज़रिए आप दूसरों के अनुभवों से सीख सकते हैं, बजाय खुद उन अनुभवों से गुज़रने के

निश्चित पैटर्न

जैसे-जैसे आप ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से जुड़ते हैं, उनकी आपबीती सुनते हैं,आपके ध्यान में एक निश्चित पैटर्न आता है। हर किसी के अतीत में कोई न कोई काला पन्ना होता है जो उन्हें कुछ अधिक सोचने पर मजबूर करता है। लोग उस पन्ने को याद करना नहीं चाहते, उसे बुरी यादें या खराब अतीत कहते हैं लेकिन वही आपको कई बार अध्यात्म की ओर ले जाता है। अँधेरा ही आपको उजाले की राह दिखाता है, या यूँ कह लें, उजाले की कीमत अँधेरे में ही पता चलती है।

वे किस्से

हालाँकि कई बार लोग उन अनुभवों को बाँटना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि वे उनके जीवन के गर्व किए जाने वाले किस्से हैं। शायद ये वे स्मृतियाँ होती हैं, जिन्हें वे याद तक कर दोहराना नहीं चाहते, वे नहीं चाहते कि उन बातों की याद भी आए और बड़ी शिद्दत से उन यादों को दबा देना चाहते हैं। या उनका इतना गहरा असर आपके मन-मस्तिष्क और ज़िंदगी पर पड़ा होता है कि आप आने वाली हर घटना पर पिछले अनुभवों से ही रिएक्ट होने लगते हैं।

जीवन अनुभव

जो भी हो लेकिन हर कोई बुरी बातों को भूल जाने की कोशिश में उन यादों को दबाता है और कहीं न कहीं वह अपने जीवन में प्रकाश को आने से भी रोकता है क्योंकि पिछली बातों का बोझ उसे आगे बढ़ने ही नहीं देता। आगे बढ़ने के लिए ‘बीती ताहि बिसार दे’ के साथ ही उनसे सीखते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्हें आपके जीवन से अलग नहीं कर सकते। उन ख़राब अनुभवों से गुज़रे बिना आप यहाँ तक नहीं पहुँचे हैं। उन कटु अनुभवों ने आपके जीवन अनुभव को समृद्ध किया है, आपको अधिक सक्षम बनाया है। आपको अपने पिछले अनुभवों की ज़िम्मेदारी उठानी ही होगी तभी आप चमक सकते हैं।

हीरा कोयले की खान में होता, सोना तपकर निकलता है और कीचड़ में ही कमल खिलता है, सबको पता है, आपको भी पता होगा। जब तक हीरा उस कोयले को नहीं स्वीकारेगा, सोना उस दाह को नहीं झेलेगा और कमल उस कीचड़ में नहीं रहेगा तब तक दमकेगा भी नहीं। यह आसान काम नहीं है।

हमारा मस्तिष्क इस तरह से तैयार होता चला जाता है कि जहाँ हमें आभास होता है कि इस वस्तु, व्यक्ति, घटना या परिस्थिति से हम परेशान हो सकते हैं, हम या तो उन परिस्थितियों से लड़ने लग जाते हैं या उनसे पीछा छुड़ाकर भागने की कोशिश करते हैं जबकि हमें उन्हें स्वीकार करना और सामना करते रहना चाहिए। यह मानते हुए कि आपकी तकलीफ़, आपकी पीड़ा ही आपकी उन्नति का मार्ग है। ठोकर से ही सीखेंगे और सीखेंगे तभी चल सकेंगे, चलेंगे तभी दौड़ सकेंगे।