क्यों तुम्हें साबित करना है कि तुम सुपर वुमन हो?

क्यों तुम्हें साबित करना है कि तुम सुपर वुमन हो?

वाह यार… तुम घर-ऑफिस दोनों कितना बढ़िया संभाल लेती हो। तुम्हारा तो घर भी हमेशा एकदम साफ-सुथरा रहता है। बच्चों का होमवर्क भी खुद कराती हो। सारे त्योहार, पूजा-पाठ, उपवास भी नियम अनुसार करती हो। तुम तो सुपरवुमन हो…यही वो शब्द है, जो हर महिला खुद के लिए सुनना चाहती है। खुद के लिए ऐसी तारीफ सुनने के लिए वह सुबह से रात तक काम में खुद को झोंक देती है। न दिन देखती है और न रात। घर का हर कोना, हर काम, हर चीज परफेक्ट करने में लगी रहती है।

सभी को खुश रखने के तरीके तलाशती रहती है और सालों साल यही सब करने के बाद जब पूरी जिंदगी निकल जाती है, तब उसे अहसास होता है कि इस शब्द का मेडल पाने के अलावा उसने जीवन में कुछ नहीं पाया। सभी की खुशी का इतना ख्याल रखा कि खुद की खुशी के लिए कुछ भी करने का वक्त ही नहीं मिला।

क्यों यकीन दिलाना चाहती हो सबको तुम

एक कवियत्री है अनामिका जोशी, जो सोशल साइट्स पर ‘बत्तो की बकवास’ नाम से मौजूद हैं। उन्होंने इस पर बहुत अच्छी बात कही है। ‘क्यों दिखाना है तुम्हें कि तुम सब कुछ कर सकती हो। घर का, बाहर का, पड़ोस का। क्यों यकीन दिलाना चाहती हो सब को कि तुममे कोई किसी तरह की कमी नहीं है। तुम्हारे इसी सुपर ह्युमन बनने के चक्कर में न, कुछ लोग सुपर लेजी बनते जा रहे हैंचिल करो, लाइफ को एंजॉय करो। जैसी हो, वैसी रहो। जितना कर सकती हो, उतना करो। कुछ प्रुफ करने की जरूरत नहीं है तुम्हें। ठीक है।’

एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस मंदिरा बेदी ने बहुत अच्छी बात कही, जब उनसे पूछा गया कि आप किशोर उम्र वाली मंदिरा बेदी को कुछ संदेश दे सकतीं, तो क्या देती। उन्होंने कहा- खुद से प्यार करो। मैं यही कहती उसे। मंदिरा ने कहा कि 20-30 साल की उम्र में मैंने खुद से उतना प्यार नहीं किया, जितना करना चाहिए था। मुझे काफी देर से समझ आया कि इंसान का खुद से प्यार करना कितना जरूरी है। कई महिलाएं खुद के लिए बहुत कठोर होती हैं। खुद को बहुत ज्यादा तकलीफ देती हैं, जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए।

जब व्ही मेट फिल्म में करीना कपूर का डायलॉग था ‘मैं खुद की फेवरेट हूं।’ यह काफी फेमस हुआ, क्योंकि लोग उस किरदार की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं, जो खुद से प्यार करें। हर पल को खुलकर जीएं। भविष्य की चिंता करके अपने वर्तमान को खराब न करें। अपने निर्णय खुद लें, ताकि बाद में किसी को दोष नहीं दे सकें। बस यही सब तो हमें, यानी हर महिला को करना है।

क्या होगा अगर कभी, कोई काम आपने नहीं किया?

क्यों हम घर को बहुत सुंदर साफ-सुथरा बनाने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। खासतौर पर तब भी, जब हमारा शरीर साथ नहीं देता, जब हमेंं दूसरा कोई काम होता है। क्या होगा अगर एक दिन डस्टिंग नहीं होगी? कपड़े नहीं धूलेंगे? क्या होगा अगर खाना बाहर से ऑर्डर करना पड़ेगा? खाने में ज्यादा आइटम नहीं होंगे? चाय पति को खुद बनानी पड़ेगी? क्या होगा अगर आप एक दिन आराम से सोकर 10 बजे उठेंगी?

क्या होगा अगर आप एक पूरा दिन घर के काम से छुट्‌टी ले लेंगी और सहेलियों के साथ बाहर मजे करेंगी? कुछ दिनों के लिए वेकेशन पर चली जायेंगी? क्यों नहीं हो सकता ये सब? क्या आप इंसान नहीं है? क्या आपको सभी की तरह ये सब करने का हक नहीं है? क्यों सारे काम खुद करने पर आप तुली हुई है? कभी-कभी इनमें से कोई काम आप न करें या कोई और करे तो कोई भूकंप नहीं आने वाला है, इतना यकीन रखें।

चिल करें, आराम करें, जिंदगी को एंजॉय करें। मर-मर के न जीएं। इस तरह रोबोट की तरह सुबह से रात तक काम करके आपकी पूरी जिंदगी रेत की तरह हाथों से यूं ही फिसल जायेगी।

जस्ट बिकॉस आइ डोंट केयर

डायस मीडिया की एक वेब-सीरीज है, जिसमें रेणुका शहाणे सास बनी है। वह जब पहली बार अपने बेटे-बहू के घर रहने आती हैं, तो देखती है कि बहू हर काम परफेक्ट करने में लगी है। सोफे के तकिये बार-बार जमा रही है। चीजें सही जगह रख रही है। स्ट्रेस ले रही है। वह उससे कहती हैं कि ‘छोड़ दो ये सब ऐसे ही। क्यों जमा रही हो? चिल करो’।

तब बहू पूछती है ‘आप कभी स्ट्रेस नहीं लेते? आप इतने सुलझे हुए कैसे हो? स्कूल, घर, पापा सबकुछ को इतनी शांति से कैसे हैंडल कर लेते हो? वह कहती हैं, ‘जस्ट बिकॉस आइ डोंट केयर।’। वह आगे कहती है, ‘तुम विश्वास नहीं करोगी। जब मैं तुम्हारी उम्र की थी, तब तुमसे भी ज्यादा स्ट्रेस लेती थी। एक तो ससुराल में बहुत बड़ा परिवार था। मैंने वो स्ट्रेस ले लिया था कि मुझे परफेक्ट बनना है। परफेक्ट बहू, परफेक्ट वाइफ, परफेक्ट मदर। मैं इतनी चिड़चिड़ी हो गयी थी कि मैं सब से झगड़ती थी। एक दिन मैंने खुद को आइने में देखा और सोचा। क्या हो गया है मुझे। मैं ऐसी तो नहीं थी। तभी मैंने तय किया, ये सब रोकना होगा। दूसरे दिन मैं सुबह उठी। सबको चाय दी, लेकिन किसी को अगर काली मिर्च की जगह अदरक की चाय मिल जाती, तो मैं टेंशन नहीं लेती। सोचती कि जाने दो। आइ डोंट केयर। चाय तो मिली। अगर आपको इतनी ही परफेक्ट चाय चाहिए तो आप किचन में जाइए और खुद बना लीजिए। वह बहू से कहती हैं, हर चीज अपनी मर्जी के हिसाब से नहीं होती। किसी के पास सबकुछ नहीं होता। जो अपने पास है न, वही सबकुछ है।

जो करना है, अभी करना है

अगर आपको लगता है कि बेटे की शादी होगी, बहू आयेगी तो काम में मदद करेगी। अपनी जिम्मेदारियां उसे देकर आप फिर आराम से रहेंगी, तो ये भूल जाएं। ऐसा होगा ही, ये जरूरी नहीं है। हो सकता है कि बहू को काम करना पसंद न हो, वह नौकरी करती हो। हो सकता है कि बेटा-बहू दूसरे शहर जाकर सेटल हो जाएं। तब आप क्या करेंगी? इसलिए भविष्य में आराम मिलेगा, ये उम्मीद लगाकर अभी मेहनत करने का कोई मतलब नहीं।

जो है, वो अभी है। अभी से अपने लिए समय निकालना शुरू करें। दूसरे को इम्प्रेस करने के लिए, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, सहेलियों की तारीफ पाने के लिए आप जी-जान से काम कर रही है, वो आपकी सेहत पर असर डाल रही है। हम ये नहीं कह रहे कि घर को एकदम गंदा रखें, खुद न नहाएं, खाना न बनाएं। हम बस ये कह रहे हैं कि कभी-कभी इन कामों को टाल देंगी और खुद को वक्त देंगी तो कुछ बिगड़ेगा नहीं। बस आपकी जिंदगी खुशनुमा हो जायेगी।