दूसरी शादी करने में मददगार होंगी ये 8 बातें

दूसरी शादी करने में मददगार होंगी ये 8 बातें

कोई भी इंसान अकेला नहीं रहना चाहता है। सभी को लगता है कि कोई ऐसा हमारे साथ हो जो मरते दम तक साथ निभाये। हमारे साथ-साथ बुढ़ापे तक के सुहाने सफर पर चले, लेकिन सभी का ये सपना पूरा नहीं होता। कभी जीवनसाथी मृत्यु की गोद में समाकर हमें अकेला छोड़ जाता है तो कभी परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि साथ रहना मुश्किल हो जाता है और तलाक का रास्ता अपनाना पड़ता है।

इस कठिन समय के गुजरने के कुछ सालों बाद जब हम अपने हमउम्र लोगों को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छी जिंदगी जीते देखते हैं तो फिर से अकेलेपन का अहसास होने लगता है और दिल में दोबारा शादी का ख्याल आता है। अगर आप भी अभी इसी राह पर खड़े हैं तो इसे पूरा पढ़ें। हो सकता है कि आपको मदद मिले।

1. दोबारा शादी सोच-समझकर, परखकर ही करें

वैसे तो शादी सोच-समझकर ही करनी चाहिए, लेकिन अगर आप दूसरी बार, तीसरी बार या चौथी बार शादी कर रहे हैं, तो समझदारी दिखाना, सोचना, परखना पहली शादी से भी अधिक जरूरी है। पहली शादी से आपके पास रिश्तों को लेकर काफी अच्छा व बुरा अनुभव होता है, इसलिए आप दूसरी शादी के वक्त सामनेवाली की उन सभी बातों को अच्छी तरह समझ लें, जिनके कारण आपको परेशानी हो सकती है या आप दोनों की ट्यूनिंग बिगड़ सकती है। आप बिना किसी झिझक के उनके स्वभाव को लेकर, आदतों को लेकर, घरवालों को लेकर ढेर सारे सवाल पूछें और अच्छी तरह जांच-परखकर, तसल्ली होने पर ही शादी के लिए हामी भरें।

2. परिवार के दबाव में शादी न करें

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चों की पहली शादी असफल होने के बाद या जीवनसाथी की मृत्यु के बाद पैरेंट्स चिंता करने लगते हैं और उन पर दोबारा शादी का दबाव बनाने लगते हैं। पैरेंट्स के दबाव में आकर बच्चे बिना ज्यादा सोचे-समझे हां बोल देते हैं। अगर पहली शादी लव मैरिज थी या पैरेंट्स के खिलाफ जाकर की थी, तब तो उन पर और ज्यादा दबाव होता है कि अब दूसरी शादी हमारी पसंद से ही करो। बच्चे दबाव में हां बोल देते हैं और बाद में महसूस होता है कि दूसरी शादी भी गलत व्यक्ति से कर ली। तब वे मजबूरी में रिश्ता निभाने लगते हैं, ये सोचकर कि लोग क्या कहेंगे।

इसलिए बेहतर है कि भले ही पैरेंट्स का दबाव हो, लेकिन शादी के लिए तभी हां करें, जब आपका दिल करे। जब सचमुच रिश्ता आपको पसंद हो। उस इंसान को जानने-समझने के लिए भरपूर समय लें और रिश्ता पसंद न आये तो पैरेंट्स को साफ मना कर दें क्योंकि आखिरकार जिंदगी आपको उस घर में काटनी है। पैरेंट्स को आपकी परवाह होगी तो वे आपकी बात को जरूर समझेंगे। उन्हें प्यार से समझाएं।

लड़कियों के मामले में अगर मायके में आपको बोझ की तरह देखा जा रहा है तो आर्थिक रूप से सक्षम होने पर अपना फोकस रखें। अच्छी नौकरी लग जाये तो अलग रहने लग जाएं, लेकिन शादी तभी करें, जब आप चाहते हैं। खुद को बोझ समझकर किसी से भी शादी न कर लें।

3. सिर्फ बच्चों की खातिर शादी न करें

अगर आप लोगों की बातें, सवाल सुन-सुन कर परेशान हो गयी हैं और आपको डर है कि बच्चों को बिना पिता के नाम के परेशानी होगी… इन वजहों से आप शादी कर रही हैं, तो एक बार फिर सोच लें। ऐसी कई औरतें हैं, जो पहली शादी असफल होने के बाद अकेले रह रही हैं और काफी खुश हैं। अपने करियर पर फोकस कर रही हैं। ऐसी भी औरते हैं, जो अपने बच्चों की परवरिश अकेले कर रही हैं। सिर्फ बच्चों को पिता का नाम देने के लिए, उनकी खातिर दोबारा शादी करना ठीक नहीं है। शादी तभी करें जब सचमुच आपको किसी हमसफर की जरूरत महसूस हो और आपको कोई उस तरह का इंसान मिल जाये। वैसे जब आप सिंगल भी रहेंगी, तब भी आपके दोस्त और परिवार वाले हमेशा साथ रहेंगे।

4. पहले बच्चों को मेंटली तैयार कर लें

दोबारा शादी करने का फै़सला न सिर्फ आपकी जिंदगी बदल देगा, बल्कि बच्चों की बदलेगा, इसलिए इस बदलाव के लिए बच्चों को भी तैयार करें। कभी भी बच्चों को अचानक न बतायें कि मैं शादी कर रही हूं या कर रहा हूं इस इंसान से। बच्चे ये सब अचानक सुनकर बिखर सकते हैं। बेहतर है कि जिनसे आप शादी करना चाहते हैं, पहले उन्हें बच्चों से यूं ही दोस्त की तरह मिलवाएं। जब बच्चे उनसे घुल-मिल जाएं तब बच्चों से बात कर पता लगाएं कि वे उनके बारे में क्या सोचते हैं? क्या वे उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त रहना चाहते हैं? इस तरह धीरे-धीरे बच्चों को मन समझें और उसे बातचीत से अपनी तरफ करने की कोशिश करें।

एक बात याद रखें कि जो बच्चे कुछ समय से केवल एक पैरेंट के साथ रह रहे होते हैं, उनके लिए उनका वह पैरेंट बहुत खास होता है। वह उनके साथ बिताया जाने वाला समय व प्यार किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहते। खासतौर पर जिंदगी में अचानक आये इस नये इंसान के साथ। इसलिए बच्चों को यकीन दिलाएं कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं और इस नये इंसान के आने से भी आप दोनों के रिश्तों में कोई बदलाव नहीं आयेगा। बल्कि आप लोग और ज्यादा खुश रहेंगे और ज्यादा मजे करेंगे। बच्चों को इस शादी से होने वाले फायदे बताएं ताकि वे भी एक्साइटेड हों।

हमेशा ध्यान रखें कि बच्चों का दिमाग बहुत नाजुक होता है, कई बार ऐसे बड़े फै़सले उनके लिए ट्रॉमा बन जाते हैं। इसलिए उनका बहुत ख्याल रखें। जब तक वे तैयार न हों, शादी को रोक कर रखें। उन पर जबरदस्ती ये बदलाव नहीं लादें।

5. लोगों का सामना करने के लिए खुद को मजबूत करें

हम में से कई लोग भले ही अब समाज की परवाह नहीं करते हों, लेकिन यह बात भी सच है कि कई बार लोगों द्वारा कही गयी बातें हमें दुख पहुंचाती हैं। इसलिए शादी का फैसला करने के साथ ही खुद के मन को भी मजबूत करें। ये मानकर चलें कि लोग अलग-अलग तरह से घुमा-फिरा कर ताना मार सकते हैं और आपको इसके लिए खुद को तैयार रखना है। दुखी नहीं होना है। आपको बस अपनी खुशी, अपनी जिंदगी, अपने हंसते-खेलते परिवार पर फोकस करना है, क्योंकि जब आप अकेले थे, तब किसी ने आपको साथ नहीं दिया।

6. नये जीवनसाथी के बच्चों का दिल जीतना भी है जरूरी

समाज क्या कहेगा? इससे आप पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन आपको उस इंसान का दिल जरूर जीतना होगा, जिसके साथ आप रहने वाले हैं, यानि कि आपका नया ससुराल। खासकर के जीवनसाथी के बच्चे। वे बच्चे भी आपको यूं ही अपनी जिंदगी में शामिल करने से कतरायेंगे। उनके दिमाग में भी उनके असली माता-पिता की एक छवि है, वे उनसे प्यार करते हैं। वे उनकी जगह आपको तुरंत नहीं देंगे

इसलिए उनका दिल जीतने के लिए पहले उनके दोस्त बनें। उनका स्वभाव समझने की कोशिश करें। पसंद-नापसंद पता लगाएं। सबसे खास बात यह कि अपने बच्चे और जीवनसाथी के बच्चे में कभी भी कोई भेदभाव न करें। बच्चे इस बात को खास तौर पर नोटिस करते हैं। हो सकता है कि दोनों परिवारों के बच्चे अब साथ रहने पर एक अनकहे कॉम्पीटिशन में भाग ले रहे हों। जब उनके माता-पिता दूसरे बच्चे को समय दें, प्यार दें तो वे एक-दूसरे से जलन करें। इन छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें कि ऐसी परिस्थिति पैदा न हो।

7. तलाक की असली वजह साफ-साफ बताएं

अगर आपकी पहली शादी टूटने की वजह तलाक थी तो इसके बारे में अपने होने वाले जीवनसाथी से कुछ न छिपाएं। तलाक की असली वजह बताएं। अगर आपकी गलती थी, तो भी बताएं। आप खुद भी इस बात का ध्यान रखें कि जिन वजहों से आपका तलाक हुआ था, वह गलतियां दोबारा न दोहराएं।

8. अपने जैसे जीवनसाथी को ही चुनें

अक्सर तलाकशुदा पुरुष अपने लिए अविवाहित लड़की चाहते हैं, जो कई बार गलत निर्णय साबित होता है। इसकी वजह ये है कि अविवाहित लड़की के मन में शादी और पति को लेकर कई सारे सपने होते हैं। ऐसे में अगर उसकी शादी किसी बच्चे वाले व्यक्ति या तलाकशुदा से हो तो उसके सपने टूट जाते हैं, क्योंकि वो इंसान उतना प्यार नहीं दे पाता। इसके अलावा अचानक एक बच्चे की मां बन जाना, उसकी जिम्मेदारी उठाना उससे संभलता नहीं। अंतत: शादी तनाव से भर जाती है।

इसलिए अगर लड़की अविवाहित भी चुनें तो देख लें कि वह परिपक्व विचारों वाली और बहुत समझदार हो। बेहतर होगा कि अपने लिए जीवनसाथी अपने जैसा ही चुनें। यानी आप तलाकशुदा हैं या जीवनसाथी की मृत्यु हो गयी है तो अपने लिए ऐसा साथी ही चुनें ताकि वह आपकी भावनाओं को बेहतर समझ सकें।