सॉरी बोलने से रिश्ता होता है मजबूत

सॉरी बोलने से रिश्ता होता है मजबूत

रीता ने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर 5 साल पहले शादी की थी। पिता ने शादी के वक्त लड़के को खूब भला-बुरा कहा था, उसमें कमियां निकाली थी, लेकिन शादी के दो साल बाद सब सामान्य हो गया। परिवार वालों ने रीता और उसके पति को अपना लिया। घर आना-जाना, रहना, खाना सब शुरू हो गया था। हर कोई ये सारी बातें भूल गया था, लेकिन एक रात गपशप के दौरान अचानक ससुर ने अपने दामाद व बेटी से कहा, ‘शादी के वक्त मैंने तुम दोनों को बहुत भला-बुरा कहा था। दामाद जी में बहुत कमियां निकाली थी। आज मैं अपनी उस बात के लिए माफी मांगता हूं। मैं गलत था। दामाद जी सच में बहुत अच्छे इंसान है। मैं गलत था।’

दामाद ने उन्हें टोकते हुए कहा ‘इसकी क्या जरूरत है, मैं तो ये भूल भी चुका था। आप बड़े हैं, मेरे पिता समान है, आप कुछ भी बोल सकते हैं। आपको हक है।’ तब ससुर ने कहा, ‘नहीं, गलती छोटा करे या बड़ा, गलती अभी की हो या सालों पहले, माफी मांगनी चाहिए। आप भले ही इस वाकये को भूल जाएं, हंसने-बोलने लग जाएं, लेकिन मेरे मन से ये बोझ उतरना जरूरी है। आइ एम सॉरी बेटा।’

इस वाकये के बाद ससुर व दामाद का रिश्ता, पिता के साथ रीता का रिश्ता और मजबूत हो गया। दोनों की नजरों में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया।

इस किस्से के जरिये हम यही बताना चाहते हैं कि सॉरी भले ही छोटा-सा शब्द लगे, लेकिन यह बहुत जरूरी है। इसे बोलने के बहुत फायदे हैं। इसलिए खुुद भी इस शब्द को अपनी जिंदगी में लाएं और बच्चों को भी इसे सिखाएं।

1. बच्चों को सॉरी बोलने में कोई बुराई नहीं

हम अपने बच्चों को तो डांट-डांट कर सिखाते हैं कि गलती हुई तो ‘कान पकड़ो’ ‘सॉरी बोलो’। लेकिन जब हम खुद गलती करते हैं तो सॉरी नहीं बोलते। कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है। बड़ों से भी गलती हो जाती है, इसलिए अगर आपसे भी गलती हुई है, आपकी वजह से आपके बच्चे का दिल दुखा है, तो उससे जरूर माफी मांगें। कभी भी ये न सोचें कि वह छोटा है, उसे क्या सॉरी बोलना? सॉरी बोलने से उसे पता चल जायेगा कि हमने गलती की थी, फिर वह हमारी इज्जत नहीं करेगा।

लेकिन सच तो यह है कि जब आप बच्चे से मांफी मांगेगे तो आपका रिश्ता और ज्यादा मजबूत हो जाएगा। बच्चे के मन में आपके प्रति आदर बढ़ जायेगा। उसे पता चलेगा कि मेरे माता-पिता दिल से अच्छे हैं, गलती होती है तो सॉरी बोलने में भी नहीं झिझकते। वह मुझसे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मुझे गलती से भी हर्ट करने पर माफी मांगते हैं। इस तरह वह आपकी भावनाओं की कद्र करेगा।

2. छोटे-बड़े सभी के लिए नियम बराबर हैं

गलती होने पर उम्र में छोटे इंसान के लिए अलग नियम और बड़े इंसान के लिए अलग नियम, ऐसा नहीं होते। सभी के लिए नियम बराबर होते हैं। जितना जरूरी किसी बच्चे का सॉरी बोलना है, उतना ही जरूरी बड़ों का भी सॉरी बोलना है। आप बड़े हैं तो नियम बदल नहीं जायेंगे। आपको बिना सॉरी बोले मांगी नहीं मिल जायेगी। जब बड़े अपनी गलती के लिए सॉरी बोलते हैं, तो बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं। वे अपनी गलती की जिम्मेदारी लेना सीखते हैं। गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ना सीखते हैं।

लेकिन जब बड़े ही गलती नहीं मानते, सॉरी नहीं बोलते, तो बच्चे भी यही सीखते हैं। यह उनके भविष्य के लिए, उनके रिश्तों के लिए बहुत खराब होता है। वे अपने करीबी लोगों का दिल भी दुखाते हैं तो शर्मींदगी महसूस नहीं करते। इससे वे अहंकारी, जिद्दी, अकड़ू टाइप के इंसान बनते हैं। ये भी सच है कि जो इंसान सॉरी नहीं बोलता, झुकता नहीं, वो कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता, अच्छा इंसान नहीं बन सकता

3. बच्चों को सॉरी बोलने का तरीका क्या हो?

जब भी बच्चों को सॉरी बोलें तो उन्हें बताएं कि आपने ये गलती की है और आपको बहुत बुरा फील हो रहा है। आप वादा करते हैं कि आगे से ऐसी गलती न हो, ऐसी कोशिश करेंगे। ऐसा कहकर आप बच्चों को गले लगा सकते हैं। जब आप ऐसा करेंगे तो आपको भी अच्छा महसूस होगा और बच्चा भी खुश होगा। उसे सॉरी बोलने का तरीका समझ आयेगा कि गलती की माफी मांगने के साथ ही भविष्य में वो गलती दोबारा न हो, उसका वादा करना होता है, कोशिश करनी होती है।

हो सकता है कि आपके सॉरी बोलने के बाद बच्चा भी बताये कि उसने क्या गलती क्या-क्या गलती की है। यह बहुत अच्छी पहल होगी। ऐसे में बच्चे की बात भी पूरी सुने। उसकी गलतियों को सुन गुस्सा न हो, उसे डांटे नहीं। सिर्फ प्यार दें ताकि आगे भी वह अपनी गलती खुद आकर आपको बताये।

4. बड़ों को कैसे सॉरी बोलें

कई बार परिवार के लोगों को, दोस्तों को, ऑफिस कुलिग्स के साथ भी हम कुछ गलत कर देते हैं। कभी गुस्से में कुछ बोल देते हैं, कभी हमारी वजह से किसी का नुकसान हो जाता है, किसी को डांट पड़ जाता है, कभी हमारी बातें, हरकतें किसी का दिल दुखा देती हैं। ऐसी स्थिति में भी सॉरी बोलने से पीछे नहीं हटें। सॉरी बोलते वक्त सफाई देने की कोशिश न करें। उस वक्त सिर्फ सॉरी बोलें। बाद में किसी दिन आप अपना नजरिया, अपना पक्ष समझा सकते हैं

वैसे एक बात हमेशा याद रखें कि सॉरी दिल से बोलें। जब आप सिर्फ बाहरी तौर पर दिखावे के लिए सॉरी बोलते हैं, तो सामनेवाला इसे भाप जाता है।

आपने ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ मूवी अगर देखी होगी तो आपको याद आयेगा। उसमें रितिक रौशन को फरहान अख्तर कई बार सॉरी बोलता है, लेकिन रितिक कहता है कि सॉरी तभी बोलना, जब दिल से बोलो। बाद में ऐसा वक्त आता है जब फरहान को सच में अपनी गलती का अहसास होता है और वह आंखों में आंसू लिए रितिक को सालों पहले हुई उसकी गलती के लिए, उसका दिल दुखाने के लिए सॉरी बोलता है। वह कितना दिल से सॉरी बोल रहा है, यह उसकी आंखों में नजर आता है। तब रितिक गले लगाकर उसे माफ कर देता है।

5. सॉरी बोलते ही तुरंत माफी की उम्मीद न करें

कई बार लोग सॉरी बोलते ही उम्मीद करने लगते हैं कि सामनेवाला एकदम नॉर्मल हो जाये, जो बिल्कुल गलत है। सामनेवाले का घाव अभी ताजा है, गहरा है, उसे तकलीफ हुई है, इसलिए उसे भी सामान्य होने का वक्त दें। आपने सॉरी बोलकर अपना काम कर दिया है, अब उन्हें भी वक्त दें। जल्दबाजी न करें। बार-बार दबाव न डालें कि सॉरी बोल दिया, फिर बात क्यों नहीं कर रहे।

6. सॉरी बोलने से बात न बने तो तरीका बदलें

कई बार सिर्फ सॉरी बोलने से सामनेवाला माफी नहीं दे देता। अगर उनका दिल बुरी तरह दुखा हो तो उन्हें सॉरी बोलने के अलावा और भी तरीकों से मना सकते हैं। आप प्रयास कुछ दिन जारी रख सकते हैं। उनकी खुशी के लिए कुछ कर सकते हैं। फूल या तोहफा दे सकते हैं। उनकी पसंद की डिश बना सकते हैं, आर्डर कर सकते हैं, उन्हें घुमाने ले जा सकते हैं। जो चीज वो काफी समय से चाह रहे थे, वे उन्हें खरीद कर दे सकते हैं।