सिंपल-सोबर शादी करने के 6 फायदे

सिंपल-सोबर शादी करने के 6 फायदे

2020 ने बताया ‘सोबर शादियों’ का फायदा

साल 2020 सभी को हमेशा याद रहेगा। इसकी वजह हम सभी जानते हैं। वैसे इस साल की एक और खास बात यह रही कि कोरोना जैसी बीमारी फैली होने के बावजूद बहुत ज्यादा शादियां हुईं। बाकि सालों की तुलना में ज्यादा शादियां होते देख लोगों ने कई जोक भी बनाएं जैसे ‘2020 में इतनी शादियां हो रही हैं, मानो लोगों को लग रहा है कि 2021 आयेगा ही नहीं’

शुरुआत में जब कोरोना वायरस नया-नया आया था और लॉकडाउन लगा था, तब लोगों को लग रहा था कि इस साल सभी की शादियां रद्द हो जायेंगी। सब कोरोना के जाने के बाद ही शादी करेंगे, लेकिन धीरे-धीरे ऐसा माहोल बना कि शादियों की लाइन लग गयी। यहां तक कि कई लोगों ने तो 2021 को होने वाली शादी को प्री पोन किया ताकि कम लोगों में ही शादी हो जाये, फिजूल खर्च न हो

1.कम मेहमान है फायदे का सौदा

कोरोना के चलते सरकार ने मेहमानों की संख्या को लेकर प्रतिबंध लगाये। इस बात से दुखी होने के बजाय लोगों ने इसका फायदा उठाया और कम से कम मेहमानों में ही बेटे-बेटियों की शादी कर दी। सभी का मानना था कि अक्सर शादियों में ऐसे लोगों को भी मजबूरी में आमंत्रित करना पड़ता है, जो जरूरी नहीं होते। दूर-दूर के रिश्तेदार बुलाएं जाते हैं, जो दुल्हा-दुल्हन का नाम तक नहीं जानते। पूरे मोहल्ले को बुला लिया जाता है, सिर्फ इसलिए कि फलां को नहीं बुलाया तो वो बुरा मान जायेगा।

ऑफिस के हर कुलिग को बुलाना पड़ता है, क्योंकि कब किसकी जरूरत बाद में पड़ जाये, कोई नहीं जानता। लेकिन जब सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया तो एक तरह से ऐसे लोगों को न बुलाने का बहाना भी मिल गया। इस तरह लोग कम हो गये, तो खर्च भी काफी कम हो गया।

2.सोबर शादी के कारण अन्य झंझटों से भी मिली मुक्ति

जब ज्यादा लोग शादी में होते हैं, तो भव्य पंडाल लगता है। बैंड, बाजा, बारात, डीजे, सैकड़ों पकवान होते हैं। मेहंदी, संगीत, हल्दी जैसे कई तरह के कार्यक्रम होते हैं। कई मेहमान शादी वाले घरों में 4-5 दिन साथ रहते थे। इस तरह खाने पीने से लेकर हर चीज का खर्च तो बढ़ता ही है, साथ ही इन सब कार्यक्रमों को संभालने में भागदौड़ भी बहुत होती है। एनर्जी जाती है।

जब सिर्फ करीबी लोगों में शादी होती है, तो इन लोगों को दिखावे की जरूरत नहीं होती। घर के घर में छोटे-छोटे फंक्शन में सब रीति-रिवाज हो जाते हैं। इससे तनाव कम हो जाता है।

3.खर्च कम कर हुआ रुपयों का सही उपयोग

शादी में खर्च होने वाले लाखों रुपये जब बच गये, तो पैरेंट्स ने भी बेटे-बेटी के लिए इन रुपयों का सही इस्तेमाल किया। सालों से बेटा-बेटी की शादी में जमा किये रुपयों को उन्होंने घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट के तौर पर दिया। किसी ने कार खरीद दी तो किसी ने फिक्स डिपॉजिट कर तोहफा दे दिया।

मिडिल क्लास फेमिली के लोग इस बात से भी खुश हुए कि शादी के लिए उन्हें लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ी। पीएफ तुड़वाने की जरूरत नहीं पड़ी।

4. महंगी शादियों से पैरेंट्स पर भी पड़ता है दबाव

सोशल साइट्स पर इस तरह की सोबर शादियों की तारीफों की बाढ़ सी आ गयी है। लोगों का कहना है कि काश सभी लोग हमेशा इसी तरह की शादियां करें। दिखावे के लिए खर्च न करें। इससे शादियों को लेकर जो प्रतियोगिता होती है और पैरेंट्स पर भी धूमधाम से शादी का जो दबाव बनता है, वो खत्म हो जायेगा

फिर पैरेंट्स बेटी की शादी के लिए इतना चिंता नहीं करेंगे। उसे बोझ नहीं समझेंगे। शादी में लगने वाले रुपये, वे उसके करियर में दिल खोलकर खर्च कर सकेंगे। कोई परिवार कर्ज में नहीं डूबेगा।

5. शादी से मतलब नहीं, सिर्फ खाने के शौकीन

वैसे कई लोग सच में ऐसे भी थे, जो शादी काफी धूमधाम से करना चाहते थे। दोस्तों, रिश्तेदारों सभी को आमंत्रित करना चाहते थे। इस पल को भव्य तरीके से जीना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा कर न सके। ऐसे लोगों को बस यह समझने की जरूरत है कि शादी में, खासतौर पर रिसेप्शन में बड़ी संख्या में ऐसे लोग आते हैं, जिन्हें दुल्हा-दुल्हन के नाम तक नहीं पता। बस फलां की बेटी या बेटे की शादी है, रिसेप्शन में जाना है। खाना बनाने की जरूरत नहीं। इस उद्देश्य से ही वे आते हैं कि एक वक्त का खाना हो जायेगा। वे औपचारिकता निभाते हुए 501 का लिफाफा पकड़ाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और पूरे परिवार के साथ खाना खाकर निकल जाते हैं।

कहने का मतलब ये ही कि ये लोग इतने करीब नहीं हैं कि आपके सुख-दुख में आपका साथ दें। आपकी मदद करें। ऐसे तमाम लोगों को शादी में बुलाकर आप केवल अपना खर्च बढ़ाते हैं। इनमें से कई ऐसे भी होंगे, जो खाने में कमियां निकालेंगे। किसी चीज का मजाक उड़ायेंगे। तो क्यों न ऐसे दूर को लोगों को ऐसे खास मौकों से दूर रखा जाये।

6. कोरोना चला भी जाएं, तब भी करें सोबर शादी

समझदारी तो यही है कि कोरोना हो या न हो, शादी सिंपल तरीके से ही करें। केवल उन्हीं लोगों को बुलाएं, जो बहुत ज्यादा करीब हों। ये न सोचें कि फलां बुरा मान जायेगा। ये बहुत निजी समारोह होना चाहिए, इसको भव्यता की चादर में लपेटने से ये तमाशा-सा बन जाता है। छोटे से हॉल में गिनती के ऐसे लोगों की उपस्थिति में शादी हो, जो सच में आपसे बेहद प्यार करते हैं। आपके सुख-दुख के साथी रहे हैं। डिजाइनर कपड़ों व मेकअप पर भी ढेर सारा खर्च करने की जरूरत नहीं। ना बारात निकालने का झंझट, न कोई भव्य स्टेज का झंझट। दो खूबसूरत सोफे भी काम वहीं करते हैं, जो भव्य स्टेज।

ऐसी शादी करने के बाद आपको भी महसूस होगा कि आपकी शादी किसी तरह की कोई कमी महसूस नहीं हुई। खुशी उतनी ही बड़ी थी, करीबी लोग भी सब शामिल थे। ऐसी शादी में न लड़की के माता-पिता, भाई-बहनों को भाग-भागकर इतना सब मैनेज करने की तनाव होगा और न ही इवेंट मैनेजमेंट वाली कंपनियों पर आपको खर्च करने की जरूरत होगी।

एक नजर सिंपल शादी के फायदों पर

  • लाखों रुपये की बचत। इन रुपयों को आप दुल्हा-दुल्हन को दे सकते हैं। उनके भविष्य के लिए।
  • इन रुपयों का इस्तेमाल दूसरों बच्चों के अच्छे एजुकेशन पर कर सकते हैं।
  • देश-विदेश की यात्रा कर अच्छे पल संजों सकते हैं।
  • घर, कार, जमीन, फिक्स डिपॉजिट जैसे समझदारी वाली चीजों में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • आप उन गुस्सैल, रुठने वाले, कमियां निकालने वाले, मजाक उड़ाने वाले मेहमानों को झेलने से बच जायेंगे।
  • आपकी ऊर्जा फालतू की चीजें मैनेज करने में नहीं जायेगी। आप शादी एंजॉय कर सकेंगे।