सिर्फ बहू ही खुद को नये माहौल में क्यों ढाले?

सिर्फ बहू ही खुद को नये माहौल में क्यों ढाले?

शादी के वक्त जब लड़की अपना मायका छोड़कर ससुराल जा रही होती है, तो उसे कुछ खास बातें सभी माता-पिता कहते हैं, जैसे- ‘बेटा ससुराल के हिसाब से खुद को ढाल लेना, अपने व्यवहार से सभी का दिल जीत लेना और सबसे अंत में ‘बेटा, कुछ भी हो, एडजस्ट कर लेना।’

ये सभी सलाह बहुत अच्छी है, लेकिन इन सभी बातों को सीखने-समझने की जरूरत बहू के साथ-साथ सास को भी होती है। तभी ससुराल का सबसे खास व अहम रिश्ता मजबूत होता है और परिवार में खुशहाली रहती है।

इसलिए आज हम आपको ऐसी बातें बता रहे हैं, जो सास को समझने की जरूरत है।

नई-नवेली बहू पर किचन का पूरा भार डालना अन्याय

सास को समझने की जरूरत है कि बहू के माता-पिता ने अपनी बेटी को भी बेटे की तरह ही लाड़-प्यार से पाल-पोसकर बड़ा किया है। उसे घर के कामों से ज्यादा पढ़ाई पर फोकस करने को कहा, करियर पर ध्यान देने को कहा। हो सकता है कि बहू ने मायके में कभी चाय भी न बनाई हो और अगर चाय, मैगी, रोटी-सब्जी कभी बनाई भी होगी, तो शौकिया बनाई होगी और उसके बिगड़ने पर उसे किसी ने डांटा नहीं होगा।

ऐसे माहौल में रही लड़की से शादी के बाद अचानक से पाक कला में विशेषज्ञ की तरह किचन संभालने की उम्मीद करना उस लड़की के साथ अन्याय है। बेहतर होगा कि किचन में पहले कुछ दिन उसे केवल देखने व थोड़ी बहुत मदद करने को कहें। धीरे-धीरे उसे बनाने को कहें और साथ में खड़े रह कर उसे गाइड करती रहें। इस तरह वह धीरे-धीरे सब सीख जायेगी।

मां की जगह आपको लेनी होगी

बहू को अपनी मां से फोन पर मीठी-मीठी बातें करते हुए देख अक्सर सास को बुरा लगता है। वे सोचती है कि हमसे तो कभी ऐसे बात नहीं करती और मां से बात करते हुए देखो तो कितना चहक रही है। क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? अगर नहीं, तो अब सोचें।

अपनी बहू को भी बेटे की तरह लाड़ करें। कभी उसकी पसंद की डिश बनाकर उसे चौंका दें, कभी वह थककर लेटे तो उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरें और पूछे कि उसे कोई तकलीफ तो नहीं? बहू को कभी बुखार, जुकाम हो जाये या पीरियड्स का वक्त हो, तो उसे आराम करने को कहें और खुद काम संभाल लें। घर के जो-जो काम वह करती है, कभी उन कामों को करने में उसे देर हो रही हो, तो खुद ही वो काम कर लें। जब आप इस तरह का व्यवहार करेंगी, तो बहू के दिल में आपके लिए सम्मान व प्यार बढ़ जायेगा और वह दिल से आपका ख्याल रखेगी।

ससुराल है, मायका नहीं का ताना न मारें

अक्सर घरों में ऐसा होता है कि बहू को उठने में देर हो गयी या ऑफिस से घर आने में देर हो गई, तो उसे ताना सुनने को मिलता है कि ये मायका नहीं, ससुराल है, यहां ये सब नहीं चलेगा। अगर आप भी ऐसे तानें मारती हैं, तो इसे तुरंत बंद करें। आपके ऐसे तानों के कारण ही बहू को बार-बार मायके की याद सताती है, वहां मिलने वाली आजादी को दोबारा पाने की इच्छा होती है, मां और उसके प्यार की कमी खलती है और वह मायके जाने को तड़प उठती है।

और फिर जब वह बार-बार मायके जाने की जिद करती है, तो आपको बुरा लगता है कि बार-बार क्यों चली जाती है? आप भी थोड़ा बहुत अपने स्वभाव को एडजस्ट कर लेंगी, उसे आजादी देंगी, तो उसे ससुराल भी मायके जितना ही प्यारा व अपना लगने लगेगा।

बहू को भी सजाने दें उसका यह नया घर

हर लड़की अपने ख्वाबों में अपने ससुराल की कल्पना करती है। वह अपने कमरे को अपने हिसाब से सजाना चाहती है। किचन या हॉल में भी अपने पसंद की नई चीजें जोड़ना चाहती है। ऐसा करने से उसे उस नये घर में भी अपनेपन का अहसास होता है। उसे यकीन होता है कि हां, अब ये घर मेरा भी है। मैं भी इसमें अपनी पसंद की चीजें लगा सकती हूं।

लेकिन अक्सर देखा गया है कि जब कोई बहू किसी चीज में बदलाव करने की कोशिश करती है, तो सास उस पर नाराज हो जाती है और कहती है कि सब पुरानी चीजें फेंक दो, बदल दो। हमें भी बाहर निकाल दो, हम भी पुराने हो गये। इन बातों से डर कर बहू कुछ भी बदलाव करने से घबराती है और तब वह खुद को घर में पराया महसूस करती है।

सास को चाहिए कि बहू का साथ दे और उसे उसके मुताबिक घऱ् सजाने की इजाजत दे। जब वह घर खुद सजायेगी, तो उसे उस घर से प्यार होगा। साथ ही जब आप उसकी इस भावना का ख्याल रखेंगी, तो वह भी आपकी भावना का ख्याल रखते हुए पुरानी चीजों को फेंकेगी नहीं, जिससे आपकी भावनाएं जुड़ी हैं.

बेटी व बहू में अंतर न करें

जब भी आपको अपनी बहू को कोई बात पसंद न आये, तो उसे डांटने के पहले या उससे मन ही मन नफरत करने के पहले दो मिनट रुककर सोचें कि अगर मेरी बेटी ने ऐसा किया होता, तो क्या तब भी मैं ऐसा ही रिएक्ट करती? याद रहे कि आपकी बहू भी किसी की बेटी है और आपकी बेटी भी एक दिन ससुराल जायेगी। अगर आप चाहती है कि उसके साथ अच्छा व्यवहार हो, तो पहले आपको खुद में बदलाव लाना होगा।

आप बेटी को मॉडर्न कपड़े पहनने से नहीं रोकती, देर से उठने पर नहीं डांटती तो बहू के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? अगर आप इसी तरह उसे बार-बार टोकती रही, तो ऐसा न हो कि वह आपसे नफरत करने लगे, उसे आपके साथ रहना नागवार हो जाये और वह पति से कह कर अलग घर में रहने चले जाये।

बहू को यह महसूस न हो कि वह घर की नौकरानी है

माना कि आप बुजुर्ग हो गई हैं। आपको आराम की जरूरत है और बड़े-बुजुर्ग भी हमेशा कहते हैं कि बहू के घऱ् में रहते सास को काम करना पड़े, ये बात अच्छी नहीं। लेकिन इन सब के चलते आप इतनी आराम पसंद भी न हो जाएं कि सारे घर का काम बहू पर लाद दें और खुद दिनभर सोती रहें, टीवी देखें या पूजा पाठ में लीन रहें। साथ ही साथ अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी बहू को आवाज दें।

इस तरह जब आप घर का एक भी काम नहीं करती, तो धीरे-धीरे बहू को भी ये लगने लगता है कि मुझे इस घऱ् में केवल काम करने के लिए ही लाया गया है। ऐसे में अक्सर बहुएं तनाव में आकर उल्टा जवाब देने को मजबूर हो जाती है कि मैं क्या इस घर की नौकरानी हूं? या मुझे नौकरानी बना कर रख दिया है।

बेहतर होगा कि आप कुछ-कुछ कामों में अपनी सेहत व क्षमता को देखते हुए मदद जरूर करें। बैठे-बैठे सब्जी तोड़ने, प्याज काटने, कपड़े तह करने, बच्चों पर नजर रखने, बाई से काम करवाने, पौधों पर पानी देने, कभी-कभी चाय बनाने का काम आप जरूर कर सकती है। इनमें इतनी मेहनत भी नहीं लगती।