पॉजिटिव सोच

पॉजिटिव सोच

ये तीन कहानियां आपको सिखाएंगी पॉजीटिव सोचना

आज जहां सभी लोग कोराना वाइरस से डरते हुए जी रहे हैं, अपनों को खो रहे हैं, हॉस्पिटल के खर्च से कंगाल हो गये हैं, सैलरी कम हो गयी है, बिजनेस ठप्प पड़ गया है…. ऐसे माहोल में इंसान दुखी हो ही जाता है। लेकिन यही वो समय है जब हमें सच में पॉजीटिव सोच रखने की जरूरत है। इसलिए आज हम आपको तीन कहानियां बता रहे हैं, कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से आपको पॉजीटिव सोच रखने में मदद मिलेगी।

1. नेगेटिव चीज में भी छुपी होती है पॉजीटिव चीज

एक युवा महिला अपने डाइनिंग टेबल पर बैठी कुछ सोच रही थी। वह इस बात से परेशान थी कि उसे इनकमटैक्स देना है, घर के ढेरों काम करना है और ऊपर से कल त्यौहार के दिन लंच पर बहुत से रिश्तेदार भी आने वाले हैं। पास ही उसकी दस साल की बेटी अपनी स्कूल नोटबुक लिए बैठी थी। मां के पूछने पर वो बोली ‘टीचर ने होमवर्क दिया है। उन्होंने कहा है कि उन चीजों पर एक पैराग्राफ लिखो, जो शुरू-शुरू में हमें अच्छी नहीं लगतीं, लेकिन बाद में पता चलता है कि वो हमारे लिए अच्छी थी। मैंने एक पैराग्राफ लिख लिया है।’

उत्सुकतावश मां ने बेटी से नोटबुक ली और पढ़ने लगी कि उसकी बेटी ने क्या लिखा है। बेटी ने लिखा था, ‘मैं अपनी फाइनल एग्जाम को धन्यवाद देती हूं क्योंकि इसके बाद स्कूल बंद होकर छुट्टियां लग जाती हैं।’ मैं उन कड़वी खराब स्वाद वाली दवाइयों को धन्यवाद देती हूं, जो मेरे स्वस्थ होने में सहायक होती हैं।’ ‘मैं सुबह-सुबह जगाने वाली उस अलार्म क्लॉक को धन्यवाद देती हूं, जो सबसे पहले मुझे बताती है कि मैं अभी जीवित हूं।’

पढ़ते-पढ़ते मां ने महसूस किया कि उसके खुद के पास भी तो बहुत कुछ ऐसा है, जिसके लिए वो भी धन्यवाद कह सकती है। उसने फिर सोचा, ‘उसे इनकमटैक्स देना होता है, इसका मतलब है कि वो सौभाग्यशाली है कि उसके पास एक अच्छी सैलरी वाली बढ़िया नौकरी है।’ ‘उसे घर का बहुत काम करना पड़ता है, इसका मतलब है कि उसके पास एक घर है, एक आश्रय है।’ ‘उसे परिवार के बहुत से सदस्यों के लिए खाना बनाना होगा, इसका मतलब है कि उसके पास एक बड़ा परिवार है, जिनके साथ वो त्योहारों को सेलिब्रेट कर सकती है।’

सीख : यह कहानी सीख देती है कि हर नेगेटिव चीज में एक पॉजीटिव चीज छुपी होती है, जरूरत है तो उसे पहचानने की।

2. शुक्र मनाएं, क्योंकि आपकी स्थिति कई लोगों से बेहतर है

एक और कहानी सुनें। एक महिला दिवाली पर किचन को रेनोवेट करवा रही थी। इसलिए वो उसकी सफाई करने बैठी। उसने अपने सारे खराब हो चुके नॉनस्टिक बर्तन निकाले, जिनकी कोटिंग निकल गयी थी या हैंडल टूट गया था। कप के सेट निकाले, जो इस्तेमाल कर के वो बोर हो चुकी थी। स्टील की प्लेट्स निकाली, जो पुरानी दिखने लगी थी। बर्तन का रैक निकाला, क्योंकि अब किचन भी मॉड्यूलर हो रहा था। ये सब एक तरफ रख उसने सोचा, बस इन्हें कबाड़ी वाले को दे दूं, तो समझो काम खत्म। तभी कामवाली बाई घर आयी। उसने मालकिन को इतने बर्तनों के साथ देख पूछा, ये सब धोने है क्या दीदी? मालकिन बोली, नहीं ये कबाड़ी वाले को देने हैं। उसने झिझकते हुए पूछा, ‘इनमें से ये कढ़ाई मैं ले लूं क्या दीदी’? मालकिन बोली, ‘तू सारे बर्तन ले जा सकती है। ये मेरे किसी काम के नहीं।’ कामवाली की आंखें खुशी से चमक उठी। उसने झटपट सारा काम निपटाया और सारे बर्तन बोरे में भरकर ले गयी। उसने अपने एक कमरे के घर के कोने में बने किचन जैसे हिस्से से टूटे-फूटे सारे बर्तन, चम्मच, कप निकाले और मालकिन के घर से आये इन नये बर्तनों को वहां जमा दिया। उसके लिए तो ये बर्तन ही नये थे। उसका किचन चमक उठा। उसने उसके पुराने बर्तन एक कोने में रखे और बोली, ‘बस ये खराब बर्तन कबाड़ी वाले को दे दूं, तो समझो कि काम हो गया।’ तभी उसके दरवाजे पर एक भिखारी आया। उसने पानी मांगा, तो कामवाली ने उन निकाले हुए बर्तनों में से एक कप निकाला और उसे पानी दिया।’ जब भिखारी कप वापस करने लगा, तो उसने कहा कि आप ही रख लो। मुझे इसकी जरूरत नहीं है अब। मैं तो ये सारे बर्तन कबाड़ी वाले को दे ही रही हूं।’ भिखारी ने संकोच करते हुए पूछा, क्या मैं इनमें से कुछ ले लूं? कामवाली ने कहा, तुम सब बर्तन ले जा सकते हो।’ भिखारी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह सारे बर्तन उठा कर ले गया। उसने काम के बर्तन रख लिए और बाकि बर्तन कबाड़ में देकर 10 रुपये ले लिया। जिससे उसने भरपेट खाना खाया।

सीख : दोस्तों, ये कहानी सीख देती है कि जब भी उदास हो तो अपने से नीचे काम कर रहे लोगों को देखो। आपको महसूस होगा कि आपकी स्थिति उनसे काफी बेहतर है। आप ईश्वर को धन्यवाद दोगे।

3. आपके लिए प्लानिंग भगवान ने कर ली है

एक बार मंदिर में विराजमान भगवान का एक सेवक उनसे कहता है कि भगवान आप एक जगह, एक ही पोजीशन पर खड़े रह कर थक गये होंगे। क्यों न एक दिन के लिए आप और मैं रोल एक्सचेंज कर लें। मैं आपकी जगह मूर्ति बन कर खड़ा हो जाता हूं और आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ। भगवान पहले तो मना करते हैं, लेकिन उसकी जिंद के आगे बात मान लेते हैं। वे कहते हैं कि मेरी बस एक ही शर्त है कि जो भी लोग प्रार्थना करने आएं, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना। कुछ बोलना नहीं। मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है। सेवक मान जाता है। दोनों रोल एक्सचेंज कर लेते हैं। तभी मंदिर में एक बहुत अमीर बिजनेसमैन आता है। वह कहता है कि भगवान अपनी कृपा मुझ पर बनाये रखना। मैंने नयी फैक्ट्री डाली है। उसे भी खूब सफल करना। वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे गिर जाता है। वह बिना पर्स लिए ही चला जाता है। भगवान बना सेवक बेचैन हो जाता है। वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन भगवान की शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता। इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को एक रुपया चढ़ाता है। वह कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं। एक रुपये थे, वो भी आपको दे दिये. भगवान मदद कर। वह माथा टेकता है और तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है। वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और चला जाता है। अब तीसरा व्यक्ति आता है। वह एक नाविक होता है। वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं। यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान। कोई घटना न हो। तभी पीछे से वो बिजनेसमैन पुलिस के साथ आता है और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है। इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है। पुलिस नाविक को ले जा ही रही होती है कि भगवान बना सेवक बोल पड़ता है। यह नाइंसाफी है। उस पर्स को एक दूसरे व्यक्ति ने उठाया है। ये बेगुनाह है. पुलिस उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है और नाविक अपनी यात्रा पर निकल जाता है। रात को भगवान घूम कर आते हैं, तो सेवक अपनी चतुरायी बताते हुए पूरा किस्सा बताता है। भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है। वह व्यापारी गलत धंधे करता है. अगर उसका पर्स गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता था। इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इनसान को मिला था। उसके बच्चे भूखों नहीं मरते। रही बात उस नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां समुद्र में तूफान आने वाला था। अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती। उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती। तुमने सब गड़बड़ कर दिया।

सीख : दोस्तों, कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ, लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है। इसलिए जब भी कोई प्रॉब्लम आये, उदास मत होना। इस स्टोरी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है.

सुझाव –

आपके पास जो-जो चीजें हैं, उनकी लिस्ट बनाएं और उस लिस्ट को ऐसी जगह पर रखें, जहां आप उसे रोज पढ़ सकते हैं। इस तरह आपको भगवान द्वारा आपको दी गयी सारी अच्छी चीजें याद रहेंगी और आप निराश नहीं होंगे।

लिस्ट बनाएं जैसे- एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज सोने से पहले, अपनी दिन भर की खुशियों को एक कागज पर लिख लिया करती थीं।

  • मैं खुश हूं, कि मेरा पति पूरी रात, जोरदार खर्राटे लेता है, क्योंकि वह जिंदा है, और मेरे पास है। ईश्वर का शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सबेरे इस बात पर झगड़ा करता है कि रात भर मच्छर - खटमल सोने नहीं देते। यानी वह रात घर पर गुजारता है, आवारागर्दी नहीं करता। ईश्वर का शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि हर महीने बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है, यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं। अगर यह ना होती, तो जिंदगी कितनी मुश्किल होती? ईश्वर का शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि दिन खत्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है, यानी मेरे अंदर दिन भर काम करने की ताकत और हिम्मत, सिर्फ ईश्वर की मेहर से है।
  • मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है। शुक्र है कि मेरे पास घर तो है। जिनके पास छत नहीं, उनका क्या हाल होता होगा? ईश्वर का, शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि कभी कभार, थोड़ी बीमार हो जाती हूं। यानी मैं ज्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं। ईश्वर का शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि हर साल त्यौहारों पर तोहफे देने में पर्स खाली हो जाता है। यानी मेरे पास चाहने वाले, मेरे अजीज, रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें तोहफा दे सकूं। अगर ये ना हों, तो जिंदगी कितनी बेरौनक हो..? ईश्वर का शुक्र है।
  • मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज पर उठ जाती हूं. यानी मुझे हर रोज़, एक नई सुबह देखना नसीब होती है। ये भी ईश्वर का ही करम है।