ये 5 काम जरूर करें ताकि बड़े होकर बच्चे आपसे दूर न हो जाएं

ये 5 काम जरूर करें ताकि बड़े होकर बच्चे आपसे दूर न हो जाएं

बेटा हो या बेटी, हर पैरेंट को यह डर सताता है कि आज जो बच्चे हमारे बिना एक कदम भी नहीं चल सकते, कहीं बड़े होकर हमसे दूर न हो जाएं। उनका यह डर सही भी है क्योंकि हम सभी अपने आसपास ऐसे टीनेजर्स व यंगस्टर देखते हैं, जिनकी अपने पैरेंट्स से बिल्कुल नहीं बनती।

कोई अपने पैरेंट्स से बहुत बत्तमिजी से बात करता है तो कोई उन्हें अपने कमरे में घुसने तक नहीं देता। कोई हर बात का चिढ़ कर जवाब देता है तो कोई पढ़ाई या नौकरी के बहाने दूसरे शहर जाकर उनसे पीछा छुड़ाना चाहता है।

अगर आपको भी डर लगता है कि समय के साथ-साथ आपके बच्चे भी कहीं ऐसे न हो जाएं तो अभी समय है कि कुछ काम तुरंत शुरू कर दें। जितनी जल्दी ये शुरू करेंगे, उतना बेहतर है।

1. बच्चों के लिए लिखे डायरी या लेटर

भले ही आपका बच्चा अभी बहुत छोटा हो। पढ़ना-लिखना तक नहीं जानता हो, लेकिन आप अभी से उसके लिए लेटर या डायरी लिखना शुरू कर दें। उस डायरी में बच्चे की अभी की सारी एक्टिविटीज, हरकतें, हर छोटी-छोटी बात लिखें। बताएं कि अभी किस तरह वो आपको प्यार जताता है। आपसे चिपक कर सोता है, आपको बार-बार किस करता है, आपका पल्लू पकड़े हर जगह आपके साथ चलता है और आपको ये सब कितना अच्छा लगता है।

उसमें ये भी लिखें कि अभी आपकी नींद उसे संभालने के कारण कितनी कम हुई है, आपने जॉब, करियर छोड़ा है तो उसके पीछे आपकी सोच उसे संभालना, उसे पूरा टाइम देना, उसकी देखभाल करना है। अगर आप जॉब करती हैं तो ये भी लिखे कि किस तरह घर, ऑफिस व बच्चे को संभालने के लिए आप मेहनत कर रही हैं। ये सब भाषण जैसा न लगे। बस रूटीन के कामों के साथ-साथ अपने विचार लिख सकती हैं। इस तरह पूरे सालभर बैैठकर डायरी लिखने की आदत डालें। जब बच्चा बड़ा होगा और पढ़ने-समझने लगेगा तब उसे ये डायरी गिफ्ट करें।

आपको लग रहा होगा कि बच्चों को ये सब बताने की क्या जरूरत है, लेकिन ये जरूरी है। बच्चों को अपने बचपन की बातें पता नहीं होती कि कैसे माता-पिता ने उन्हें पाल-पोसकर, रातों की नींद त्याग कर, उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरतों को पूरा कर उन्हें बड़ा किया है।

टीनेेज एक ऐसी उम्र होती है, जब बच्चे दोस्त बनाना शुरू करते हैं। उनमें हार्मोनल बदलाव आते हैं। माता-पिता की समझाइश उन्हें रोक-टोक लगती है और वे बत्तमीजी करने लगते हैं। उनसे कट जाते हैं। यही वो समय है कि उन्हें बचपन की बातें ये डायरियां गिफ्ट कर याद दिलायी जाएं।

यकीन मानिए आपके बच्चे डायरी पढ़कर बहुत खुश होंगे। आपके और करीब आ जायेंगे। वे इस डायरी को अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखेंगे। आप जब इस दुनिया में नहीं रहेंगे, तो भी ये डायरी उनके पास हमेशा रहेगी।

2. बच्चों को दें गुड मेमोरीज

बच्चों को पालते वक्त कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब बच्चों को डांटना पड़ता है। सजा देनी पड़ती है। कई युवाओं के साथ ऐसा देखा गया है कि उन्हें उनके बचपन के प्यार भरे मोमेंट याद ही नहीं हैं, लेकिन डांट वाले सारे मोमेंट याद हैं। अगर उनसे कोई पूछे कि मम्मी-पापा से तुम्हारा रिश्ता कैसा है तो उन्हें बचपन की यही बात याद आती है कि मम्मी कैसे भाई और मुझमें भेदभाव करती थी। भैया को उसकी पसंद की सारी चीजें तुरंत मिल जाती थी, लेकिन मुझे बहुत रोना पड़ता था।

पापा ने मुझे फेल होने पर छड़ी से मारा था। क्रिकेट खेलना बंद करा दिया था। वगैरह… वगैरह…। जबकि सच तो यह है कि ये किस्से एक-दो ही होते हैं, लेकिन पैरेंट्स ने प्यार ढेर सारा किया होता है। बस ये किस्से दिल को हर्ट कर गये इसलिए याद रह गये, लेकिन प्यार वाले मोमेंट इतने गहराई से दिल को छू नहीं पाये क्योंकि वे तो ढेर सारे थे, रिमझिम फुहारों की तरह।

इस बात का उपाय ये हैं कि पैरेंट्स प्यार वाले मोमेंट को भी बड़ा बनाने की कोशिश करें। इसे इतना बड़ा और प्यार भरा बनाएं कि बच्चे वो मोमेंट कभी न भूल पाएं। हर्ट करने वाले मोमेंट इनके सामने धुंधले पड़ जाएं। पैरेंट्स हैप्पी मोमेंट के फोटो जरूर खींचे। बच्चे के बर्थडे पर उसे सरप्राइज दें। गिफ्ट्स देने का तरीका यूनिक रखें ताकि हमेशा याद रह जाये। बच्चों के साथ कोई एक्टिविटी ऐसी जरूर करें जो आदत बन जाये, उसे याद रह जाये।

आपको शाहरूख और आलिया भट्‌ट की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ याद है न। जिसमें शाहरूख अपने पिता के साथ समुद्र की लहरों के साथ कबड्‌डी खेलना याद करते हैं। वे आलिया से कहते हैं कि पैरेंट्स को अपने बच्चों को ऐसी मीठी यादें जरूर देना चाहिए, जो वे हमेशा याद रख सकें। लेकिन आलिया अपना कोई हैप्पी मोमेंट याद नहीं कर पाती, क्योंकि पैरेंट्स ने उसे बचपन में साथ रखने से ही मना कर दिया था। उसके पास सिर्फ बुरी यादें थी, इसलिए वो पैरेंट्स से नफरत करती थी।

3. आर्थिक स्थिति, परेशानी बच्चों से नहीं छिपाएं

कई बार पैरेंट्स अपने बच्चों की जिद के कारण उनकी पसंद की कोई चीज लाकर देते हैं। अगर कभी बच्चे पूछ भी लें कि आपने ये कैसे खरीदी? ये कितने रुपये की है? तो पैरेंट्स कहते हैं कि तुम आम खाओ, गुठलियां क्यों गिनते हो? उन्हें लगता है कि बच्चों को ये सब क्यों बताना कि आपको इस चीज के लिए किसी से उधार मांगना पड़ा, या लोन लेना पड़ा, या घर की कोई चीज बेचनी पड़ी, या सेविंग खत्म करनी पड़ी, या गुल्लक तोड़ना पड़ा। आप बस बच्चे को खुश देखना चाहते हैं, तो उसे ये सब नहीं बताते।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने माता-पिता की इतनी इज्जत क्यों करते हैं? क्योंकि आपने उनका संघर्ष देखा है। आपने उन्हें दिनरात फैक्ट्री में काम करते देखा है, मां को सिलाई करते देखा है, आपने उन्हें बात करते सुना है कि कैसे दुकान से उधारी से सामान लाना पड़ रहा है, कितने लोगों का कर्ज चुकाना है। अगर आपने ये सब देखा व सुना नहीं होता तो क्या आपको उनका त्याग, संघर्ष व प्रेम समझ आता? शायद नहीं। आज आप रुपयों की कद्र करते हैं, माता-पिता की कद्र करते हैं, इसके पीछे की वजह यही है।

अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे भी आपकी कद्र करें, रुपये की कद्र करें और ये न सोचें कि पैसे पेड़ में उगते हैं, तो उन्हें घर की हर बात में हिस्सेदार बनाएं। उन्हें आर्थिक स्थिति को समझने दें। इस तरह वे एक समझदार, संवेदनशील इंसान व अच्छी संतान बन सकेंगे।

4. घर के बुजुर्गों के साथ करें अच्छा व्यवहार

अगर आप अपने माता-पिता, सास-ससुर के साथ रहते हैं तो उनके साथ अच्छा व्यवहार करें। उनकी इज्जत करें। उनकी देखभाल करें। उन्हें हर चीज के लिए पूछें। उन्हें समय दें। क्योंकि बच्चे वे नहीं करते, जो पैरेंट्स उनसे कहते हैं। बच्चे तो वे करते हैं, जो वे अपने पैरेंट्स को करते हुए देखते हैं। अगर आपने माता-पिता, सास-ससुर के साथ बुरा व्यवहार किया तो बच्चे भी आपके साथ ऐसा ही करेंगे। फिर जब आप उन्हें इसके शिकायत करेंगे तो वे आपको आपकी हरकत भी याद दिला देंगे। वहीं अगर आप अच्छा व्यवहार करेंगे तो वे आपसे सीख लेंगे और आपके नक्शे कदम पर चलेंगे।

5. खुद को सम्मान लायक बनाएं

जब तक आप खुद का सम्मान नहीं करेंगे, बच्चे आपका सम्मान नहीं करेंगे। इसलिए बेहतर है कि खुद से प्यार करें। अपने लिए कुछ करें। अपने पैरों पर खड़े हों। किसी को अपने ऊपर अत्याचार न करने दें। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे को सम्मान दें, क्योंकि अगर पति अपनी पत्नी को उट-पटांग बोले। उसे बात-बात पर डांटे, उसकी इज्जत न करे तो बच्चे भी अपनी मां के साथ ऐसा ही करेंगे। वहीं अगर पत्नी अपने बच्चों के सामने पति को भला-बुरा कहें। आलसी, निकम्मा, कामचोर आदि कहे तो बच्चे भी पिता को कुछ भी बोलने लगेंगे। दोनों इस बात का ख्याल रखें।