नई मॉम को ये 7 बातें जानना है जरूरी

नई मॉम को ये 7 बातें जानना है जरूरी

मां बनना एक सुखद अहसास होता है। घर में एक नन्हे मेहमान के आने से पूरी जिंदगी बदल जाती है। ऐसे बदलाव में अगर हमारे साथ कोई अनुभवी महिला हो तो काम आसान हो जाता है, लेकिन कई बार एकल परिवार होने के कारण ऐसा नहीं हो पाता। नई-नई मां बनी महिलाओं को सब कुछ खुद करना व सहना पड़ता है।

ऐसे में वे गलतियां करती हैं, जो कुछ समय बाद पीछे मुड़ कर देखने पर उन्हें समझ आती हैं। तब उन्हें लगता है कि काश, ये किसी ने मुझे पहले बताया होता… पहले समझाया होता तो मुझे उस वक्त इतनी तकलीफ सहन नहीं करनी पड़ती। बच्चे को संभालना भी थोड़ा आसान हो जाता…बच्चे की आदतें थोड़ी बेहतर होती…। तो आज हम ऐसी ही कुछ गलतियों की बात कर रहे हैं।

1 कभी-कभी दूध बॉटल से भी पीने को दें

सभी कहते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए बेस्ट होता है और यह सही भी है। बस फीडिंग के इस दौर में महिलाएं ये गलती कर देती हैं कि बच्चे को हमेशा सीधे ब्रेस्ट फीडिंग की आदत डाल देती हैं। ऐसे वे जब उन्हें कुछ महीनों बाद लगता है कि जॉब करना जरूरी है, तब वे बच्चे की इस आदत की वजह से जॉब शुरू नहीं कर पाती। क्योंकि तब तक बच्चे को डायरेक्ट फीडिंग की इतनी आदत हो जाती है कि वे बॉटल से पीते ही नहीं। फिर मजबूरी में मां को जॉब का विचार छोड़ना पड़ता है, भले ही आर्थिक स्थिति खराब हो।

यहां हम इस बात पर जोर नहीं दे रहे हैं कि बच्चे को गाय, भैंस, बकरी आदि का दूध पिलाएं या पाउडर वाला दूध दें। लेकिन आप पंप के जरिये अपना दूध निकालकर बॉटल में स्टोर कर उसे पिला सकती हैं। आप जब घर पर रहती हैं, तब भी ये दूध बॉटल से पिलाएं। इस तरह बच्चे को मां का दूध भी मिलेगा और उसे आपकी अनुपस्थिति में बॉटल से पीने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। जो भी उसे संभालेगा, उसे भी आसानी होगी।

2 बच्चे को सुलाने के लिए दूध पिलाने की गलती न करें

अक्सर मम्मियां जब घर के काम कर के थक जाती हैं और सोना चाहती हैं, तो बच्चे को भी साथ सुलाने के लिए दूध पिलाने लग जाती हैं। उन्हें पता होता है कि दूध पीते-पीते वो रिलेक्स हो जायेगा और बिना किसी मेहनत के जल्दी सो जायेगा। बस यही पर वो गलती करती हैं। बच्चे को कभी भी दूध पीते हुए सोने की आदत न लगवाएं। सुलाने का ये तरीका आसान है, लेकिन बाद में इससे आपको ही परेशानी होगी, क्योंकि जब बच्चा थोड़ा बड़ा भी हो जायेगा, तब भी उसे सोने का मन होने पर वह आपके पास आकर दूध पिलाने की जिद करेगा। फिर दूध पीते-पीते ही सोएगा।

बेहतर यही होगा कि पहले दूध पिलाकर उसका पेट भर दें और फिर कंधे पर लेकर घुमाते हुए या बेड पर लिटाकर उसे थपकी देकर सुलाएं। इस तरह जब आप आसपास नहीं होंगी, तब कोई और भी उसे इन्हीं तरीकों से सुला पाएगा। ये सभी आदत शुरुआत से ही लगानी पड़ेगी, वरना देर हो जायेगी।

3 घर के सभी लोगों को बच्चे का काम करने दें

जब हम पहली बार मां बनते हैं, तो बच्चे को लेकर बहुत ज्यादा ही सतर्क रहते हैं। हम अपने अलावा किसी और पर भरोसा नहीं कर पाते। यहां तक कि परिवार के अन्य लोगों को भी हम बच्चे के हर काम से दूर रखते हैं। बच्चा उन्हें देते नहीं। हम सब कुछ खुद करना चाहते हैं। उसे नहलाना, खिलाना, सुलाना, खेलना, नैपी बदलना, सब कुछ खुद करते हैं

शुरुआत में ये अच्छा लगता है लेकिन कुछ समय बाद जब ऐसे मौके आते हैं कि हमें कुछ घंटे के लिए बाहर जाना पड़ता है, जॉब करनी पड़ती है तब बच्चे किसी और व्यक्ति को अपना वो काम करने नहीं देते। उन्हें लगता है कि उनकी मम्मी ही ये सारे काम करे। तब वे किसी और के हाथ से खाना नहीं खाते, नहाते नहीं। बस रोते रहते हैं।

ऐसे में घर के सभी लोग परेशान हो जाते हैं। इसलिए आपको शुरुआत से ही बच्चे को संभालने में सभी को शामिल करना होगा ताकि बच्चे को सभी की आदत लगे। वो सिर्फ आपके भरोसे न बैठे रहे।

4 बिस्किट, चिप्स से बच्चे का पेट न भरें

आमतौर पर जिन घरों में बच्चे होते हैं, उनके यहां बिस्किट के पैकेट जरूर होते हैं। ऐसे में जब भी बच्चे भूख लगने का इशारा करते हैं, व्यस्त पैरेंट उनके हाथ में बिस्किट थमा देते हैं। ऐसे में बच्चे का पेट, जो बहुत ही छोटा होता है, बिस्किट से भर जाता है, जो मैदे से बने होते हैं। ये बच्चे की सेहत के लिए भी ठीक नहीं होते

इस तरह बिस्किट से पेट भरने वाले बच्चे की हेल्थ कभी नहीं बनती। उनकी हाइट और हेल्थ उम्र के हिसाब से कम होती है। वे कमजोर दिखते हैं और हमें लगता है कि ज्यादा मस्ती करने की वजह, उनके शरीर में खाना नहीं लग रहा और वे दुबले हैं। जबकि ये गलत है।

डॉक्टर्स भी कहते हैं कि बच्चों के अगर दांत आ गये हैं तो उन्हें पराठा, सब्जी, दाल-चावल, फल खाने की आदत लगवाएं। बिस्किट ना के बराबर दें और कभी भी छोटे बच्चों को चिप्स, मैगी, मिक्शचर जैसे स्नैक्स की आदत न लगवाएं। वरना वे खाना नहीं खायेंगे। खाने के वक्त भी इन्हीं चीजों को खाने की जिद करेंगे और हमेशा दुबले, कमजोर ही दिखेंगे। फिर आप भी शिकायत करेंगे कि बच्चा सब्जी रोटी नहीं खाता, उसे सिर्फ चिप्स पसंद आता है।

5 बच्चे को बिजी रखने के लिए फोन न पकड़ा दें

कई बार घर के कामों में बिजी होने के कारण हम बच्चे को ज्यादा वक्त दे नहीं पाते और जब काम खत्म भी हो जाता है तो हमारे अंदर इतनी एनर्जी बचती ही नहीं कि बच्चे के साथ खेल सकें। ऐसे में हम बच्चे को बिजी रखने के लिए मोबाइल दे देते हैं। हमें लगता है कि वह वीडियो के जरिये पोयम सीख रहे हैं, कलर्स के नाम सीख रहा है, जानवरों को देख-समझ रहा है। लेकिन हम भूल जाते हैं कि बच्चा ये सब सिर्फ देख रहा है। रंग-बिरंगे चित्र तेजी से हिलते-डूलते उसे अच्छा लगता है, लेकिन वो सीखता नहीं है। धीरे-धीरे उसे फोन की इतनी आदत हो जाती है कि वह हमेशा आपसे फोन ही मांगता रहता है और आप भी उसे संभालने की टेंशन से बचने के लिए फोन पकड़ा देती हैं।

इस तरह घंटों फोन में घुसे रहने के कारण बच्चे की आंख भी खराब होती है और उसका आम इंसानों से मेलजोल न होने के कारण वो बोलना भी देर से सीखता है। वह वीडियो के जरिये बस पोयम गुनगुना लेता है। आम बोलचाल के शब्द वो नहीं सीख पाता। फिर हम सोचते हैं कि बच्चे ने अभी तक बोलना शुरू क्यों नहीं किया?

बेहतर होगा कि अगर आप बिजी भी हैं, तो बच्चे को फोन की बजाय कोई दूसरा खेल खेलने को दें। उसे अपने साथ कुछ काम में व्यस्त कर दें। रोटी बना रही हैं तो आटे का टुकड़ा दे दें। इस तरह वह व्यस्त भी रहेगा और फोन से दूर भी रहेगा। इस दौरान आप उससे लगातार बात करती रहें। तब वह बोलना भी जल्दी सीखेगा।

6 दूसरे बच्चों से तुलना कर बच्चों पर गुस्सा न निकालें

जब भी दो मम्मियां मिलती हैं, वे अपने बच्चों की ही बात करती हैं। ऐसे में अनजाने में हम बच्चों की तुलना करने लगते हैं। अरे, आपका बच्चा चलने भी लग गया…। आपका बच्चा बोलने भी लग गया…। ये सब देख हम अपने बच्चे से और उम्मीदें बढ़ा देते हैं। उस पर बोलने-चलने का प्रेशर डालने लगते हैं। अगर वह ऐसा नहीं करे तो चिढ़ भी जाते हैं कि तुम क्यों नहीं बोल रहे?

इन सब से बच्चा परेशान हो जाता है। उसकी पर्सनालिटी पर असर पड़ता है। इसलिए याद रखें कि हर बच्चा अलग होता है। किसी भी बच्चे की दूसरे से तुलना करना गलत है। कोई बच्चा डेढ़ साल की उम्र में बातें करने लगता है तो कोई तीन साल के बाद बोलना शुरू करता है। बच्चों पर डांटना, चिल्लाना बिल्कुल गलत है। आपको बस उसे प्रोत्साहित करना है। उस पर चिढ़ना नहीं है

7 इन बातों का भी रखें ख्याल

  • कई बार अनजाने में ऐसी गलती हो जाती है। एक ही तरफ के ब्रेस्ट से ज्यादा दूध पिलाने के कारण मम्मियों को दूसरे ब्रेस्ट में गिठान हो जाती है। ये दूध जमने के कारण होता है। इस गिठान को निकलवाना दर्दभरा काम होता है। इसलिए जब भी गिठान जैसा कुछ लगे तो हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। और हमेशा ध्यान रखें कि दोनों ब्रेस्ट से बराबर दूध पिलाएं, ताकि गिठान बनने की नौबत ही न आये।
  • बच्चे को सनस्क्रीन लोशन लगाये बिना बाहर न ले जाएं। बच्चों को स्कीन बहुत नाजुक होती है। आसानी से धूप से झुलस जाती है। बच्चों को धूप में ढक कर ही रखें। फुल स्लीव के कपड़े पहनाएं ताकि सनबर्न न हो।
  • बच्चे को पार्क या अन्य जगह में घुमाने ले जाया करें। उसे घर में कैद कर के न रखें। जब वह दूसरों बच्चों को देखेगा, तभी उनके साथ घुलेगा-मिलेगा। नई चीजें सीखेगा। वरना बाद में उसे लोगों से मिलने, बात करने में भी डर लगेगा। उसे बचपन से ही लोगों से घुलना-मिलना सीखाएं।
  • याद रखें, बच्चे वह नहीं सीखते जो हम बोलते हैं। बच्चे वो सीखते हैं, जो हम करते हैं। इसलिए खासतौर पर बच्चों के सामने ऐसा कोई काम न करें, जो आप बच्चों को सिखाना नहीं चाहते। आपकी पूरी दिनचर्या बच्चा देखता है, इसलिए अपना रहन-सहन व्यवस्थित रखें ताकि बच्चा भी ये सब सीखें। मैनर्स सीखे।
  • कई बार छोटे बच्चे अपने पैरेंट्स को ही चांटा मार देते हैं। ऐसे में पैरेंट्स हंस कर टाल देते हैं कि अभी ये बच्चा है। लेकिन आपको बच्चे को तभी बताना कि ये गलत है। ऐसा नहीं करते। जब आप उसे बार-बार टोकेंगे, तब उसे समझ आयेगा कि ऐसा नहीं करना। अगर आप हंसेंगे तो उसे लगेगा कि आपको भी मजा आ रहा है। फिर वह सभी को चांटे मारेगा।