महिलाओं के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग  के 7 टिप्स

महिलाओं के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के 7 टिप्स

महिलाओं का जीवन संघर्ष से भरा होता है। हर मोड़ पर उन्हें अपनी खुशियों से, कैरियर से समझौता करना पड़ता है। कई लड़कियों को शादी के बाद परिवार को संभालने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ती है, तो कई महिलाओं को अपने बच्चे की खातिर कदम रोकने पड़ते हैं और इस ब्रेक के बाद दोबारा नौकरी की, तो जीरो से शुरू करना पड़ता है। पति का ट्रांसफर हुआ तो अच्छी खासी नौकरी छोड़ उनके साथ दूसरे शहर शिफ्ट होना पड़ता है और वहां मन मारकर छोटी-मोटी नौकरी से ही संतुष्ट होना पड़ता है। इतना ही नहीं नौकरी के दौरान भी उन्हें भेदभाव से गुजरना पड़ता है। सालों साल प्रमोशन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि वह महिला है। पुरुषों के मुकाबले सैलरी भी कम मिलती है। ऐसी तमाम तरह की मजबूरियां, जिम्मेदारियां उनके रास्ते में आती रहती हैं, जो उनकी इनकम में रुकावट पैदा करती है। उनकी जमा पूंजी को दूसरों के मुकाबले कम करती है।

यदि आप भी इन सभी बातों से सहमत हैं और चाहती हैं कि आपका बैंक बैलेंस भी बढ़िया हो, आपकी फाइनेंशियल कंडीशन बेहतर हो, तो यह लेख आपके लिए ही है। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ खास टिप्स, जो आपकी फाइनेंशियल कंडीशन को बेहतर बनायेंगे।

1. खर्च की डायरी मेंटेन करें

वैसे तो महिलाएं बहुत सोच-समझकर खर्च करती हैं, लेकिन यह भी सच है कि वह खर्च का हिसाब लिख कर नहीं रखती। इसी के चलते उन्हें अपनी बचत व खर्च का सही अंदाजा नहीं हो पाता। तो बेहतर होगा कि आज ही एक डायरी बनाएं और अपनी इनकम के साथ ही रोजाना के खर्च का हिसाब लिखें। इससे आपको पता चलेगा कि आपने कहां, क्या, कितना बेफिजूल खर्च किया है और अभी कितने रुपये बचे हैं। इस तरह अगले महीने आप और संभल कर खर्च करेंगी।

2. निवेश की भाषा समझना जरूरी

आमतौर पर महिलाओं की इनकम पुरुषों के मुकाबले कम होती है। इसकी वजह कोई भी हो, लेकिन यह सत्य है। इसलिए यह ज्यादा जरूरी हो जाता है कि महिलाएं अपनी फाइनेंशियल कंडीशन को पुरुषों के बराबर लाने के लिए बचत के साथ-साथ निवेश पर भी ध्यान दें। अक्सर महिलाएं निवेश, फंड्स, बैंक आदि झंझटों से दूर रहना चाहती हैं। बहाना बनाकर टालती हैं कि ‘उन्हें यह सब बातें समझ नहीं आती’। लेकिन अब उन्हें कमर कसनी होगी और इन चीजों को भी समझना होगा ताकि परिस्थिति में सुधार हो। इसके लिए जरूरी है कि आप फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पढ़ें या किसी एक्सपर्ट से बात करें। इससे आपको बचत और निवेश की सही समझ होगी।

3. बुरे वक्त के लिए बनाएं इमरजेंसी फंड

महिलाओं को दूसरे पर निर्भर रहने की कोई जरूरत नहीं है। बुढापे का सहारा बच्चे बने, ये भी जरूरी नहीं। बेहतर होगा कि अपने रिटायरमेंट के लिए भी प्लानिंग कर लें। पैसा जोड़ कर रखें ताकि आखिरी दिनों में भी किसी के सहारे की जरूरत न पड़े। इसके साथ ही दूसरी समस्याओं जैसे अचानक नौकरी का जाना, कोई बीमारी हो जाना जैसी स्थितियों के लिए भी खुद को तैयार रखना जरूरी है। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि वे इमरजेंसी फंड भी बनाएं। इसमें आपको कम से कम 6 महीने के वेतन के बराबर पैसे रखने होंगे।

4. ऐसी सम्पत्ति बनाएं जिससे कमाई हो सके

महिलाओं को चाहिए कि पैसों को जमा करके उससे ऐसी सम्पत्ति तैयार करें जिससे इनकम हो सके। आप चाहें तो खुद का घर खरीद सकते हैं और उसे किराये में दे सकती हैं। आप जमीन खरीद कर रख लें। कुछ सालों बाद उसे बेचेंगी, तो काफी फायदा होगा। अभी तो सरकार भी घर खरीदने पर भी महिलाओं का सब्सिडी दे रही है। इससे आपका काम आसान हो जाता है। आप घर खरीदने के लिए बाकि की रक़म लोन लेकर पूरी कर सकती हैं और सैलरी से लोन चुका सकती हैं या उसी घर को किराये पर दे कर उससे लोन चुका सकती हैं।

5. सही है लॉन्ग टर्म हेल्थ इंश्योरेंस

महिलाओ के लिए लॉन्ग टर्म हेल्थ इंश्योरेंस (केयर इंश्योरेंस) लेना जरूरी है। हो सकता है कि अभी आपको इसकी जरूरत न पड़े, लेकिन ज्यादा उम्र होने पर यह आपको फायदा देगा, खासतौर पर तब, जब आपकी देखभाल के लिए कोई नहीं होगा। वैसे ऐसे लॉन्ग-टर्म हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम की कीमत ज्यादा होती है लेकिन इसे जितने जल्दी ले लेंगे, उतना कम कीमत पर यह मिल सकता है।

6. अपने पैसों का हिसाब खुद रखें

महिलाएं अक्सर कहती हैं कि मेरे टैक्स भरने का काम, बैंक का काम, हिसाब-किताब सब पति रखते हैं, पापा संभालते हैं। मुझे इन सब झंझटों में नहीं पड़ना। लेकिन ये तरीका सही नहीं है। अगर आप पैसे कमा रहे हो, तो आपको ये सब भी आना चाहिए। आपको ही ये हैंडल करना चाहिए। इसलिए जब आप जॉब करते हो, तो आपको सीटीसी, इन हैंड सैलरी, पीएफ, टैक्स इन चीजों को समझना होगा।

7. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न ही करें तो बेहतर

जब हम जॉब करते हैं, अकाउंट्स में पैसे जमा होने लगते हैं तो बैंक से भी क्रेडिट कार्ड लेने के लिए फोन आने शुरू हो जाते हैं। तब हम क्रेडिट कार्ड रख भी लेते हैं और कई बार मॉल वगैरह में जब हमें कोई चीज पसंद आती है और हमारे पास उस वक्त उसे खरीदने के पैसे नहीं होते, तो हम क्रेडिट कार्ड यूज कर लेते हैं। बस यही से एक चक्र शुरू हो जाता है, जो आपका सारा बजट बिगाड़ देता है। आप हर महीने उसका बिल चुकाने में लग जाते हैं। बेहतर होगा कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न के बराबर करें। यानी बहुत ज्यादा इमरजेंसी हो, तो ही करें।

इन पर भी ध्यान दें

  • सबसे पहले बजट तैयार करें कि सैलरी कहां-कहां खर्च करनी है, कितनी अंत में बचेगी।
  • आपको बस पैसों को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए, फिर भले ही आप हाउस वाइफ हो या आप स्टूडेंट हों और आपको पॉकेट मनी मिलती हो।
  • पैसों को सेव कर के कहीं न कहीं इन्हें इनवेस्ट करें। आपको म्यूचुअल फंड में अपनी उम्र, रिस्क व सेविंग के हिसाब से इनवेस्ट करना चाहिए।
  • आप एफडी करा सकती हैं या आप 500 से 1000 रुपये हर महीने बैंक में जमा करें। आपका पैसा धीरे-धीरे जमा होगा और कुछ सालो में आपका बैंक बैलेंस लाखों में हो सकता है।
  • आप अगर इकलौती हैं, कमा रही हैं, तो आप टर्म इंश्योरेंस खरीद लें। आप कम उम्र में इसे लेती हैं, तो आपको प्रीमीयम कम भरना पड़ेगा। इसमें अगर आपको कुछ हो जाता है, तो आपकी फैमिली परेशान नहीं होगी।
  • हेल्थ इंश्योरेंस लेना भी जरूरी है। क्योंकि कई बार सेहत बिगड़ने पर, अस्पताल में एडमिट होना पड़ता है, तो आपकी सारी सेविंग खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस इसे कवर कर लेता है।