किसी को भी दबाव डालकर बदलने की कोशिश न करें

किसी को भी दबाव डालकर बदलने की कोशिश न करें

विकास की मंगनी अपनी प्रेमिका रिया से हुई। शुरुआत में वह काफी खुश था, लेकिन कुछ दिनों बाद वह उदास दिखने लगा। मौसी ने पूछा तो विकास ने बताया कि उसे रिया का सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना पसंद नहीं। मौसी ने पूछा- जब तुमने उससे प्यार किया था, तो क्या तब भी वह ऐसी ही थी? विकास ने कहा- हां, लेकिन तब तो हमारी मंगनी नहीं हुई थी। अब जबकि शादी होने वाली है, तो जाहिर सी बात है कि उसे मेरे मुताबिक बदलना ही पड़ेगा। मुझे जो-जो काम पसंद नहीं, वो छोड़ने होंगे। मुझे जो चीजें पसंद हैं, वो करनी होंगी

तब मौसी ने विकास को कहा - भले ही तुम्हारे कहने पर मंगनी या शादी टूटने के डर से वह सोशल मीडिया छोड़ देगी, लेकिन यह बात उसके दिमाग में घर कर जायेगी कि तुमने प्रेशर देकर, इमोशनल ब्लैकमेल करके उसे बदला। जब रिश्ते की शुरुआत इस तरह एक-दूसरे को ब्लैकमेल करके, दबाव डालकर बदलने से होती है तो रिश्ता ज्यादा वक्त टिकता नहीं। सच्चा प्यार वही है, जब आप किसी को उसके असली रूप में स्वीकार करते हैं। ‘मोहब्बतें’ फिल्म में वो डायलॉग है न ‘ कोई प्यार करे तो तुमसे करे। तुम जैसे हो, वैसे करे। कोई तुमको बदलकर प्यार करे तो वो प्यार नहीं, सौदा करे और साहिबा प्यार में सौदा नहीं होता।’

पति-पत्नी दोनों करते हैं बदलने की कोशिश

दोस्तों, विकास की तरह ही कई लोग अपने लाइफ पार्टनर को बदलने की लगातार कोशिश करते रहते हैं। पति अपनी पत्नियों पर दबाव डालते हैं और पत्नियां अपने पतियों पर। कोई शादी टूटने के डर से, जीवनसाथी के नाराज होने के डर से या प्यार की वजह से खुद को थोड़ा बहुत बदल भी लेते हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा आता ही है, जब उन्हें लगता है कि उनकी खुद की पहचान खो गयी है, वे पिंजेर में कैद हैं, उनका दम घुट रहा है, वे अपनी पुरानी जिंदगी वापस चाहते हैं। तब वे विद्रोह करते हैं, घर में झगड़े होते हैं, एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर भी होते हैं, हालात बिगड़ जाते हैं और रिश्ता खत्म हो जाता है।

तभी शादी करें, जब कमियों के साथ स्वीकार कर सकें

हमें समझना होगा कि प्यार किसी को बदलने का नाम नाम नहीं हैं। जो, जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करना प्यार है। कई बार लड़कियां ऐसे लड़कों को पसंद कर लेती हैं, जो ड्रिंक करते हैं, जुआ खेलते हैं या कोई और बुरी आदत होती है। उन्हें लगता है कि शादी के बाद हम उन्हें बदल देंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है। वहीं लड़कों को लगता है कि हम लड़की की शॉपिंग की आदत, लड़कों से बात करने की आदत शादी के बाद बदल देंगे, लेकिन वे ऐसा कर नहीं पाते। जब दोनों ही लोग ऐसा बदलाव करने की जबरदस्ती कोशिश करते हैं, तो रिश्ता खराब हो जाता है।

हमें खुद से सवाल पूछना होगा कि क्या हम इस इंसान को इन कमियों के साथ स्वीकार कर सकते हैं? पूरी जिंदगी गुजार सकते हैं? अगर नहीं तो हमें रिश्ता वहीं खत्म कर देना चाहिए। शादी तक बात पहुंचनी नहीं चाहिए। हां, अगर उन्हें खुद से इन आदतों को बदलने की इच्छा हो गयी, तो इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती, लेकिन आपको दबाव नहीं डालना है। आप उदाहरण देकर जागरूक कर सकते हैं, प्रेरित कर सकते हैं, एक-दो बार समझाकर देख सकते हैं, लेकिन दबाव डालकर, धमकी देकर, मारपीट कर, इमोशनल ब्लैकमेल कर किसी को बदलने पर मजबूर करेंगे तो यह भविष्य के लिए सही नहीं होगा। इससे रिश्ता सिर्फ कमजोर होगा।


फेमस एक्टर सइद जाफरी की डायरी से लिया हुआ यह नोट पढ़ें।

Saeed Jaffrey

‘मैं 19 बरस का था और मेहरुनिमा 17 बरस की थी, जब हमारी शादी हुई। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं भारत के ब्रिटिश कल्चर से प्रभावित होता चला गया। मैंने धाराप्रवाह इंग्लिश बोलना सीख लिया, ग्रेसफुली सूट पहनना सीख लिया, संभ्रात लोगों वाले एटिकेट्स भी सीख लिए। लेकिन मेहरुनिमा मुझसे बिल्कुल उलट थी। वो एक टिपिकल हाउसवाइफ थी। मेरी सलाह और चेतावनी से उनके मूल व्यक्तित्व में कोई बदलाव नहीं आया। वह एक आज्ञाकारी पत्नी, प्यार देने वाली मां और एक कुशल गृहणी थीं। लेकिन जो मैं चाहता था, वह वो नहीं थीं। जितना मैं उन्हें बदलना चाहता था, उतने ही हम दोनों के बीच फासले बढ़ते गए।

इसी दौरान मैं अपनी एक को-एक्टर की तरफ आकर्षित हो गया। उनमें वह सबकुछ था, जो मैं अपनी पत्नी में चाहता था। शादी के 10 साल बाद मैंने मेहरुनिमा को तलाक दे दिया, घर छोड़ दिया और अपनी को-एक्टर से शादी कर ली। मैंने मेहरुनिमा और अपने बच्चों की फाइनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित कर दी थी। 6-7 महीनों तक सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा। इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरी पत्नी केयरिंग और अफेक्शनेट नहीं है। वह सिर्फ अपनी खूबसूरती, महत्वाकांक्षा, अपनी इच्छाओं के बारे में सोचती है। कभी-कभी मैं मेहरुनिमा के प्यार भरे स्पर्श और मेरे लिए फिक्र को मिस करता हूं। जिंदगी बीतती गई। मैं और मेरी पत्नी हम दोनों एक घर में रहने वाले दो लोग बन गए, हम एक नहीं हो पाए। मैं कभी ये देखने नहीं गया कि मेहरुनिमा और मेरे बच्चों का क्या हुआ।

दूसरी शादी के 6-7 साल बाद मैं मधुर जाफरी का एक आर्टिकल पढ़ रहा था, जो एक उभरती हुई शेफ थीं, जिन्होंने हाल ही में अपनी रेसिपीज की एक किताब लॉन्च की थी। जैसे ही मैंने उस स्मार्ट और एलीगेंट महिला की तस्वीर देखी, मैं दंग रह गया। वह मेहरुनिमा थीं। ऐसा कैसे मुमकिन था? उन्होंने दोबारा शादी कर ली थी और अपना नाम बदल लिया था। वह अब अमेरिका रहती थीं। मैं अगली फ्लाइट से अमेरिका पहुंचा और मेहरुनिमा से मिलने चला गया। उन्होंने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया। मेरी बेटी 14 साल की थी और बेटा 12 साल का। उन दोनों ने कहा कि वे आखिरी बार मुझसे बात करना चाहते हैं।

आज की तारीख में भी मैं भूल नहीं पाता कि मेरे बच्चों ने मुझसे क्या कहा था। उन्होंने मुझसे कहा कि हमारे नए पिता को पता है कि असली प्रेम क्या होता है। बच्चों ने बताया कि मेहरुनिमा को उनके दूसरे पति ने कभी बदलने की कोशिश नहीं की क्योंकि वह खुद से ज्यादा अपनी पत्नी को प्यार करते थे। उन्होंने मेहरुनिमा को अपनी तरह से विकसित होने के लिए स्पेस दिया। मेहरुनिमा जैसी थी, उन्होंने उन्हें वैसे ही स्वीकार किया, कभी उन पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दबाव नहीं बनाया। और अपने दूसरे पति के साथ आज वह कॉन्फिडेंस से भरी प्यार देने वाली आत्मनिर्भर महिला के रूप में तब्दील हो चुकी हैं। यह उनके दूसरे पति का निस्वार्थ प्रेम और स्वीकार्यता थी, जिससे यह संभव हुआ। जबकि आपकी स्वार्थपरिता, डिमांड और मां को उनके मूल रूप में ना स्वीकार करने से ही वह आत्मविश्वास से हीन हुईं और आपने अपनी स्वार्थपरिता में उन्हें छोड़ दिया। आपने कभी मां को प्यार नहीं दिया, आपने हमेशा खुद को प्यार किया और जो खुद से प्यार करते हैं, वे कभी किसी और को प्यार नहीं दे सकते।

मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक था - 'आप जिन्हें प्यार करते हैं, उन्हें बदलने की कोशिश नहीं करते, वो जैसे हैं, उन्हें वैसे ही प्यार करते हैं।'