खुश रहने के लिए इन 5 आदतों को अपनाएं

खुश रहने के लिए इन 5 आदतों को अपनाएं

खुश रहना तो हर कोई चाहता है, लेकिन बहुत सारी चीजें इसके आड़े आ जाती हैं। कभी दूसरों के व्यवहार की वजह से हम दुखी हो जाते हैं, तो कभी हम खुद ही दुखों को चुन लेते हैं। जी हां, यह सच है। ऐसे कई मौके आते हैं, जब हम खुशी को छोड़़कर दुख को खुद चुन लेते हैं। ये सब हम अनजाने में करते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि वे कौन-सी गलतियां हैं, जो हमें खुशियों से दूर और दुखों के करीब लाती हैं।

वैसे नीचे बताई गई इन सभी आदतों को अपनाना आसान नहीं है। जो इन सभी को अपना ले और इनमें महारथ हासिल कर ले, वह संत ही हो सकता है, लेकिन हम इनमें से कुछ आदतों को तो अपना ही सकते हैं। इतना भी नहीं कर सकते, तो कम से कम किन्हीं खास मौकों पर या कभी-कभी इन बातों को फॉलो कर दुखों को कम कर सकते हैं।

1. किसी से नफरत ना करें

हम सभी की जिंदगी में ऐसा कोई न कोई इंसान जरूर होता है, जिसने हमें हद से ज्यादा तकलीफ पहुंचाई है, जिसके नाम का जिक्र होते ही हमारा खून खौलने लगता है। वह सामने आ जाये तो दिल करता है कि उसका सिर फोड़ दें। जिसके बारे में हम मजाक में यह भी कह देते हैं कि अगर एक खून माफ होता तो मैं उसका खून कर देती।

बस हमें इसी नफरत को खत्म करना है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि उस इंसान से दोस्ती कर लो। लेकिन यह जरूर कह रहे हैं कि इस बात को समझें कि हर इंसान अलग होता है। सभी का दिमाग अलग तरह से काम करता है। स्वभाव अलग होता है। दुनिया में कुछ लोग अच्छे होते हैं, तो कुछ बुरे भी। समय के साथ इंसान भी बदल जाता है। हो सकता है कि वो भी बदल गया हो। उसको गलती का पछतावा हो, बस आपसे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो।

वैसे जब आप किसी इंसान से नफरत करते हैं, तो आप अपनी सेहत के साथ भी खिलवाड़ करते हो। आपका खून जलता है। बार-बार उस इंसान की हरकतें याद कर दिल दुखता है। आप तरीके सोचने लगते हो कि कैसे उसे नुकसान पहुंचाया जाये, ताना मारा जाये, बदला लिया जाये। इस तरह आपका दूसरे कामों में मन नहीं लगता। सोच-सोचकर बहुत सारा समय बर्बाद होता है इसलिए बेहतर है कि नफरत खत्म करें। कभी वह इंसान दिख जाये तो भी परेशान न हों। उसके कर्मों की सजा उसे भगवान देगा। आप उसे इग्नोर करें। खुश रहें।

2. अपनी तुलना किसी ने भी न करें

हर इंसान अलग परिस्थिति, माहौल, परिवार, शहर, लोगों के बीच पैदा हुआ है, बड़ा हुआ है। जिंदगी सभी को एक जैसे मौके नहीं देती, न ही सभी के हालात एक जैसे होते हैं। सभी की किस्मत अलग होती है। किसी को कोई चीज बहुत आसानी से, बिना मेहनत किये, जल्दी मिल जाती है तो किसी को हर चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है, काफी दिन इंतजार करना पड़ता है।

इसलिए दूसरों को देखकर न निराश हो और न जलन करें। अपनी तुलना दूसरों से या उनकी किस्मत से भी न करें। बस मेहनत करें और ये सुनिश्चित करें कि आप खुद पहले से बेहतर हो रहे हैं या नहीं। आपको अपनी तुलना बस खुद से करनी है। अपने भूतकाल से करनी है। भले ही चींटी की चाल से आगे बढ़ें, लेकिन बढ़ें। दौड़ नहीं सकते, तो पैदल चलें। चल नहीं सकते तो रेंगे, लेकिन उस जगह पर खड़े होकर न रह जाएं। याद रखें, दूसरों से तुलना आपको सिर्फ दुख देगी, लेकिन खुद से तुलना आपको सफलता।

3. जो जैसा है, उसे वैसा स्वीकारें

हमारे आसपास जो लोग रहते हैं, कई बार उनकी आदतें हमें परेशान करती हैं। कोई घर में हर तरफ सामान बिखेर देता है तो कोई खुद साफ-सफाई से नहीं रहता। कोई पढ़ाई के वक्त खेलता रहता है तो कोई घंटों दोस्तों से फोन पर बात करता है। कोई रात भर जागकर मूवी देखता है तो कोई सुबह की बजाय सीधे दोपहर में सोकर उठता है।

लोगों की ये आदतें हमें तनाव देती है। हम उनसे झगड़ा करते हैं, बात बंद करते हैं, खाना-पीना छोड़ उन्हें सुधारने की कोशिश करते हैं, उन्हें घर से निकल जाने का कहकर डराते हैं, तो कभी खुद घर छोड़कर चले जाने की धमकी देते हैं। ऐसा करके कुछ दिन सामनेवाला सुधर भी जाता है, लेकिन बाद में वही सब फिर शुरू हो जाता है और हम दोबारा दुखी हो जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं।

हमें अपनी यही आदत बदलनी है। हमें लोगों को उसी रूप में स्वीकारना होगा, जैसे वे हैं। हम उन्हें सुझाव दे सकते हैं, एक-दो बार समझा सकते हैं, लेकिन इसे अपने जीवन का लक्ष्य नहीं बना सकते। जिसे जब सुधरना होगा, वह खुद सुधरेगा। बदलाव भीतर से जागता है। किसी के बोलने से नहीं। हो सकता है कि सामनेवाले को आपकी कोई आदत पसंद न हो। उदाहरण के तौर पर बार-बार इन चीजों को लेकर टोकना। इसलिए अगर आप अपनों से प्यार करते हैं, तो उन्हें उनकी कमियों व आदतों के साथ स्वीकारें।

4. माफी मांगना और माफ कर देना

गलतियां हर इंसान से होती हैं। जो गलती न करे, वो इंसान ही नहीं। जरूरी ये है कि जब भी समझ आये कि हमसे गलती हो गयी है, हम उसकी माफी मांग लें। भले ही ये अहसास हमें कुछ दिनों बाद हो, कुछ महीनों बाद हो या सालों बाद हो। माफी मांगना अहम है। इससे हमें सुकून मिलता है। दिल को बोझ हल्का होता है। वैसे माफी मांगने से ज्यादा कठिन होता है माफ करना।

आमतौर पर लोग अपनी गलती के लिए माफी मांग लेते हैं, लेकिन कुछ लोग गलती हो जाने के बाद, ये पता चलने के बाद भी कि उनसे गलती हुई, माफी नहीं मांगते। हम उन लोगों को देखकर दुखी होते रहते हैं कि उसने अभी तक सॉरी नहीं कहा। हम सालों साल उनकी गलती याद रखते हैं और सोचते रहते हैं कि बाकी सब ठीक है, हम दोस्त हैं, रिश्तेदार हैं, बातचीत होती है, लेकिन उस इंसान ने फलां गलती के लिए अभी तक सॉरी नहीं कहा। शर्म नहीं आती उसे। हमें इस आदत को बदलना होगा। कई बार हमें लोगों के मुंह से बिना सॉरी सुने भी उन्हें माफ कर देना चाहिए। ये उनके लिए नहीं, बल्कि अपने लिए जरूरी है। वे अपने संस्कारों के हिसाब से व्यवहार कर रहे हैं, आप अपने संस्कारों के हिसाब से व्यवहार करें। बड़ा दिल कर के माफ कर दें।

5. जो है, उसमें संतुष्ट रहें

आज आपके पास साइकल है, तो आप स्कूटर लेने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। स्कूटर आ जायेगा तो बाइक के लिए मेहनत करेंगे। बाइक आ जायेगी तो कार के लिए मेहनत करेंगे। कार आ जायेगी तो, उससे भी महंगी कार के लिए मेहनत करेंगे। दो-तीन-चार गाड़ियां ले लेंगे, तब भी कुछ न कुछ पाने के लिए लगे ही रहेंगे, क्योंकि इच्छाएं, लालसा कभी खत्म नहीं होती।

अभी आप इन चीजों को पाने के लिए, रुपये कमाने के लिए खुद को झोंक देंगे, लेकिन जब आपकी उम्र इन सब को जमा करने में बीत जायेगी। सब कुछ आपके पास आ जायेगा, तब आपको अहसास होगा कि अब इन चीजों का मजा लेने के लिए आपके पास समय ही नहीं बचा है। आप बूढे हो गये हैं, बीमारियों ने घेर लिया है, चलने-फिरने की ताकत नहीं बची, नजरें अब कमजोर हो गयी हैं।

तब आपको समझ आयेगा कि उम्र भर उन चीजों को जमा करने के लिए आप भागते रहे, जो इतनी जरूरी नहीं थी। आपने अपनी जिंदगी एंजॉय नही की। परिवार के साथ समय नहीं बिताया, दोस्तों के साथ मस्ती नहीं की। दुनिया नहीं घूमी। तब वापस जाने का कोई रास्ता बचेगा। इसलिए चीजों के पीछे पागलों की तरह न भागें। नौकरी है, अच्छी बात है। ईमानदारी से मेहनत करें। बचत करें। घर के लिए जरूरी सामान खरीदें, लेकिन साथ ही खुद को भी समय दें। संतुष्ट होना सीखें। तब आप उन चीजों को आनंद उठायेंगे, जो पैसों से नहीं खरीदी जा सकती।