दूसरों से तुलना करेंगे तो हमेशा दुखी रहेंगे

दूसरों से तुलना करेंगे तो हमेशा दुखी रहेंगे

ओह.. कॉलेज की सारी सहेलियों की शादी हो गयी, बस मैं ही बची रह गयी हूं…, उसकी शादी को पांच साल हो गये, बच्चे भी हो गये और मैं अभी भी नौकरी ही कर रही हूं… उनका बेटा बात भी करने लगा, पोयम बोलने लगा और मेरा बेटा चंद शब्द ही बोलता है… वो अब दूसरी कार खरीद रहे हैं और मैं अपनी पहली कार भी नहीं खरीद पा रहा...।

‘तुलना’ ‘कम्पेरिजन’ ये ऐसी आदत है, जो आपकी अच्छी खुशनुमा जिंदगी को भी बर्बाद कर सकती है। वैसे यह बहुत छोटी बात लगती है, लेकिन धीरे-धीरे यह हमारा स्वभाव बनता जाता है। हम खुद की तुलना हर बात पर दूसरों से करने लगते हैं। हीनभावना से ग्रस्त हो जाते हैं। डिप्रेशन में चले जाते हैं। कॉन्फीडेंस खत्म हो जाता है। काम में मन नहीं लगता। लोगों से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं। बीमार-बीमार से रहने लगते हैं। धीरे-धीरे सारे रिश्ते हमसे छूटते चले जाते हैं।

इस तरह ये छोटी सी चीज हमारी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं। अगर आप भी इस तरह लोगों से तुलना करते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।

दूसरों से अपनी तुलना करना बंद करने के 7 तरीके

1. कमियों को नहीं, खूबियों को देखें

अपनी तुलना वाली लिस्ट को आप चेक करें तो आपको समझ आयेगा कि हम सिर्फ उन चीजों व बातों में तुलना करते हैं, जिसमें हम खुद को पीछे समझते हैं। जबकि हमें उन चीजों को भी देखना चाहिए जिसमें हम दूसरों के मुकाबले अच्छा कर रहे हैं।

हम दूसरों के प्रमोशन को देख दुखी होते हैं, लेकिन यह सोच कर खुश नहीं होते कि कई लोगों के पास तो नौकरी ही नहीं है, कम से कम हमारे पास वह तो है। हम दूसरों को बंगले खरीदते देख दुखी होते हैं। हम ये नहीं सोचते कि कई लोगों के पास तो रहने के लिए छत ही नहीं है हमारे पास कम से कम किराये का घर तो है।

किसी महान व्यक्ति ने कहा था कि हमें गिलास खाली कितना है, ये नहीं देखना चाहिए। ये देखना चाहिए कि गिलास कितना भरा है। जब हम इस बात को समझ लेंगे तो दूसरों को देख तुलना कर बंद कर देंगे। इससे हमारा बहुत सारा तनाव, दुख कम हो जायेगा।

2. हर व्यक्ति अपने टाइम जोन में जी रहा है

हर कोई एक-दूसरे से अलग है। हम सभी अलग-अलग वक्त, जगह, परिस्थितियों, माहौल में पैदा हुए हैं। हमें जिन्होंने पाला, हमारे आसपास कौन रहा, इन सबका हमारी जिंदगी पर असर पड़ता है। इसलिए किसी से कोई मुकाबला, तुलना हो ही नहीं सकती। यहां हर कोई अपने टाइम जोन में जी रहा है।

कोई 30 साल की उम्र में कंपनी का सीइओ बन जाता है, तो कोई कंपनी में सालों स्ट्रगल करके रिटायरमेंट के करीब आते-आते सीइओ बनता है। कोई 21 साल का होते ही शादी करके सेटल हो जाता है, तो कोई अधेड़ उम्र में आने के बाद अपनी पसंद का जीवनसाथी पाता है।

कहने का अर्थ बस इतना है कि हर व्यक्ति की किस्मत अलग है। हर कोई अपने टाइम जोन में जी रहा है। अगर आप अपनी उम्र के लोगों से हर बात में खुद की तुलना करेंगे तो कभी भी खुश नहीं रह पायेंगे, क्योंकि आपकी उम्र का, आपकी पहचान का कोई न कोई आपसे जरूर आगे रहेगा।

3. अपने पुराने दिन याद करें, खुद से तुलना करें

अमीर, खूबसूरत, सफल, हाई-फाई लोगों को देखकर, तुलना कर, जलना बेकार है। इससे आपका कॉन्फिडेंस भी लूज होता है। अगर अपनी तुलना किसी से करनी है तो सिर्फ खुद से करें। आप पहले किस हालात में थे और अब कहां हैं, ये देखें। आपके बारे में सिर्फ आप जानते हैं कि आपने अकेले अपने दम पर आज ये मुकाम पाया है।

हो सकता है कि ये उन लोगों जितना ऊंचा न हो, लेकिन आपके पुराने दिनों की तुलना में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि की खुशी मनाएं। इसे सेलिब्रेट करें और बिना किसी से तुलना किये, जलन किये, आगे के लिए कड़ी मेहनत करें।

4. जो है उसमें संतुष्ट रहना सीखें

इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती। पहले आप स्कूल में पास होने का सपना देखते हैं, वह पूरा होता है तो कॉलेज पूरा होने का सपना देखते हैं। फिर अच्छी जॉब का। फिर अच्छे जीवनसाथी का। फिर बच्चों का। इसके साथ-साथ घर, कार, बैंक बैलेंस, विदेश यात्रा ये सब भी जुड़ते चला जाता है।

कहने का मतलब ये है कि इच्छाएं, सपने कभी खत्म नहीं होते। जब आप समझ लेंगे कि असली खुशी इन चीजों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपी है तब आपको खुश होने के लिए इन चीजों को पाने की ख्वाहिश नहीं होगी। ना ही आप किसी को देख कर जलेंगे या अपनी तुलना करेंगे। जो है, उसमें संतुष्ट होना सीखेंगे।

5. अपनी खूबियों, उपलब्धियों की लिस्ट बनाएं

मेरे पास ये चीज नहीं हैं, उस चीज की भी कमी है… जैसी बातों को सोचकर निराश होने, डिप्रेशन में जाने की बजाय उन चीजों की लिस्ट बनाएं जो आपके पास हैं। एक बार कागज व पेन लेकर लिस्ट बनाने बैठेंगे तो आपको यकीन नहीं होगा कि आपने अकेले के दम पर क्या-क्या खरीदा है, क्या-क्या हासिल किया है।

आपको समझ आयेगा कि आपके पास खुश होने के लिए कितनी सारी चीजें हैं। इस लिस्ट को अपने पास हमेशा रखें और बार-बार इसे देखें। भगवान का शुक्रिया अदा करें कि उन्होंने ये सारी खुशियां आपको दी।

6. सोशल साइट्स देख दुखी होते हैं, तो उनसे दूर रहें

फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लोग अपनी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि को डालते हैं। किचन में कुछ अच्छी डिश बनायी से लेकर, देश-विदेश में घूमने की तसवीर, नयी कार का फोटो, गृह प्रवेश का फोटो, बच्चे क्लास में फर्स्ट आये.. जैसा सब कुछ अपलोड करते हैं।

कई बार हम उनकी फोटो देख दुखी हो जाते हैं। हमारे अंदर हीन भावना आ जाती है कि ये सब हमें क्यों नहीं मिलता। हमारी जिंदगी ऐसी क्यों नहीं? अगर आप भी ऐसे ही पोस्ट देखकर दुखी होते हैं, तो बेहतर होगा कि सोशल साइट्स को छोड़ दें। उनसे दूरी बना लें। आपको अपने अंदर तुरंत बदलाव नजर आयेगा।

7. खुद को व्यस्त रखें, नया कुछ सीखें

किसी ने सच ही कहा है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। जब आपके पास कुछ करने को नहीं होता, तभी आप खाली बैठे-बैठे ये सब बातें सोचते हैं और दुखी होते रहते हैं। इसलिए बेहतर है कि खुद को व्यस्त रखें। खाली समय में कुछ नया सीखने की कोशिश करें। हॉबी डेवलप करें। ऐसा कुछ करें, जिससे आपको खुशी मिलती है। जब आप कुछ नया सीखते हैं, तो आत्मविश्वास भी बढ़ता है और आपकी एक उपलब्धि भी बढ़ जाती है।