हाउसवाइफ को कमतर न समझें

हाउसवाइफ को कमतर न समझें

जमाना आज इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि आज हर कोई घर से बाहर जाकर पैसे कमाने की ही बात कर रहा है। नौकरी करने का, बिजनेस करने का, पैसा कमाने का, अपने पैरों पर खड़े होने का, स्वतंत्र होने का, अपने निर्णय खुद लेने का… इन सब बातों से कुछ ऐसा माहौल-सा बन गया है कि जो व्यक्ति ये सब नहीं कर रहा, उन्हें पिछड़ा हुआ, कमजोर व कमतर माना जा रहा है। इस श्रेणी में सबसे पहले शामिल है महिलाएं यानी की हाउसवाइफ। आज भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जो हाउसवाइफ होना बहुत छोटा काम समझते हैं। उन्हें लगता है कि जिस लड़की ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की या जिसे बाहर जाकर संघर्ष करने में डर लगता है या काम करने में आलस आता है, वो शादी करके हाउसवाइफ बन जाती है और बड़े मजे की जिंदगी बिताती है, लेकिन ऐसा है नहीं।

1. हाइसवाइफ बनना है दुनिया का सबसे कठिन काम

जी हां, आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन हाउसवाइफ बनना, घर व बच्चों को संभालना दुनिया का सबसे कठिन व सबसे जिम्मेदारी वाला काम है। आप ऑफिस में किसी प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, तो कितने दिन करते हैं? 10 दिन, 1 महीना..? लेकिन एक महिला जब बच्चे को जन्म देती है और उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी लेती है, तो वह 20 साल लंबे प्रोजेक्ट पर शुरुआत करती है। बच्चे को पालना-पोसना, बचपन से लेकर, उसके जवान होने तक और अक्सर उसके बाद भी, हर एक चीज का ख्याल रखना। उसे अच्छी बातें सिखाना, अच्छे संस्कार देना, अच्छा नागरिक बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी निभाकर वह एक तरह से देश के लिए एक बेहतर अगली पीढ़ी बना रही होती है।

2. नजरअंदाज किये जाते हैं हाउसवाइफ के काम

लोग अपने कामों में इतने व्यस्त होते हैं कि वे हाउसवाइफ के कामों को देख नहीं पाते। आप अगर पति हैं, तो आप सुबह उठते हैं, नहा-धोकर तैयार होते हैं और नाश्ता करके, टिफिन लेकर ऑफिस चले जाते हैं। रात को आते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं। लेकिन इसी दिन हाउसवाइफ का काम आपके उठने के कई घंटे पहले से शुरू हो जाता है और आपके सोने के कई देर बाद तक चलता ही रहता है। सुबह तैयार होने के बाद से वह किचन में लग जाती है। नाश्ता, चाय बनाती है। टिफिन तैयार करती है। आपके जाने के बाद टेबल साफ करती है। बच्चों को तैयार करती है, उन्हें स्कूल भेजती है। किचन साफ करती है। कपड़े धोती है, बर्तन मांजती है। झाड़ू-पोंछा करती है। घर को व्यवस्थित करती है। दोपहर को झपकी का वक्त बच्चों ने दिया तो ठीक, वरना उस वक्त भी उन्हें संभालती है, होमवर्क करवाती है। शाम की चाय के बाद उसका रात का खाना तैयार करने का काम शुरू हो जाता है। फिर किचन की सफाई, बर्तन, सुबह के नाश्ते व खाना की तैयारी, प्लानिंग करके ही वो सोती है।

3. नहीं मिलती संडे को भी छुट्‌टी

जो लोग ऑफिस जाते हैं, वे संडे को छुट्‌टी मनाते हैं। आराम से उठते हैं, सोचते हैं कि आज कोई काम नहीं करेंगे, लेकिन हाउसवाइफ ऐसा नहीं कर सकती। वह उस दिन भी रोज की तरह काम करती है। ज्यादातर घरों में संडे के दिन काम बढ़ जाता है, क्योंकि सभी घर में होते हैं, तो उनकी खाने-पीने की डिमांड भी बढ़ जाती है। बार-बार चाय बनती है। संडे है तो स्पेशल डिश की मांग होती है। हाउसवाइफ वह सब काम भी हंसते-हंसते करती है। आप टीवी देख रहे होते हैं, फेवरेट मूवी देख रहे होते हैं, हंसी-ठहाके लगा रहे होते हैं और वह किचन में आपके लिए कभी समोसे तो कभी आलू के पराठे बना रही होती है और दौड़-दौड़ कर आपको गरमा-गरम परोसने आती है। उसे फिल्म देखने की इच्छा हो या न हो, वह अपना काम बंद नहीं करती। आप भी मदद करने नहीं जाते, क्योंकि आपके मुताबिक तो आप बाकि छह दिन बहुत काम करते हैं और आपकी आज छुट्‌टी जो है।

4. हाउसवाइफ के कामों की कीमत होती है लाखों में

वैसे तो हाउसवाइफ के कामों की कीमत कोई लगा नहीं सकता, क्योंकि वह काम प्रेम के खातिर करती है, पैसों के लिए नहीं, लेकिन कभी आप बैठकर हिसाब करेंगे तो आप पायेंगे कि आप उसके कितने बड़े कर्ज के नीचे दबे हुए हैं। अगर आप घर में झाड़ू-पोंछा, डस्टिंग, कपड़े बर्तन के लिए बाई रखेंगे तो इतने सारे कामों के लिए वह आराम से 6-8 हजार रुपये लेगी। बच्चों को 24 घंटे संभालने के लिए आया रखेंगे तो वो भी 5-6 हजार रुपये लेगी। दोनों वक्त का खाना बनाने के लिए कुक रखेंगे तो वो 8 हजार रुपये लेगा। कपड़े प्रेस करने वाले के रुपये अलग। बच्चों को पढ़ाने के लिए ट्यूशन फीस अलग देनी होगी। ये सब भी संडे को छुट्‌टी लेंगे और इसके अलावा भी अन्य कारणों से बार-बार छुट्‌टी लेंगे। ये लोग कितना भी काम परफेक्ट कर लें, लेकिन इनके काम प्रोफेशनल होंगे। इनमें प्रेम नहीं होगा, चिंता नहीं होगी, आपकी सेहत का ख्याल नहीं होगा। आप बीमार पड़ेंगे तो ये आपके पास रातभर नहीं बैठेंगे, न ही आपके देर से आने पर इंतजार करते रहेंगे। ये सिर्फ एक मां, एक पत्नी, एक हाउसवाइफ कर सकती है।

5. कमाती नहीं, लेकिन बचाती जरूर है

हाउसवाइफ भले ही बाहर नौकरी कर के रुपये कमाती नहीं, लेकिन वह घर में ही ऐसे कई काम करती है, जिससे बचत होती हैं। वह कोशिश करती है कि घर में सारी चीजें बन जाएं, जिससे बाहर से कम से कम चीजें खरीदना पड़े। वह अचार, पापड़, मुरब्बा जैसी चीजें घर पर ही बना लेती है। सब्जियां उगा लेती है। पुराने कपड़ों से तकिये, कवर, डोरमैट, रजाई आदि बना लेती है। वह ऐसे तमाम क्रिएटिव काम करती है, जिससे घर सुंदर लगे और आपके पैसे बच जाएं।

ये दुनिया इसलिए सुंदर नहीं है क्योंकि यहां हर कोई कमाने की सोच रखता है। यह दुनिया इसलिए सुंदर है क्योंकि यहां ऐसी तमाम औरतें हैं, जो समर्पण के भाव से अपने परिवार का ख्याल रखती हैं। उनकी जरूरतों का ख्याल रखती हैं ताकि परिवार के अन्य सदस्य बाकि काम बिना किसी अन्य तनाव के कर सकें।