किसी भी विषय पर हेल्दी डिस्कशन कैसे हो?

किसी भी विषय पर हेल्दी डिस्कशन कैसे हो?

आज का समय ऐसा है कि हर तरफ ढेर सारे विषय बिखरे पड़े हैं, जिन पर बातचीत लगातार होती रहती है। यह विषय राजनीतिक पार्टियां हो सकती है या कोई व्यक्ति विशेष भी हो सकता है। लोग हर तरह के विषय पर बोल रहे हैं, जैसे- लड़कियों की आजादी, सास-बहू के संबंध, पति-पत्नी, पैरेंट्स-बच्चे, बेटा या बेटी, हाउसवाइफ या वर्किंग वुमन, छोटे कपड़े या बड़े कपड़े, संयुक्त परिवार या एकल परिवार, एलोपैथी या होम्योपैथी, प्राइवेट जॉब या गवर्नमेंट जॉब, हिंदी या इंगलिश, मूवीज या वेबसीरीज, स्टार किड्स, नेपोटिज्म।

लोगों के पास हर विषय पर बोलने को कुछ न कुछ है। बोलना अच्छी बात भी है। टाइमपास भी हो जाता है, लेकिन परेशानी तब आती है, जब यह बातचीत धीरे-धीरे बहस व झगड़े में बदल जाती है।

इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे किसी विषय पर हेल्दी डिस्कशन हो।

1. सिर्फ विचार मेल नहीं खाने से कोई दुश्मन नहीं हो जाता

इस बात को समझें कि हर इंसान की सोच, उसकी परवरिश, उसके संस्कार अलग-अलग होते हैं। ऐसे में यदि सामनेवाले का ओपिनियन, उसकी राय आपसे मेल नहीं खाती या आपके एकदम विपरित है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि सामनेवाला आपका दुश्मन है। उस एक ओपिनियन की वजह से उस इंसान से नफरत करना गलत है।

अपने आप को बार-बार याद दिलाएं कि ‘सामनेवाला इंसान अच्छा है, मेरा बहुत करीबी है, वह सुख-दुख में हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा है, वह मेरा व परिवार का करीबी रिश्तेदार है, मैं उसे बहुत पसंद करता हूं… बस इस विषय पर उसके और मेरे विचार मेल नहीं खाते, इसमें कोई गलत बात नहीं है।’ जब आप इस बात को याद रखेंगे तो कभी भी बातचीत बहस में तब्दील नहीं होगी।

2. विषय पर ज्ञान हो, तभी अपनी राय रखें

बहस उसी विषय पर करें, जिसके बारे में आपको भरपूर ज्ञान हो। सुनी-सुनाई बातों पर, किसी की हां में हां मिलाकर, व्हॉट्सएप्प फॉरवर्डेड मैसेज के दम बहस न करें। ऐसी बहस में आपका ही मजाक उड़ेगा। इसके साथ ही जब इस तरह की बहस में आप खुद को जीतता हुआ नहीं पाते तो आप जीतने के गलत तर्क अपनाते हैं, आवाज ऊंची करते हैं, गाली देने लगते हैं, मारने पर उतर जाते हैं, चीजें फेंकते व तोड़ते हैं या मुंह फुलाकर उस जगह को छोड़कर चले आते हैं। इनमें से कोई भी तरीका सही नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि जिस विषय पर ज्ञान हो, पूरी जानकारी हो, उसी विषय पर अपनी राय रखें।

3. सामनेवाली की बात सुनें, समझें फिर अपनी राय रखें

डिस्कशन तभी हेल्दी होगा, जब दोनों लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। जब दोनों बारी-बारी से बोलेंगे, लेकिन आजकल लोग डिस्कशन के वक्त सुनने को तैयार नहीं होते और सिर्फ बोलते जाते हैं उदाहरण के तौर पर न्यूज चैनल की डिबेट देख लें। आमतौर पर लोगों को जैसे ही पता चलता है कि सामनेवाले के विचार हमारे विपरित हैं, तो वे सबसे पहले सुनना बंद कर देते हैं।

सामनेवाला बोल ही रहा होता है और हम उसकी बातों का अनसुना कर, दिमाग में अपना जबाव तैयार करने लगते हैं। हम सुनते ही नहीं कि उसने बोला क्या? अगर आप चाहते हैं कि बातचीत कभी भी बहस में न बदलें, तो अच्छा श्रोता बनें। सामनेवाले की पूरी बात पहले शांति से सुन लें, उसके बाद अपना जवाब तैयार करें और बोलें।

4. कुछ नया सीखने, समझने की इच्छा रखें

लोगों को हार मानना, झुकना पसंद नहीं होता, लेकिन यह सही नहीं है। बातचीत के दौरान जब आप लोगों की बात सुनते हैं, तो उनका पक्ष भी समझने की कोशिश करें। खुद को उनकी जगह रख कर देखें। उनके तथ्यों को सुनें। हो सकता है कि आपको उनकी राय जम जाये, आपको भी लगने लगे कि वो सही बोल रहे हैं।

हो सकता है कि आपको गलत जानकारी थी या आपने इस विषय पर इस एंगल से सोचा ही नहीं। कुछ भी हो सकता है। इसलिए हमेशा सीखने की इच्छा रखें। कभी भी डिस्कशन जीतने के लिए नहीं करें। डिस्कशन का असली उद्देश्य जानकारी बढ़ाना होना चाहिए, ना कि एक-दूसरे को नीचा दिखाकर, सामनेवाले की बोलती बंद कर जीतना।

5. बातचीत में भाषा पर ध्यान दें, सम्मान बनाये रखें

कई बार बहस के दौरान लोग आपे से बाहर हो जाते हैं और तू-तड़ाक पर उतर आते हैं, गंदी गालियां देते हैं, किसी की पर्सनल लाइफ भी बहस में खींच लाते हैं। ये तरीका बहुत गलत है। अगर आपकी बात में सचमुच सच्चाई है तो आपको अपनी आवाज ऊंची करने की जरूरत ही नहीं है। अगर आपको लगता है कि सामनेवाला आपका पक्ष सुनने को तैयार नहीं। बहस हेल्दी नहीं है तो बेहतर है कि सम्मान के साथ माफी मांगते हुए उस जगह से चले जाएं या बहस को खत्म करें, यह कह कर कि आप अपनी जगह सही हैं और मैं अपनी जगह। इस विषय पर हमारे विचार कभी भी मेल नहीं खायेंगे, इसलिए अब हम इस विषय पर बात नहीं करें, तो बेहतर है।

6. सोशल मीडिया पर बहस करना टाइम वेस्ट है

सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से किसी भी विषय पर बहस करना बंद करें, क्योंकि उस प्लेटफॉर्म पर लोग सिर्फ टाइमपास के लिए आते हैं, वे कुछ सीखना नहीं चाहते। खासतौर पर ट्रोल करने वाले लोग। ये ऐसे कमजोर लोग होते हैं, जिनकी आम जिंदगी में लोगों के मुंह पर बोलने की हिम्मत नहीं होती, तो वो ऑनलाइन आकर, नकली नाम से इंटरनेट के पीछे छिपकर अपनी बहस करते हैं। गालियां देने लगते हैं। उट-पटांग बोलते हैं। इन लोगों से बहस कर के अपना टाइम वेस्ट न करें।