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ई-लर्निंग शिक्षा का भविष्य है - 7 कारण
कोरोना वायरस की वजह से बच्चे कई महीनों से घर में ही कैद हैं। घर से ही ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं। दिन में कई घंटे मोबाइल या लैपटॉप लेकर बैठे रहते हैं और पैरेंट्स परेशान होकर सोच रहे हैं कि ये सब कब खत्म होगा, लेकिन सच तो ये है कि भले ही ये सब अभी कोरोना के कारण शुरू हुआ है, लेकिन भविष्य में पढ़ाई का तरीका धीरे-धीरे यही होने वाला है।
टीवी पर आ रहे बायजूस ऍप, कोडिंग सीखने वाले ऍप और इसके जैसे कई ऍप इसका उदाहरण हैं। ये सभी बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के जरिये घर बैठे पढ़ाई करने को काफी समय से प्रोत्साहित कर रहे है। कोरोना वायरस के आने के पहले से ही ये ऍप कई बच्चे इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
1. हाई स्कूल व कॉलेज स्टूडेंट्स पहले से कर रहे इस्तेमाल
ऑनलाइन क्लासेज या कहें कि ई-लर्निंग का इस्तेमाल पहले बड़े बच्चे यानी कॉलेज स्टूडेंट्स करते थे या 10वीं,11वीं व 12वीं के स्टूडेंट्स। उन्हें अपने कोर्स की चीजें इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हो जाती थी, तो वो वहीं से सीख लेते थे।
बस बीते कुछ सालों में बायजूस जैसे ऍप के कारण छोटे बच्चों की जिंदगी में भी अब ये शामिल हो गया है। इसी की वजह से छोटे बच्चे आसानी से समझ सकें, ऐसे ऍप्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। ऐसे टीचर्स की डिमांड बढ़ी है, जो क्रिएटिव तरीके से बच्चों को पढ़ाते हों।
2. पैरैंट्स इस बदलाव को समझें
बच्चों को इंटरनेट का इस्तेमाल करते देख पैरेंट्स चिंता में रहते हैं कि कहीं इसका बुरा असर बच्चों पर न पड़े, लेकिन सच तो यह है कि अगर बच्चे स्कूल भी जाते हैं, तो आज कई स्कूल हाइटेक हो गये हैं और बच्चों को विजुअल्स, वीडियो के जरिये ही टीचर्स पढ़ा रहे हैं।
टीचर्स को भी ऐसी क्लासेज में पढ़ाने से आसानी होती है, जहां उस सब्जेक्ट को वीडियो के जरिये समझाया गया हो। पैरेंट्स को समझना होगा कि एजुकेशन फील्ड में समय के साथ काफी बदलाव आ रहे हैं।
3. 2-3 साल के बच्चे भी मोबाइल से सीखते हैं पोयम
एक समय था कि दादी-नानी बच्चों को कहानियां सुनाती थी, कविता, गाने सिखाती थीं, लेकिन अब दो-तीन साल के बच्चे मोबाइल व लैपटॉप के सामने बैठकर पोयम सुन रहे हैं, याद कर रहे हैं। कहानी देख रहे हैं। जानवरों, रंगों, आकारों के नाम सीख व समझ रहे हैं।
4. घर बैठे सीखने के भी फायदे हैं
इस ई-लर्निंग के कई फायदे भी हैं। पहला फायदा यही है कि बच्चा आपकी आंखों के सामने रहता है और आपकी जरूरतों को देख सकते हैं। उसकी मदद कर सकते हैं।
दूसरा फायदा ये भी है कि स्कूल में टीचर्स सभी बच्चों पर बराबर ध्यान नहीं दे पाते। हर बच्चे की सीखने-समझने की क्षमता अलग होती है। ऐसे में टीचर सिलेबस में आगे बढ़ती जाती है और कमजोर बच्चा पिछड़ता जाता है।
ई-लर्निंग ने तेज व कमजोर बच्चों के बीच के इस गैप को खत्म कर दिया है। अब कमजोर बच्चा वीडियो के जरिये कोई भी चीज बार-बार तक तक देख सकता है, जब तक वह समझ न लें।
5. स्कूल जाकर पढ़ने के भी अपने अलग फायदे हैं
हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि स्कूल जाकर पढ़ना अब बंद ही कर देना चाहिए। पढ़ाई के इस पारंपरिक तरीके के अपने अलग फायदे हैं। बच्चे आपस में मिलते-जुलते हैं। साथ पढ़ते हैं। आगे बढ़ते हैं। खेलते-कूदते हैं। सुबह तैयार होकर स्कूल जाने, प्रार्थना करने और सब के साथ बैठकर पढ़ने से एक अनुशासन बनता है।
स्कूल की भी अपनी यादें होती हैं, जो हमें जिंदगी भर अच्छा अहसास कराती हैं। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इस पारंपरिक तरीके में अगर ई-लर्निंग को मिला दिया जाये तो बच्चे तेजी से चीजें सिखेंगे।
6. ज्यादा आकर्षक है ई-लर्निंग
ई-लर्निंग हर बच्चे की क्षमता को देखते हुए उसे सिखा सकती है। वह वीडियो घर ले जाकर हजार बार देख सकता है। ई-लर्निंग पारंपरिक तरीके की तुलना में ज्यादा आकर्षक है। बच्चों को भी पूछेंगे तो आप यही जवाब सुनेंगे कि उन्हें ई-लर्निंग में, वीडियो के जरिये पढ़ने में ज्यादा समझ आता है। ई-लर्निंग उन्हें एक्सपर्ट व बेस्ट टीचर्स से जोड़ता है। उन्हें पढ़ने और ज्यादा से ज्यादा नॉलेज लेने के लिए मोटिवेट करता है।
7. ई-लर्निंग के फायदे बनाते हैं इसे खास
- इसमें बच्चों को ढेर सारी बुक्स व कॉपी खरीदने की जरूरत नहीं। हर चीज इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।
- इसमें पढ़ने के टाइम की लिमिट नहीं। अपनी सुविधानुसार कभी भी, कितने भी घंटे पढ़ाई कर सकते हैं।
- ई-लर्निंग में किसी सब्जेक्ट को समझने के ढेर सारे ऑप्शन मौजूद है। आप कई तरीकों को देख कर चीज समझ सकते हैं।
- स्कूल में हर सब्जेक्ट का एक टीचर होता है, अगर उनका पढ़ाया समझ नहीं आया तो आपके पास ऑप्शन नहीं, लेकिन ई-लर्निंग में आपको कई टीचर्स मिल जाते हैं।
ई-लर्निंग में बस एक दिक्कत है कि ये महंगा पड़ती है। इसके लिए घर में कंप्यूटर, मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन होना जरूरी है। निम्न वर्ग के लोगों के लिए यह सब चीजें जुटाना मुमकिन नहीं होता।