पति-पत्नी के बीच तलाक होने के 7 मुख्य कारण

पति-पत्नी के बीच तलाक होने के 7 मुख्य कारण

मर-मर कर जीने से बेहतर है ‘तलाक’

शादी एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ता होता है। हर व्यक्ति को शादी से यही उम्मीद होती है कि शादी के बाद जिंदगी खुशहाल हो जायेगी। हमें सुख-दुख बांटने वाला जीवनसाथी मिल जायेगा। हम मरते दम तक साथ रहेंगे। अपने बच्चों की शादी करेंगे। नाती-पोतों को खेलते हुए देखेंगे। साथ बूढे होंगे और साथ ही मरेंगे।

लेकिन सभी शादियों का अंत इतना सुंदर व संतोषजनक नहीं होता। कई बार रास्ता उबड़-खाबड़ निकलता है, जिन्हें पार करना दुखदायी हो जाता है। रास्तों में कांटे उग आते हैं, जो चुभते हैं, खून निकाल देते हैं। रास्ता दलदल-सा होता है, जिससे हम बाहर निकलने की कितनी ही कोशिश क्यों न कर लें, हम धंसते ही चले जाते हैं, दम घुटने लगता है।

ऐसी परिस्थिति में यही सलाह है कि जब शादी का सफर इस हद तक खराब हो जाए, तो सफर को मर-मर कर पूरा करने की बजाय रास्ता बदल दिया जाये, तलाक ले लिया जाये ताकि दोनों ही व्यक्ति खुश रह सकें

1. बस कुछ लोग एक-दूसरे के लिए नहीं बने होते

तलाक का ये मतलब बिल्कुल नहीं होता है कि शादी-शुदा जोड़े में से कोई एक व्यक्ति गलत था, जिसकी वजह से यह नौबत आयी। शादी टिक नहीं पायी। कुछ मामलों में ये हो भी सकता है, लेकिन सभी मामलों को एक नजर से देखना ठीक नहीं।

कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों ही इंसान अच्छे होते हैं। गलती किसी की नहीं होती, बस परिस्थितियां व विचार आपस में नहीं मिलते। ट्यूनिंग नहीं जमती। ऐसे मामलों में कोई भी खुद को या सामनेवाले को दोष न दें। ना ही परिवार वाले किसी को भला-बुरा ठहराये। शांति व समझदारी से अलग हो जाएं तो बिना किसी कड़वाहट के नई जिंदगी शुरू करना और आसान हो जाएगा।

2. जब ऐसा हो, तो अलग हो जाना ही ठीक है

जब रिश्ते में प्यार, सम्मान, दोस्ती, अपनापन कुछ भी न बचे… साथ रहने का बोझ इतना बढ़ जाये कि आत्महत्या करने जैसे ख्याल आने लगे… सब कुछ छोड़-छाड़ कर कहीं दूर भाग जाने का मन करने लगे…प्यार बाहर तलाशा जाये… अफेयर हो जाये…घर के बाहर सड़कों पर घूमते हुए ही सुकून मिले… तो बेहतर है कि तलाक ले लिया जाये।

कई बार लोग तलाक शब्द से इतना डरते हैं कि वे पूरी जिंदगी इन दुखों के साथ निकाल देना सही समझते हैं। आत्महत्या कर लेना भी उन्हें तलाक लेने से आसान लगने लगता है। यह सब सिर्फ समाज के दबाव में होता है, जबकि उन्हें समझना होगा कि समाज के लोगों ने बेवजह ही तलाक को बहुत बड़ा हौव्वा बना रखा है

3. तलाक से जिंदगी की होती है नई शुरुआत

जिस तरह शादी दो लोगों को मिलाने की एक प्रक्रिया है, उसी तरह तलाक दो लोगों को अलग करनी की एक प्रक्रिया है। इसे इसी रूप में लेना जरूरी है, तभी हम इस डर से बाहर निकल सकेंगे। समाज क्या कहेगा? लोग क्या कहेंगे? रिश्तेदार हंसी उड़ायेंगे… इन बातों के डर से क्या आप अपने इस मनुष्य जीवन को ऐसी ही बर्बाद कर देंगे, जो एक ही बार मिलता है?

याद रखें, जिंदगी आपकी है, आपको खुश रहने का पूरा-पूरा हक है। आप वह जिंदगी किस इंसान के साथ बिताना चाहते हैं, ये भी आपका हक है। लोगों का क्या है, वो कुछ दिन बातें करेंगे और भूल जायेंगे। उनके डर से आप अपनी जिंदगी क्यों तबाह कर रहे हैं? जिंदगी बहुत लंबी है…। उसे इस तरह दुखी-दुखी क्यों काटना? जब आप इन चीजों से छुटकारा पाकर खुश हो सकते हैं, नयी जिंदगी शुरू कर सकते हैं?

4. मिडिल क्लास ही डरते हैं इससे, हाइ सोसाइटी में आम है बात

हम मिडिल क्लास लोग हाइ सोसाइटी में रहने वालों में तमाम बुराईयां निकाल लें, लेकिन एक बात वहां अच्छी यह है कि वे लोग समाज के डर से घुट-घुटकर जीने से बेहतर समस्या का हल निकाल कर जिंदगी में आगे बढ़ना जानते हैं। उदाहरण के लिए आप बॉलीवुड सेलेब्रिटीज को ही ले लें। न जाने कितने ही सेलिब्रिटीज हैं, जिन्होंने धूमधाम से लव मैरिज की, शादी के कुछ सालों बाद जब अहसास हुआ कि हमारी आपस में नहीं बनती, तो समझदारी से अलग हो गये और फिर जब दोबारा कोई जिंदगी में आया तो दोबारा शादी कर घर बसाया और अब खुश हैं। उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि लोग क्या कहेंगे। उन्हें यह पता है कि जिंदगी उनकी है और खुश रहना जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी है।

5. माता-पिता और बच्चे डालते हैं एक साथ रहने का दबाव

बच्चों की जिद एक बार समझ भी आती है क्योंकि उन्होंने अपने मम्मी-पापा को हमेशा साथ देखा है, तो वे उनका अलग होना सहन नहीं कर पाते। दुखी रहते हैं। लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि कपल के माता-पिता उन्हें तलाक न लेने का दबाव बनाते हैं। समाज क्या कहेगा, रिश्तेदार हंसेंगे, हम लोगों को मुंह कैसे दिखायेंगे, हमारे खानदान में किसी का तलाक नहीं हुआ, दोबारा तुमसे शादी कौन करेगा? पूरा जीवन अकेले कैसे बिताओगे, अकेले रहोगी क्या हमेशा? बच्चों की शादी कैसे होगे? जैसे तमाम सवालों से उस कपल को घेरते हैं, खासतौर पर महिला को।

ऐसी परिस्थिति में अक्सर महिलाएं कमजोर पड़ जाती हैं और माता-पिता के दबाव में ऐसी बेमतल शादी में रहने को मजबूर हो जाती हैं। कई बार जब समस्या का हल नहीं निकाल पाती तो आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेती हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के तलाक के निर्णय पर अपना दबाव न बनाएं। उनकी जिंदगी हैं, उन्हें निर्णय लेने दें। इस बात को समझें ‘मायके वापस आ गयी बेटी, आत्महत्या कर चुकी बेटी से कहीं ज्यादा बेहतर है।’ यही बात बेटों पर भी लागू होती है।

6. अनुपमा सीरियल में उठाया गया है तलाक का मुद्दा

अनुपमा सीरियल में यह विषय गंभीरता से उठाया गया है। सीरियल की नायिका अनुपमा अपनी 25 साल का शादी तोड़ रही है। पति से तलाक ले रही है क्योंकि उसे पता चला कि पति का अपनी दोस्त काव्या से 8 साल से अफेयर है। उसकी सास, बेटा पारितोष और बेटी पाखी लगातार मां पर दबाव बना रहे हैं कि तलाक मत लो। घर टूट जायेगा।

सास उसे कह रही है कि महिलाओं को पति की गलती माफ करनी पड़ती है, यही सालों से चला आ रहा है। बच्चों की खातिर अपना ये स्वाभिमान छोड़ दे, लेकिन अनुपमा अपने इरादे पर अटल है। वह कहती है कि मैं परिवार की अपनी सारी जिम्मेदारियां हमेशा निभाऊंगी, लेकिन बस पत्नी का फर्ज नहीं निभा सकती। जिस रिश्ते में प्यार, सम्मान, दोस्ती न हो, उस रिश्ते का न होना ही बेहतर है

7. तलाक से ज्यादा बच्चों को नुकसान पहुंचायेगा आपका खराब रिश्ता

पुराने जमाने से यही सीख दी जा रही है कि लड़की डोली में ससुराल जाती है और अर्थी से ही उस घर से विदा होती है। ऐसे में लड़की को लगता है कि अगर वह बीच में शादी तोड़ती है या वापस मायके जाने का सोचती है तो उसमें ही कोई कमी है। इसलिए वह एक बुरी शादी में रहने को मजबूर हो जाती है। भले ही जान चले जाने की नौबत ही क्यों न आ जाये।

कई बार लड़कों के साथ भी ऐसा होता है। आमतौर पर कपल बच्चों की खातिर भी शादी को घसीटते रहते हैं। दरअसल ऐसी शादी को निभाना एक मरे हुए घोड़े को खींचने जैसा है। लोगों को लगता है कि उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है, क्योंकि वे बच्चों को एक टूटा हुआ परिवार नहीं देना चाहते। लेकिन वे भूल जाते हैं कि बच्चों पर जितना प्रभाव तलाक का पड़ता है, उससे कहीं ज्यादा प्रभाव माता-पिता के खराब रिश्ते का पड़ता है।

दरअसल ऐसे माता-पिता के बीच रहकर बच्चा सीख ही नहीं पाता शादी-शुदा कपल को कैसे रहना चाहिए? प्यार क्या होता है? बच्चों को लगता है कि झगड़ा, गाली, मार-पीट, चिल्लाना ये सब ही शादी होता है। फिर ये बच्चे बड़े होकर अपनी शादी में भी यही सब करते है, जो बहुत गलत है। आप भी नहीं चाहेंगे कि आपके बच्चे इन सब से गुजरें। इसलिए बच्चों के सामने उदाहरण बनें। गलत बातों को सहन न करें। खुद भी ऐसे रिश्ते से बाहर निकलें और बच्चों को भी बताएं कि रिश्ते को जबरदस्ती खींच कर जिंदगी खराब नहीं करना है।

तलाक लेने से पहले इन पहलुओं पर भी नजर डालें

  • कानून कहता है कि तलाक की स्थिति में महिला के नाम पर किया गया कोई भी निवेश उसकी निजी संपत्ति का हिस्सा होगा। बेनामी एक्ट पर हाल ही में दिल्ली हाइकोई के आदेश के बाद पत्नी के नाम पर पति की आय के ज्ञात स्त्रोतों से खरीदी गयी प्रॉपर्टी को अब बेनामी नहीं माना जाएगा। वह इसमें हिस्सेदारी का दावा कर सकता है।
  • विवाह के समय या इसके बाद महिला को मिले उपहार उसकी संपत्ति हैं, इसे स्त्रीधन कहा जाता है। भले ही पति-पत्नी विवाह के दौरान मिले उपहारों को साथ इस्तेमाल करते हैं, लेकिन तलाक की स्थिति में वह संपत्ति पत्नी की होगी।
  • स्त्रीधन, प्रॉपर्टी और निवेश में हिस्से के अलावा महिला गुजारे-भत्ते की भी हकदार है। वैसे वकीलों के अनुसार इसे कोर्ट तय करता है कि महिला जॉब करती है या नहीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है।
  • बेशक तलाक के बाद पति-पत्नी के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं। लेकिन, संभव है कि कुछ लक्ष्य दोनों के लिए बने रहे, मसलन, बच्चे की शिक्षा, उसकी शादी।

इन बातों का भी ध्यान रखें

  • शादी के तुरंत बाद बेबी प्लान करना समझदारी का निर्णय नहीं है। बच्चा होने के बाद कई बार लोग रिश्ते में खुद को बंधा व फंसा महसूस करते हैं। इसलिए पहले एक-दूसरे को जान लें। जब यकीन हो जाये कि पूरी जिंदगी इस इंसान के साथ गुजार सकते हैं, तो फिर ही बेबी प्लान करें।
  • कभी भी किसी खराब शादी को ठीक करने के लिए बेबी प्लान न करें। बच्चा अच्छे रिश्तों की निशानी होता है, न कि रिश्तों को सुधारने का जरिया।
  • हमेशा से शादी को निभाने के लिए कॉम्प्रमाइज, त्याग, एडजस्टमेंट करने को कहा जाता रहा है। ये ठीक भी है, लेकिन कुछ हद तक। जब ये सब सिर के ऊपर से जाने लगे, तो इस सोच को ठीक करने की जरूरत है।
  • जब भी दिमाग में तलाक का ख्याल आये, तो अपने साथी से इस बारे में बैठकर बात करें। विचार करें कि कहां गलती हो गई, क्या कमी रह गयी? हो सकता है कि साफ बातचीत करने से समस्या का हल निकल सके।
  • अगर किसी एक से कोई गलती हो गयी है और वह उस गलती से शर्मिंदा है, माफी मांग रहा है, तो एक बार उस इंसान को मौका दे कर देखें। शादी तोड़ने की निर्णय जल्दबाजी में न करें।
  • अपनी आर्थिक स्थिति देखें। तलाक के बाद कहां, कैसे रहेंगे? मायके वाले कितना साथ देंगे? नौकरी कर पायेंगी या नहीं? बच्चों को कैसे संभालेंगे? जैसी सारे सवालों के जवाब पहले तलाश लें। फिर निर्णय लें।
  • पुरुष केवल इस डर से किसी शादी को न निभाएं कि तलाक मांगा तो आधी जायदाद देनी पड़ेगी, घर-जमीन बिक जायेगी। याद रहे, पैसा दोबारा जमा किया जा सकता है, कम पैसों में भी जीवन कट सकता है, लेकिन बिना खुशी के रहना मुमकिन नहीं।
  • बच्चे अगर इतने बड़े हैं कि उन्हें समझाया जा सकता है, तो उन्हें बैठकर समझाएं कि आप दोनों का अलग होना क्यों जरूरी है? साथ ही आप भले ही अब पति-पत्नी नहीं रहेंगे, लेकिन आप दोनों बच्चों के माता-पिता जरूर रहेंगे। आप उन्हें प्यार करते हैं।