हेल्दी-ग्लोइंग स्किन के लिए कपिंग थेरेपी

हेल्दी-ग्लोइंग स्किन के लिए कपिंग थेरेपी

अक्सर हम हीरो-हीरोइंस और एथलिट्स के शरीर पर (ज्यादातर पीठ पर) गोल-गोल लाल निशान वाले फोटोज व वीडियो सोशल मीडिया में देखते हैं। ये दिखने में काफी डरावने लगते है, लेकिन सच ये है कि इनकी वजह से काफी फायदा होता है। दरअसल ये निशान एक थेरेपी के हैं, जिसे कहते हैं कपिंग थेरेपी।

खूबसूरती बढ़ाने के लिए बॉलीवुड हीरोइंस के साथ-साथ कई महिलाएं भी इस थेरेपी को अपना रही हैं। इससे स्किन हेल्दी और ग्लोइंग होती है और समय से पहले नजर आने वाला बुढ़ापा भी दूर भाग जाता है। पुरुष भी इस थेरेपी से कई तरह की बीमारियों का इलाज करवा रहे हैं।

क्या है कपिंग थेरेपी?

कपिंग एक ऐसी थेेरेपी है, जिसमें हम शरीर के पॉइंट्स व स्पेसिफिक एरिया पर कप लगाकर वैक्यूम पैदा करते हैं, जिससे वहां का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। इसमें कांच के कप का इस्तेमाल होता है ताकि वे शरीर पर चिपक जाएं। ये दो तरह की होती है, ड्राय कपिंग और वेट कपिंग।

जब थेरेपी चेहरे पर ग्लो लाने के लिए की जा रही हो तब कप दोनों गालों, माथे और चिन पर लगाये जाते हैं। वहीं अगर शरीर से जुड़ी किसी अन्य समस्या के लिए कपिंग थेरेपी की जा रही हो तो कप वहां पर लगाये जाते हैं, जहां से बीमारी जुड़ी हो। अगर बीमारी शुरुआती स्टेज में हो तो दो सीटिंग में वह ठीक हो जाती है।

जानकारी के लिए बता दें कि यह तकनीक आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। बीयूएमएस और बीएएमएस डिग्री प्राप्त डॉक्टर इसे कर सकते हैं। इसमें इंजेक्शन से भी कम दर्द होता है। सफल डॉक्टर के हाथों से करवाएं तो इसमें कोई खतरा नहीं है। इस थेरेपी के बाद स्किन पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगायी जाती है। हर रोगी के लिए अलग व नये कप इस्तेमाल होते हैं, इसलिए इंफेक्शन का खतरा नहीं है।

इसके फायदे क्या-क्या है?

खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ इस थेरेपी के कई फायदे हैं। बॉडी को रिलेक्स करने, मसल या जॉइन्ट को पेन कम करने, कफ एंड कोल्ड को ठीक करने, स्वास्थ्य संबंधी इश्यू को ठीक करने, पाचन संबंधी समस्या से निजात पाने के लिए, स्किन की हेल्थ इम्प्रुव करने के लिए, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, पैरों की सूजन, झनझनाहट, चर्म रोम, थायरॉइड, मोटापा आदि बीमारियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

ड्राय कपिंग :

ये कपिंग का चायनीज तरीका है। वहां हजारों सालों से ये किया जा रहा है। इस तरीके में कप के अंदर एल्कोहल में भिगो कर जलाये हुए कॉटन को डाल कर हीट किया जाता है। फिर आग को बुझाकर इस गरम कप को शरीर के स्पेसिफिक भाग पर रखा जाता है। जैसे ही कप के अंदर की ऑक्सीजन खत्म होती है, वहां पर वैक्यूम बन जाता है और उस पार्ट की स्किन हल्की-सी कप के अंदर स्ट्रेच हो जाती है। कप 10 से 15 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है फिर कप निकाल लिये जाते हैं। इस तरह ड्राय कपिंग परफॉर्म होती है।

कई जगहों पर कप में वैक्यूम लाने के लिए मशीन का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह थेरेपी इस कॉन्सेप्ट पर आधारित है कि इस तकनीक से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ा कर टारगेटेड पॉइन्ट्स पर ब्लड सप्लाई बढ़ा दी जाती है। चूंकि ब्लड में प्लाज्मा और जरूरी पोषक तत्व होते हैं, इससे हीलिंग प्रोसेस अगर रूकी हुई होती है, तो वह ट्रिगर होती है और ठीक हो जाती है। दर्द कम हो जाता है। स्किन की हेल्थ बढ़ जाती है। सांस की दिक्कत वाले लोगों की परेशानी भी ठीक होती है।

वेट कपिंग (हिजामा) :

इसे हिजामा भी कहा जाता है। यह एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है खींचकर बाहर निकालना यानी दूषित खून को बाहर निकालना। कपिंग का ये तरीका ड्राय कपिंग से काफी अलग है। यह इस कॉन्सेप्ट पर आधारित है कि शरीर के सभी टॉक्सिक एलिमेंट्स स्किन के नीचे ब्लड में मौजूद होते हैं और यही काफी सारी समस्याओं की जड़ है।

इस प्रैक्टिस में कप की मदद से टारगेटेड पॉइन्ट्स पर वैक्यूम पैदा करते हैं। फिर दो से तीन मिनट बाद ये कप्स निकाल दिये जाते हैं। फिर इन जगहों पर महीन-महीन कट्स लगाये जाते हैं। फिर उन एरिया पर दुबारा कप लगाते हैं और पम्प से वैक्यूम क्रिएट किया जाता है। अब कप्स में खून इकट्‌ठा होने लगता है। इस प्रैक्टिस में वही खून निकाला जाता है, जो स्किन के अंदर होता है और खराब होता है। नसों से खून नहीं निकाला जाता है। इस तकनीक से भी कई बीमारियों का इलाज होता है। वैसे हर बीमारी के हिसाब से अलग-अलग हिस्सों में कप लगाये जाते हैं।

कौन लोग करा सकते हैं ये थेरेपी?

वैसे तो सभी लोग इसे करा सकते हैं। यह नॉर्मल है। बस ऐसे लोग जो डायबिटीक हैं, वे इसे न कराएं। प्रेग्नेट महिलाएं भी न करें। अगर आपकी स्किन बहुत सेंसिटिव है तो कपिंग न कराना ही बेहतर होगा। इसे कराने के बाद शरीर में लाल धब्बे दिखाई देते हैं, जो दिखने में अजीब व डरावने लगते हैं, लेकिन चिंता की बात नहीं। लगभग 10 दिनों में ये निशान पूरी तरह चले जाते हैं।

(वेट कपिंग में जो ब्लड निकलेगा, वो टॉक्सिक ही है, इस बात पर अभी कोई रिसर्च नहीं हुई है। इससे मसल्स रिलेक्स होंगे, ये बात जरूर है। रिजल्ट व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं।)