हाउसवाइफ हैं तो क्या? दें खुद को भी अहमयित

हाउसवाइफ हैं तो क्या? दें खुद को भी अहमयित

अगर आप एक हााउस वाइफ हैं और आपको लगता है कि बच्चे और आपके पति दोनों ही आपको अहमियत नहीं देते। आपको कभी-कभी लगता होगा जैसे आप किसी काम की ही नहीं। रुकिए और सोचिए आखिर कमी खुद को आंकने में आप स्वयं तो नहीं कर रहीं....

मैं कुछ नहीं करती

अक्सर होममेकर से जब उनके पति की ऑफिस की पार्टी में या बच्चों की पेरेंट्स टीचर मीटिंग में पूछा जाता है कि आप क्या करती हैं। तो एक महिला तुरंत उत्तर देती है मैं तो हाउसवाइफ हूं मैं तो कुछ नहीं करती। खुद सोचिए जब आप खुद ही नहीं समझ पा रही कि आपका काम कितना मायने रखता है तो सामने वाले को क्या समझा पाएंगी। मैं कुछ नहीं करती वाले वाक्य को अपनी जुबान से क्या अपनी जेहन से आज ही हटा दें।

हाउसवाइफ बनना या वर्किंग वुमन होना आपका अपना निजी निर्णय है। लेकिन एक हाउसवाइफ होने के नाते आपको यह समझना होगा कि आप घर पर रहकर बहुत कुछ कर रही हैं। खाली नहीं हैं आप।

हर समय उपलब्ध नहीं

एक हाउसवाइफ को अक्सर यह शिकायत होती है कि उसके पास अपने लिए समय ही नहीं होता। एक बार सोचिए क्यों आपको समय नहीं होता। क्यों आप हर समय अपने अपनों के लिए ही उपलब्ध रहती हैं। आप खुद को परफेक्ट साबित करने में इतनी मसरूफ हैं कि घर के बाकी सभी लोगों को आपने अपने ऊपर बहुत हद तक निर्भर कर रखा है। खुद को इस परफेक्शन के दायरे से बाहर लेकर आएं। बच्चों को अपने साथ थोड़ा बहुत ही सही काम में लगाएं। खाने की मेज लगाना, उठाना, रसोई का काम हो जाने के बाद स्लैब साफ करना जैसे काम बच्चे भी आपके साथ मिलकर कर सकते हैं।

दोष न दें

भारत में ऐसी बहुत-सी महिलाएं हैं जो उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी काम नहीं कर पाई। बहुुत सी महिलाएं हैं जिनके घर के हालातों ने उन्हें घर की देहलीज लांघने का मौका ही नहीं दिया। उन परिस्थतयों का रोना दस साल बाद मत रोइए। आपको यकीं करना होगा कि आप अकेली नहीं हैं। आप जैसी बहुत सी हैं। जितना आप अपने वर्तमान को सही कर सकती हैं उतना करें। अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से देखना शुरू करें। अगर आपके मन में यह कसक है कि काश मैं नौकरी करती। तो अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार अपने लिए छोटी ही सही नौकरी तलाशें। बस मन में कोई गिरह न रहने पाएं। याद रखें कि आप घर की धुरी हैं, अगर आप खुश रहेंगी तो सामने वाले को भी खुश कर पाएंगी।

बच्चों की दुनिया में

आप बच्चों के साथ उनकी दुनिया में शामिल होने की कोशिश करें। सोशल मीडिया पर देखें कि किस तरह के महिलाओं के ग्रुप्स हैं, अपनी पुरानी सहेलियों को खोजें। उनसे बातचीत करें। बच्चे भी अपनी मम्मी को एक नए अवतार में देखकर खुश होंगे।

एक और बात याद रखें कि परफेक्ट मदर के साथ आपको एक हैप्पी मदर भी दिखना है। जब आप सबकी पसंद का खाना बनाती हैं तो एक दिन अपनी पसंद का खाना भी बच्चों को खिलाएं। उन्हें भी तो पता होना चाहिए कि मां को क्या पसंद है। वरना अब तक वह खाने के टाइम पर यही सुनते आए हैं कि तुम लोग बता दो, मैं तो कुछ भी खा लूंगी।