बच्चों से जुड़ी 5 समस्याएं और उनके उपाय

बच्चों से जुड़ी 5 समस्याएं और उनके उपाय

बच्चों को पालना। उन्हें बड़ा करना। अच्छे संस्कार व शिक्षा देना। उन्हें अच्छा इंसान बनाना। उन्हें अच्छी आदतें डालना। ये सब आसान नहीं है। हर पल, हर मोड़ पर आपको नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई बार पैरेंट्स बच्चों के व्यवहार को समझ नहीं पाते। कोई हल न मिलने पर उन्हें डांटने-मारने लगते हैं। इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि ऐसी कौन-कौन सी सिचुएशंस हैं, जिन्हें हमें दूसरे तरीके से हैंडल करना चाहिए।

1. जब किसी चीज की जिद करे बच्चा

सभी पैरेंट्स को बस यही शिकायत रहती है कि बच्चा बहुत जिद्दी हो गया है। किसी की नहीं सुनता। कई बार पैरेंट्स को समझ ही नहीं आता कि आखिर उन्हें कैसे हैंडल करें। अगर आपके साथ भी ये समस्या है तो ये तरीके आजमाएं। अगर बच्चा किसी चीज की जिद कर रहा है तो उसका ध्यान बंटाने की कोशिश करें। आप उसे दूसरे अच्छे ऑप्शन दें, जिसमें उसकी रूचि हो। बच्चे को साफ-साफ बता दें कि इस चीज की जिद मैं पूरी नहीं कर सकता।

बच्चा जब जिद कर रहा हो तो उसे ज्यादा ज्ञान न दें कि हमारे जमाने में तो हम ऐसा करते नहीं थे। फलां बच्चे से सीखो…। जब किसी दिन बच्चा अच्छे मूड में हो तो खेल-खेल में आप किसी चीज की जिद करें। उसकी एक्टिंग करें, ताकि वह समझ सकें कि वह जिद में कितना अजीब व्यवहार करने लगता है।

2. जब उल्टा जवाब देने लगे बच्चा

जिस बच्चे को इतना प्यार से पाला-पोसा, अगर वह बोलना सीख कर उल्टा जवाब देने लगे तो तकलीफ बहुत होती है। अगर आपका बच्चा भी ऐसा ही है तो आप इन बातों का ध्यान रखें। कभी भी बच्चे को उल्टा जवाब देने पर भाषण देने न लग जाएं कि बड़ों से बात करने की तमीज नहीं तुम्हें। सॉरी बोलो… अभी। ऐसा करने से बच्चे आपसे दूर होने लगेंगे। आप घर के माहोल पर ध्यान दें कि आपकी भाषा घर में कैसी है? कहीं आप पति-पत्नी झगड़ते तो नहीं? एक-दूसरे को उल्टा जवाब तो नहीं देते? इसे सुधारें।

घर के सभी लोग एक-दूसरे से विनम्रता से सम्मान से बात करें। इसके अलावा बच्चे के साथ रिश्तों पर काम करें। उसे भरपूर समय दें। जब वे आपसे इमोशनली जुड़ जायेंगे तो आपको उल्टा जवाब देकर, बत्तमीजी कर दुख देने के बारे में नहीं सोचेंगे। जब बच्चों और माता-पिता के बीच ऐसा कनेक्शन नहीं होता, तब बच्चे बदतमीज हो जाते हैं। पैरेंट्स को भला-बुरा कहने से भी नहीं चूकते।

इसके अलावा ये जानने की कोशिश करें कि बच्चा किस वजह से दुखी है और ऐसा व्यवहार कर रहा है। उससे वजह जानने की कोशिश करें।

3. जब बच्चा बात-बात पर गुस्सा करने लगे

कई बार हम देखते हैं कि बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए गुस्सा करने लगते हैं। चीखते-चिल्लाते हैं। चीजें फेंकते हैं। पैर पटकते हैं और रोते हैं। आप उन्हें कितना भी समझा लें कि गुस्सा मत करो। चिल्लाओ मत, लेकिन वे शांत नहीं होते। तब आप गुस्से में आकर उन्हें और ऊंची आवाज में डांटते हैं या थप्पड़ मार देते हैं। ऐसा सीन अगर आपके घर में आम बात है तो इस बात को समझें। हर बार आपको पहले गुस्से के कारण को समझना होगा और उसका हल निकालना होगा।

आपको पता होना चाहिए कि बच्चा किस बात में भड़क जाता है। कौन-सी चीज उसे पसंद है और कौन-सी नापसंद। कई पैरेंट्स इन बातों में निपुण होते हैं। वे रोते बच्चों को भी हंसा लेते हैं और गुस्सैल बच्चे को भी शांत कर लेते हैं। आप भी कर सकते हैं, बस आपको बच्चे की पसंद-नापसंद अच्छी तरह पता होनी चाहिए। कई बार पढ़ाई का तनाव, कम नींद होने के कारण, खान-पान ठीक न होने के कारण भी गुस्सा आता है। इन चीजों को ठीक करें। 8 घंटे बच्चों को जरूर सोने दें।

4. बच्चा जंकफूड खाने की जिद करे

पैरेंट्स को अपने बच्चे हमेशा प्यारे होते हैं। कई बार वे अपने मोटापे से ग्रस्त बच्चे को भी हेल्दी बोलते हैं और उन्हें उनकी पसंद की चीजें जंक फूड खाने देते रहते हैं। आप भी ये गलती कर रहे हैं तो अभी सावधान हो जाएं। मोटापे से बच्चे में आत्मविश्वास की कमी, चिंता, डिप्रेशन होने की भी संभावना बन सकती है। मोटापे को इग्नोर न करें, क्योंकि इससे बच्चा कई बीमारियों की चपेट में आ सकता है। जैसे डाइबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर, अस्थमा, नींद न आना, कैंसर, लीवर रोग, लड़कियों में मासिक धर्म का जल्दी शुरू हो जाना, स्किन प्रॉब्लम आदि।

बच्चों को मोटा होने से बचाने के लिए उन्हें जंक फूड से दूर रखें। मिठाई, चॉकलेट कम दें। उन्हें फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें। दिनभर टीवी, मोबाइल, वीडियोगेम खेलने से रोकें। पौष्टिक आहार दें। रात को खाने के बाद तुरंत सोने न दें। पैरेंट्स खुद भी एक्सरसाइज करें ताकि बच्चे उन्हें देख कर मोटिवेट हों।

5. जब बच्चा महंगे खिलौने की जिद करे

वैसे तो आजकल के पैरेंट्स बिना मांगे ही बच्चों को वो सारी चीजें उपलब्ध करा देते हैं, जो उन्हें बचपन में न मिली हों, लेकिन इसके बावजूद कुछ चीजें ऐसी रह ही जाती हैं, जो बहुत महंगी होती हैं और पैरेंट्स नहीं खरीद पाते। बच्चे उन चीजों को खरीदने की बहुत जिद करते हैं। ऐसी सिचुएशन में क्या करें, आज हम आपको बता रहे हैं। इस एक बात याद रखें कि आपको न बच्चे को डांटना है और न ही ये कहना है कि हम लोग गरीब हैं। दरअसल गरीबी समझने की ये उनकी उम्र नहीं है इसलिए ये बातें बच्चे के दिमाग पर गलत असर डाल सकती है

आप उन्हें प्यार से समझाएं कि आपकी सैलरी कितनी है, कहां, क्या, कितना खर्च हो रहा है और इस महीने आपने उनकी किस चीज में पैसे लगाएं हैं। जब वे ये सारा हिसाब देखेंगे तो समझ जायेंगे कि आप क्यों नहीं खरीद सकते। कई पैरेंट्स अपनी लाइफस्टाइल में कटौती कर बच्चे की जिद पूरी करते हैं, उधार लेते हैं, ऐसी गलती न करें। बच्चे की हर जिद पूरी करना भी ठीक नहीं। इससे उनकी डिमांड बढ़ती जायेगी। बेहतर होगा कि आप बच्चों को अनाथाश्रम ले जाया करें ताकि वे समझें कि कई बच्चों को ये सारी सुविधाएं नहीं हैं। तब वह उनकी मदद करना भी सीखेगा और फिजूल की जिद भी नहीं करेगा।

बच्चों के दोस्तों के साथ समय गुजारें, उन्हें घर पर बुलाएं ताकि आपको पता रहे आपका बच्चा किस तरह के बच्चों के बीच रहता है।

बच्चों से रिश्ता मज़बूत करने के लिए ये काम करें।

  • दिन में कई बार उन्हें गले लगाएं। प्यार जताएं। सुबह उठने के बाद उन्हें गले लगाकर गुड मॉर्निंग कहें। रात में सुलाने से पहले गले लगाकर गुड नाइट कहें। सिर पर हाथ फेरें। पीठ पर हाथ रखें जैसे छोटी-छोटी बातें कर उन्हें अपनापन महसूस कराएं।
  • उनके साथ उनके गेम खेलें। भागदौड़ करें। अपने जमाने के गेम्स उन्हें सिखाएं। रोज बाहर घूमने जाएं। वॉक करें।
  • जब भी उनके साथ हो तो मोबाइल को दूर रखें। उनकी बातों को गौर से सुनें। टीवी बंद कर उनकी ओर ध्यान दें।
  • भले ही आप कितना बिजी हों, लेकिन दिन में आधा घंटा बच्चे से बात करने के लिए जरूर निकालें। जानें कि उनकी जिंदगी में क्या चल रहा है।
  • जब बच्चे की जिंदगी में कोई बदलाव आये जैसे शहर बदलना, स्कूल बदलना, स्कूल में कोई कंपीटीशन ऐसे हर मौके पर उनके साथ रहें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • उन्हें प्यार जाहिर करना, दुख जाहिर करना सिखाएं। अपनी बात रखना सिखाएं।
  • अपने डिसीजन बच्चों पर नहीं थोपें। उनकी सोच जानने की कोशिश करें। उनके नजरिए का सम्मान करें। उन्हें गलती करके सीखने दें।
  • किसी भी काम को सिखाने की जल्दबाजी न करें। इससे बच्चा तनाव में आ जाता है और आपसे डरने लगता है। उन्हें किसी काम को सीखने का वक्त दें। दबाव बिलकुल न बनाएं।
  • बच्चों की जिंदगी के खास पलों में मौजूद रहें जैसे बर्थडे, स्कूल डांस कंपीटीशन, फैंसी ड्रेस, स्पोर्ट्स डे, रिजल्ट डे।