बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने के लिए ये 8 तरीके अपनाएं

बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने के लिए ये 8 तरीके अपनाएं

करीब दो साल में बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है। ऑनलाइन क्लासेज शुरू तो थी, लेकिन हम जानते हैं कि बच्चों की पढ़ाई वैसी नहीं हो पाई जैसी स्कूल की क्लासेज में होती थी। इतने लंबे समय स्कूल से दूर रहने की वजह से बच्चों का फोकस भी गड़बड़ा गया है। उनका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा। ध्यान भटकता है, आलस ने उन्हें जकड़ रखा है। वे बस खेलना चाहते हैं, सोना चाहते हैं या मोबाइल, लैपटॉप, टीवी से चिपके रहते हैं। अगर आपके घर में भी बच्चों के साथ यही समस्या है तो इन टिप्स को जरूर आजमाएं।

1. पढ़ाई का माहौल व जगह बनाएं

कई पैरेंट्स टीवी के सामने बैठकर सीरियल या मूवी देखते हैं और साथ में बच्चों को पढ़ाते भी जाते हैं। वे चाहते हैं कि बच्चों को पढ़ाने का काम भी हो जाये और उनका सीरियल भी मिस न हो। ऐसे में उनका ध्यान भी पूरा बच्चों को पढ़ाने में नहीं रहता और बच्चों का ध्यान भी टीवी पर जाता है।

ऐसी गलती न करें। बच्चों को पढ़ाने के लिए शांत जगह का चुनाव करें। हॉल में बैठें तो टीवी बंद रखें। आसपास ऐसी कोई चीज न रखें, जिससे बच्चों का ध्यान भटके। हो सके तो बच्चों को उनके रूम में ही पढ़ाएं, जहां स्टडी टेबल हो, चेयर हो। उस जगह पर वे फोकस कर पायेंगे। पढ़ते वक्त बच्चों का ध्यान खिलौनों की तरफ न जाये, उसके लिए पढ़ाने शुरू करने से पहले सभी खिलौनों को समेट कर उनकी नजरों से दूर रख दें।

2. रोज पढ़ाने की आदत डालें

बच्चों को स्कूल की तरह ही अनुशासित होकर पढ़ाने के लिए समय तय करें। रोज उसी वक्त पर पढ़ाने की कोशिश करें। रोज खुद बच्चों को पढ़ाएं। ऐसा न हो कि एक दिन आपने पढ़ाया और फिर बाकी दिन उसे खुद को पढ़ने के लिए अकेला छोड़ दिया। घर पर भी पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाएं। हर सब्जेक्ट के लिए समय व दिन तय करें। उसके हिसाब से ही पढ़ाएं।

कई बार बच्चों को लगता है कि मम्मी हमें कमरे में बैठकर पढ़ने बोल रही है और खुद मजे से टीवी देख रही है। घर के सब मजे कर रहे हैं, बस मैं पढ़ रहा हूं। इस स्थिति से बचने के लिए बच्चों के साथ आप भी बैठें। हां, साइड में बैठकर मोबाइल में गेम्स न खेलें। आप भी कोई बुक पढ़ लें या लैपटॉप पर काम कर लें, लेकिन उनके पास ही बैठें, ताकि उन्हें कंपनी मिल जाये। वे अपने डाउट आपसे पूछ सकें।

3. पढ़ाएं, लेकिन बीच में ब्रेक दे-देकर

हम सभी जानते हैं कि बच्चों को पढ़ने से ज्यादा खेलना अच्छा लगता है, उनका ध्यान जल्दी भटकता है, वे जल्दी बोर हो जाते हैं, इसलिए कोशिश करें बच्चों को पढ़ाते वक्त रोचक तरीके अपनाएं। खेल-खेल में सिखाएं। बीच-बीच में ब्रेक दें। बच्चों को लगातार घंटों तक न पढ़ाएं। शुरुआत में एक घंटा रखें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। ब्रेक जरूर दें, लेकिन वह इतना लंबा भी न हो कि पढ़ाई का मूड ही खत्म हो जाये। वॉशरूम जाने के लिए, एक कॉफी पीने के लिए, बैठे-बैठे थक गये हो तो घर में ही टहलने के लिए समय दें। रोजाना इसी तरह पढ़ायेंगे तो बच्चों की एकाग्रता बढ़ेगी और पढ़ाई में भी मन लगने लगेगा।

4. पढ़ाई का सारा सामान साथ लेकर पढ़ने बैठें

पढ़ाई के वक्त जिन-जिन चीजों की जरूरत होगी, वो सब साथ लेकर बैठें। यहां तक कि पीने के लिए पानी भी ले लें। ऐसा इसलिए क्योंकि पढ़ाई के दौरान बार-बार किसी चीज को लाने के लिए उठकर जाने से फोकस खत्म हो जाता है। पढ़ाई से ध्यान हट जाता है। लिंक टूट जाता है।

5. जल्दी सोना और जल्दी उठना सिखाएं

पढ़ाई का मतलब ये नहीं है कि नींद भी छूट जाये। कई बच्चे दिनभर पैरेंट्स के हिसाब से रहते हैं, लेकिन रात में सोने की बजाय गेम्स खेलते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को सुबह के वक्त ही खेलने की छूट भी दें, ताकि वे रात को जागकर अपनी इच्छा पूरी न करें। बच्चों को समझाएं कि सोना उनकी सेहत के लिए जरूरी है। अगर वे ठीक से नहीं सोयेंगे तो पढ़ाई में फोकस नहीं कर पायेंगे। थकावट दिनभर बनी रहेगी। बच्चों को जल्दी सोना और जल्दी उठने का महत्व समझाएं। उन्हें बताएं कि सुबह के वक्त याद की हुई चीज हमेशा याद रहती है, इसलिए सुबह के वक्त पढ़ाई जरूर करें और सुबह उठने के लिए जल्दी सोना बहुत जरूरी है।

6. हर काम समय पर हो

कई बार बच्चे किसी काम को नापसंद करते हैं, तो वे बहाना कर के पढ़ाई टालते हैं, कोई खास सब्जेक्ट टालते हैं, कोई खास चैप्टर टालते हैं, होमवर्क टालते हैं। बच्चों को ऐसा करने से रोकें। बच्चों को समझाएं कि आप जितना चीजों को टालते हो, वह बाद में और बड़ी बन कर सामने आ जाती है। बेहतर है कि उसे उसी समय पूरा कर लिया जाये। अगर वे कोई काम टाल रहे हैं, तो उसकी वजह पूछें। हो सकता है कि उसे काम में किसी खास चीज से डर लगता हो। समझ नहीं आती हो। उस समस्या का हल निकालें। उदाहरण के तौर पर कई बच्चे मैथ पढ़ना टालते हैं, क्योंकि उन्हें मैथ से डर लगता है। उन्हें उस डर से जीतना सिखाएं। मैथ को फन बनाकर उसे हल करने का मजा लेना सिखाएं।

7. पढ़ाई का महत्व समझाएं

बच्चों को समझें, उनके दोस्त बनकर उनसे पूछें कि वे क्यों पढ़ाई को गंभीरता ने नहीं लेते। दरअसल कुछ बच्चों का मन पढ़ाई में इसलिए भी नहीं लगता, क्योंकि उन्हें कुछ और बनना की इच्छा है, जैसे डांसर, क्रिकेटर, पेंटर आदि। उन्हें लगता है कि पढ़ने से इन चीजों में कोई फायदा नहीं। ऐसे बच्चों को जरूर समझाएं कि वे जो चाहे बन सकते हैं, लेकिन बेसिक पढ़ाई यानी ग्रेजुएट होना जरूरी है। ये हर फील्ड के लिए जरूरी है। फिर भले ही वे डांसर बने या क्रिकेटर। क्योंकि भगवान न करें, उनका कैरियर उस फील्ड में न बना तो उनके पास कम से कम कोई बैकअप प्लान तो होगा। बच्चों को कैरियर को लेकर ‘प्लान बी’ बनाने के महत्व बताएं। अपने आसपास के उदाहरण बताएं।

पढ़ाई शुरू करने से पहले यह प्लान कर लें कि आज किस सब्जेक्ट को पढ़ना है? क्या-क्या पढ़ना है? कितने चैप्टर पूरे करने हैं? स्कूल का होमवर्क करना है या रिवीजन करना है आदि। तैयारी पहले से ही कर लेने से पढ़ते वक्त सोचने में समय बर्बाद नहीं होता है

8. बच्चों को दे प्रोत्साहन

बच्चों के लिए छोटी-छोटी चीजें भी बड़ी उपलब्धि होती है. इसलिए अगर उन्होंने कोई चैप्टर पूरा कर लिया है या ये आपने जो टास्क दिया था, वो पूरा कर लिया है, तो उसे प्रोत्साहन जरूर दें। शाबाशी दिल खोलकर दें। घरवालों के बीच तारीफ करें। उसकी पसंद की डिश बनाएं। बीच-बीच में छोटे-छोटे गिफ्ट इनाम के तौर पर दें। हमेशा इनाम न दें, शाबाशी भी ठीक रहेगी, क्योंकि बच्चों को इनाम की आदत लग जायेगी तो आपको वह इनाम के लिए जिद न करने लग जाये।