बच्चों को जितना जल्दी हो सके, सिखाएं ‘गुड टच-बैड टच’

बच्चों को जितना जल्दी हो सके, सिखाएं ‘गुड टच-बैड टच’

एक जमाना था, जब बच्चे कब बड़े हो जाते थे, पता ही नहीं चलता था। कभी इस पड़ोसी के यहां खाना खा लिया, कभी उस दोस्त के यहां। कभी फलां चाचा के साथ पार्क घूमने चले गये, तो कभी किसी के दादाजी साथ मेला दिखाने ले गये। कोई किसी पर शक नहीं करता था। बच्चे भी खुद को सुरक्षित महसूस करते थे, लेकिन अब जमाना ऐसा नहीं रहा है। अखबार, टीवी की खबरें हम पढ़-देख रहे हैं। क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया जैसे असल जिंदगी व घटनाओं पर आधारित सीरियल देख रहे हैं। इन सब की वजह से हम जानते हैं कि जमाना इतना खराब हो गया है कि अब बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए बेहतर है कि उनका ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखा जाये। इतना ही नहीं, ये भी जरूरी हो गया है कि बच्चों को भी जितनी जल्दी हो सके, ‘गुड टच और बैड टच’ की जानकारी दी जाये ताकि वे ‘चाइल्ड अब्यूज’ से बच सकें। बच्चे जितनी जल्दी ये सीख लेंगे, उनकी सुरक्षा के लिए बेहतर है।

किस उम्र में सिखाना शुरू करें

तीन साल की उम्र से ही आप उन्हें सिखाना शुरू कर दें, क्योंकि इस उम्र में वो बात करने लगते हैं। हम कुछ करने को कहें, तो करने लगते हैं। ऐसे में उन्हें बताएं कि कपड़े पहनना जरूरी है। बिना कपड़ों के सब शेम-शेम बोलते हैं। उन्हें सिखाएं कि मम्मी-पापा के अलावा कोई आपको न नहलाएं। साथ ही शरीर के किन हिस्सों को किसी को भी टच करने नहीं देना है।

सरल भाषा में कैसे बताएं गुड टच और बैड टच?

अगर कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है तो यह गुड टच है। जैसे मम्मी-पापा, दीदी, दादी के छूने से अच्छा फील होता है। इसके अलावा जब कोई व्यक्ति आपको इस तरह छूता है कि आपको बुरा लगता है। यह बैड टच होता है। इसके साथ ही अगर कोई अनजान व्यक्ति आपके प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करता है तो यह भी बैड टच है। और अगर कोई व्यक्ति, भले ही हम सब उसे जानते हैं, आपको इस तरह से छूता है कि आपको बुरा लगता है और वो आपको इसके बारे में किसी से ना बताने के लिए कहता है, यह बैड टच है।

बैड टच फील होने पर बच्चे क्या करें

बच्चों को ये जरूर बताएं कि जब कभी आपको लगे कि कोई बैड टच कर रहा है, तो उन्हें क्या करना चाहिए। अगर स्कूल में कोई करे, तो जोर से चिल्लाएं हेल्प। फिर तुरंत किसी टीचर के पास जाएं। अगर कोई टीचर करे, तो दूसरे टीचर के पास भागकर जाएं या प्रिंसिपल के पास जाएं। अॉटो, बस, लिफ्ट कहीं भी बैड टच हो जोर-जोर से चिल्लाएं। मदद के लिए बुलाएं। मम्मी-पापा को बताएं। भले ही सामने वाले ने आपको किसी को न बताने को कहा हो। सीक्रेट रखने को कहा हो। चॉकलेट या खिलौने दिलाने का वादा किया हो। किसी तरह से डराया हो। मारने की धमकी दी हो। आपको हमें बताना ही है। वो हमारे फ्रेंड होंगे, रिश्तेदार होंगे, तो भी आपको बताना है। हमारे लिए आप सबसे ज्यादा जरूरी हो। हम आपकी बात पर जरूर यकीन करेंगे। आपको सेफ रखेंगे।

माता-पिता अपनी झिझक खत्म कर बात करें

किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों से ऐसे विषय पर बात करना आसान नहीं होता। झिझक होती है। बच्चे सवाल पूछते हैं। कई माता-पिता इन बातों की वजह से ही उन्हें समझाना टालते रहते हैं। सोचते हैं कि वे बड़े होंगे तो खुद समझ जायेंगे। लेकिन अब समय आ गया है कि माता-पिता अपनी झिझक खत्म करें। बच्चों की सुरक्षा के लिए ये जरूरी है। शुरुआत में थोड़ी झिझक होती है, लेकिन संयम और नियंत्रित भाषा के जरिए इसे आसानी से समझाया जा सकता है।

पैरेंट्स बच्चों की परवरिश कैसे करें

हर पैरेंट को चाहिए कि बच्चों से दोस्त की तरह बात करें। उनकी बातों को गौर से सुनें। उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि वे आपको हर चीज बताएं। कुछ भी न छुपाएं। आपसे हर विषय पर खुल कर, बिना डांट के डर से बात कर सकें। इसके साथ ही बच्चों से हमेशा पूछते रहें कि स्कूल में आज क्या हुआ? किसने उससे क्या कहा? क्या उसे कोई बात स्कूल में अच्छी नहीं लगती? एक बात हमेशा याद रखें, बच्चे जब भी अपनी कोई बात आपसे शेयर करें, तो भले ही उनकी गलती हो, आप उन पर चिल्लाएं नहीं। वरना अगली बार से वो आपको कोई भी बात नहीं बतायेंगे।

*पैरेंट्स के लिए कुछ जरूरी बातें

  • दो साल से बड़े बच्चों के सामने कपड़े न बदलें।
  • उन्हें किसी भी पुरुष की गोद में बैठने न दें।
  • बच्चों को ऐसी जगह ही खेलने जाने दें, जहां आप उन्हें जब चाहे, देख सकते हैं।
  • बच्चे कौन-सा कार्टून देख रहे हैं, इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं, इन पर नजर रखें।
  • अगर बच्चा किसी खास व्यक्ति के पास जाना पसंद नहीं करता, तो उसे जबरदस्ती न करें। वजह जानने की कोशिश करें।
  • किसी भी करीबी रिश्तेदार या दोस्त पर इतना भरोसा न करें कि बच्चे को उसके पास अकेला छोड़ दें।
  • जब भी बच्चा किसी की शिकायत बैड टच को लेकर करे तो चुप न बैठें। तुरंत एक्शन लें।
  • बच्चे कमरे में दोस्तों के साथ खेल रहे हों, तो भी देखें कि वो क्या गेम खेल रहे हैं। कहीं वो पति-पत्नी बनने की एक्टिंग तो नहीं कर रहे? डॉक्टर पेशंट बनकर शरीर की जांच तो नहीं कर रहे?
  • अगर आपका हंसता-खेलता, मस्ती करने वाला, पढ़ने वाला बच्चा अचानक गुमसुम रहने लगे। तो सतर्क हो जाएं।

एक नजर में सारी जानकारी

  • 3 साल की उम्र से गुड और बैड टच के बारे में बताना शुरू कर दें।
  • उन्हें बताएं कि मम्मी-पापा के अलावा किसी के सामने कपड़े नहीं उतारना।
  • उन्हें बताएं कि उनके प्राइवेट पार्ट्स उनके अलावा और कोई नहीं छू सकता।
  • अगर आपको किसी का गोद में बिठाना, गालों पर किस करना, गले लगाना पसंद नहीं है, तो हमें बताओ और उस इंसान के पास मत जाओ।
  • डॉक्टर भी आपको तभी छू सकते हैं, जब मम्मी-पापा साथ हों।
  • कोई आपके पापा-मम्मी या घरवालों के कितने भी करीबी दोस्त या रिश्तेदार क्यों न हों, वो आपको गलत तरीके से नहीं छू सकते।
  • आप भी कभी भी किसी और के प्राइवेट पार्ट्स छूना नहीं। ये गलत है। कोई बोले, तो भी नहीं करना चाहिए। कोई ऐसा करने को कहे, तो भी मम्मी-पापा को बताना है।