बच्चे को जीनियस बनाना चाहते हैं तो ये 6 काम जरूर करें

बच्चे को जीनियस बनाना चाहते हैं तो ये 6 काम जरूर करें

हर बच्चा खास होता है। बड़ा होकर कोई पढ़ाई में अच्छा करता है, कोई स्पोर्ट्स में, तो कोई आर्ट में। हमें बस कोशिश करनी चाहिए कि शुरुआत से ही उसे वह सारी चीजें उपलब्ध कराएं जो उसे विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचाई तक पहुंचने में मदद करेगी। वैसे सभी पैरेंट्स को लगता है कि वे बच्चे के लिए सबकुछ कर रहे हैं, फिर आखिर कहां कमी रह गयी कि बच्चा अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा।

अगर आप भी ऐसी ही बातों को लेकर परेशान रहते हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं कि वे कौन-सी बातें हैं, जो बच्चे के दिमाग को तेज बनाती हैं, उसे ऊंचाई को छूने में मददगार साबित होती हैं। आपको इन सभी बातों को फॉलो करना होगा।

1. बच्चे के हर सवाल का जवाब दें

बच्चे जब बोलना सीखते हैं, तो वे तरह-तरह के सवाल पूछना शुरू कर देते हैं। हर चीज को जानने-समझने की उनमें बहुत जिज्ञासा होती है। शुरुआत में तो पैरेंट्स खुशी-खुशी उन्हें चीजें समझाते भी हैं, लेकिन कुछ समय बाद वे बोर हो जाते हैं। बच्चा कुछ पूछता है, तो उसे डांट देते कि अभी काम है, बाद में आना। जाओ अभी खेलो। ये सब जानने की तुम्हारी अभी उम्र नहीं है। जब बड़े होगे तो अपने आप समझ जाओगे। स्कूल में तुम्हें ये सब सिखायेंगे ही, अभी से सीखने की जरूरत नहीं… वगैरह.. वगैरह..। हम इस तरह के कारण देते हैं और उन्हें चुप करा देते हैं। यहीं पर हम गलती करते हैं। कई मामलों में हमें सच में ये लगता है कि अभी ये बच्चे हैं, ये नहीं समझेंगे। हमें इस बात को दिमाग से निकाल देना है कि वे बच्चे हैं।

हमें समझना होगा कि बच्चों का दिमाग काफी तेज होता है। वह खाली स्लेट की तरह होते हैं। वे हर चीज जल्दी सीखते हैं। उदाहरण के तौर पर मोबाइल, इंटरनेट, यूट्यूब चलाना ही देख लें। ऐसे में अगर हम उन्हें सरल भाषा में उस सवाल का जवाब दे देंगे, तो वे उसे अभी से ही जान लेंगे। स्कूल में भी वे बच्चों से दो कदम आगे रहेंगे, जो उसके लिए अच्छा है। बच्चा जितने सवाल पूछता है, उतना अच्छा है और आप जितने सवालों का जवाब देते हैं, उतना बच्चे के लिए बेस्ट है। इसलिए बच्चों को कभी भी चुप न कराएं। कठिन सवालों का जवाब खोजकर बच्चों को समझाएं। आप पायेंगे कि आपका बच्चा ब्रिलियंट है।

2. बच्चे को खेलते हुए सीखने दें

पैरेंट्स को लगता है कि बच्चा जब टेबल-कुर्सी पर बैठते है, सीरियस होकर बैठता है, तभी पढ़ता है। ऐसा नहीं है। बच्चे हर वक्त कुछ न कुछ सीख रहे होते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को वो काम करते हुए ही पढ़ाएं, जो वो करना चाहते हैं। अगर वे झूला झूलते हुए पढ़ने को तैयार हैं, तो उन्हें वैसे पढ़ाएं। खेल-खेल में पढ़ाई कराना सीखाएं। इस तरह उन्हें पढ़ाई का दबाव महसूस नहीं होगा। बोरियत नहीं होगी। वे पढ़ाई से दूर नहीं भागेंगे। बच्चे अक्सर पढ़ने से इसलिए भी दूर भागते हैं, क्योंकि पैरेंट्स उन्हें एक जगह बैठाकर सीरीयस होकर पढ़ने का दबाव बनाते हैं। उन्हें बीच-बीच में डांटते रहते हैं।

पैरेंट्स को इस मामले में विदेशों की पढ़ाई की टेक्निक देखनी व सीखनी चाहिए। वहां बच्चों को पढ़ाई में क्रिएटिव तरीके से कराई जाती है। वैसे इंडिया के स्कूलों में अभी ऐसे पढ़ाई नहीं होती, लेकिन कम से कम आप घर पर तो ऐसा करने की कोशिश कर ही सकते हैं। एजुकेशनल गेम्स ला सकते हैं।

आप बस इतना याद रखें कि बच्चे को वो काम करते हुए ही पढ़ाएं, जिसमें उसे मजा आता है। देखिए फिर वो पढ़ाई से दूर नहीं भागेगा।

3. दूसरे बच्चों से तुलना न करें

कोई बच्चा मैथ्स से ज्यादा नंबर ले आता है, तो हम बच्चे को डांटने लगते हैं कि उसके मैथ्स में इतने नंबर आये, तुम्हारे क्यों नहीं आये? हम ये नहीं देखते कि हमारे बच्चे के इंगलिश में नंबर उस बच्चे से ज्यादा आये हैं। हमें अपने बच्चे की दिल खोलकर तारीफ करना सीखना होगा। बाद में भले ही आप धीरे से उसे समझा सकते हैं कि इंगलिश तो तुम्हारा बेस्ट है ही, मैथ्स पर भी फोकस करोगे तो और अच्छा हो जायेगा। याद रखें कि आपको ये किसी से तुलना करते हुए नहीं कहना है।

कई बार पैरेंट्स बच्चों की हद से ज्यादा तारीफ करके भी उन्हें ओवर कॉन्फीडेंट बना देते हैं। ऐसी गलती न करें वरना बच्चा खुद पर घमंड करने लगेगा।

4. बच्चों को कभी भी भला-बुरा न कहें

कई बार पैरेंट्स गुस्से में आकर, बच्चे की हरकतों से दुखी होकर बच्चों को भला-बुरा कहने लगते हैं। वे कहते हैं- मैं तो परेशान हो गयी तुमसे.. तुम्हारे जितना बुरा बच्चा किसी का नहीं होगा... तुम इतने बड़े गधे हो कि तुम्हें ये भी नहीं आता.. भगवान बचाये ऐसी औलाद से.. कौन से जनम के पाप किये थे कि ऐसा बच्चा मिला… और न जाने क्या-क्या। पैरेंट्स गुस्से में बोलकर ये सब भूल जाते हैं, लेकिन बच्चे के दिमाग में ये डायलॉग हमेशा के लिए स्टोर हो जाते हैं। वे यकीन कर लेते हैं कि पैरेंट्स उन्हें प्यार नहीं करते, उनसे नफरत करते हैं, उन्हें बच्चे के रूप में पाकर वे दुखी हैं। वे ये नहीं समझते कि पैरेंट्स उनसे बहुत प्यार करते हैं। गुस्से में आकर, बच्चों को डांटने के लिए उन्होंने ये सब कहा।

इसलिए पैरेंट्स, प्लीज बच्चों को इस तरह कभी भी न डांटें। अपने शब्दों पर गौर करें। कहीं आपके शब्द बच्चों के मासूम दिल को छलनी न कर दें। वे हमेशा के लिए आपसे दूर न हो जाएं। इन बातों का असर उनके दिमाग पर, उनकी पढ़ाई पर भी होगा।

5. बच्चे को शाबाशी जरूर दें

बच्चा जब भी कुछ अच्छा करे, उसे शाबाशी दें। उससे कहे कि वह बहुत अच्छा कर रहा है। वह सबसे बेस्ट है। उसमें कोई कमी नहीं है। वह एक बार जो ठान लें, वो कर सकता है। ऐसा करने से बच्चे का कॉन्फीडेंस बढ़ेगा।

बच्चे को उपलब्धि मिलने पर कोई प्राइज दें। स्कूल की तरफ से ट्रॉफी मिलने का इंतजार न करें। खुद ट्रॉफीज दें, भले ही बच्चा क्लास में 10वें नंबर पर ही क्यों न आये। उसकी पॉजीटिव बातों की तारीफ कर, उस खूबी के लिए ट्रॉफी दें। जब बच्चा घर में ट्रॉफी पायेगा तो धीरे-धीरे वह बाहर भी ट्रॉफी पाने के लिए मेहनत करेगा। उसे यकीन होगा कि वह सच में काबिल है। पैरेंट्स उससे बहुत प्यार करते हैं

6. बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करें

पैरेंट्स के पास बच्चों के लिए टाइम नहीं होता। वे बच्चे को बिजी रखने के लिए मोबाइल दे देते हैं। टीवी चला देते हैं और अपने काम में लग जाते हैं। ऐसी गलती न करें। बच्चे को ज्यादा से ज्यादा टाइम दें। उससे बात करें। उसके विचार जानें। उससे आस-पड़ोस की बात करें। उससे विभिन्न मुद्दों पर बात करें। क्वीज गेम्स खेलें। उसका जनरल नॉलेज बढ़ाएं। बच्चों को कोर्स के अलावा दूसरी बुक्स लाकर दें। बुक पढ़ना खुद शुरू करें, ताकि आपको देखकर बच्चे भी पढ़ें। उन्हें गिफ्ट्स में बुक्स भी दिया करें। बस किसी बुक को पढ़ने का दबाव न बनाएं। उन्हें खुद रुचि हो, ऐसा माहोल बनाएं।