बच्चा खाना नहीं खाता तो यह 8 उपाय अपनाएं

बच्चा खाना नहीं खाता तो यह 8 उपाय अपनाएं

क्या आपका बच्चा भी खाना खाने में करता है आनाकानी?

ये हम सभी जानते हैं कि जब बच्चा छह महीने का हो जाएं तो उसे दूध के अलावा दूसरी चीजें खिलाना शुरू कर सकते हैं। हम सभी इसे फॉलो भी करते हैं। दाल का पानी, फलों का रस वगरैह देते हैं। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता जाता है तो पलती खिचड़ी, फलों का पीसकर बनाया पेस्ट देते हैं।

दांत आ जाये तो रोटी में घी लगाकर देते हैं। फिर दो से तीन साल की उम्र के बाद बच्चा बड़ों की तरह सब कुछ खाने लगता है। सभी परिवारों में यह सब होता है। कुछ बच्चे इन सारी चीजों को बड़ी आसानी से खाने-पीने लग जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे पैरेंट्स को बहुत तंग करते हैं।

अगर आप भी बच्चे के खाना न खाने की आदत के कारण परेशान हैं, तो यही समय है हालात काबू में करने का, वरना बहुत देर हो जायेगी। ऐसा न हो कि बच्चे को सिर्फ बिस्किट, चिप्स, फिंगर्स की आदत लग जाये और उसकी सेहत ही न बने।

1. हार न मानें, कोशिश करते रहे

कई बच्चे खाना देखते ही भाग जाते हैं, रोने लगते हैं, मुंह ही नहीं खोलते। फिर पैरेंट्स थक-हारकर उन्हें उनकी मनपसंद चीज दे देते हैं, ये सोचकर कि कम से कम पेट तो भरेगा। यहीं हम गलती करते हैं। हमें हार मानकर ऐसी चीज नहीं देनी है, जो उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं।

हम खाने की हेल्दी चीजों में ही दूसरा ऑप्शन उन्हें दे सकते हैं और जो चीज बच्चे ने आज नहीं खायी है, जरूरी नहीं कि वह कल भी नहीं खायेगा। आपको बार-बार कोशिश करनी होगी। उस चीज को बनाने में बदलाव करके भी कोशिश करें। हो सकता है कि तब बच्चा वो चीज खा लें। कुल मिलाकर आपको हार नहीं माननी है।

2. खाने को मजेदार तरीके से सजाएं

कई बच्चे बड़ों की तरह बहुत जल्दी सब्जी रोटी खाना शुरू कर देते हैं, लेकिन कुछ सब्जी की बनावट, टेस्ट, उसका रंग देख घबरा जाते हैं। उन्हें देखने में वो चीज अजीब लगती है, तो खाना ही नहीं खाते। ऐसे में बच्चों को हरी सब्जियों का पराठा बना कर खिलाएं। हर चीज का पराठा बनाना शुरू करें। बच्चे पराठे आसानी से खा लेते हैं।।

कभी भी एक-दो बार कोई चीज खिलाने की कोशिश करके बनाना बंद न करें। लगातार कोशिश करें, क्योंकि हो सकता है कि जब आपने कोशिश की थी, उस वक्त बच्चा इतना भूखा नहीं था, या उसका मन उस वक्त खेलने में लगा था इसलिए लगातार कोशिश करें। यूट्यूब से बच्चों के लिए मजेदार रेसीपी सीखें। खाने को आकर्षक तरीके से सजाएं। पराठे पर जैम से स्माइली बनाएं। फ्रूट सलाद से चित्र बनाएं।

3. बेवक्त कभी भी, कुछ भी न खिलाएं

रोजाना बच्चे को अलग-अलग समय में खाना ना खिलाएं। खाने की एक्टिविटी को रूटीन में शामिल करें। जब आप रोज एक ही रूटीन फॉलो करेंगे तो बच्चे को भी पता होगा कि उठने के बाद नाश्ता मिलता है फिर थोड़ी देर खेलते हैं, फिर नहाते हैं फिर खाना खाते हैं फिर सोते हैं। शाम को नाश्ता करते हैं फिर घूमने जाते हैं फिर डिनर करते हैं। इस तरह हर एक्टिविटी का क्रम तय करें। उसमें बदलाव न करें। इस तरह जैसे ही बच्चा नहा लेगा वह खुद खाना मांगेगा।

4. टेबल-कुर्सी पर बिठाएं, स्पेशल प्लेट, चम्मच हो

खाने में जिन-जिन चीजों का इस्तेमाल होता है, उन्हें अरेंज करें। बच्चे के लिए खाने की हाई चेयर खरीद लें या छोटा-सा टेबल-कुर्सी रखें। यानी कुल मिलाकर उसे तरीके से एक जगह बैठकर खाना खाने की आदत डालें। भागते-भागते खाने से गले में खाना फंसने का डर होता है। ये तरीका न बच्चों के लिए ठीक है और न पैरेंट्स के लिए।

टेबल में बैठकर खाने से बच्चा टेबल मैनर्स सीखता है। बच्चे को खाने में मजा आये, उसके लिए आप बच्चे के लिए स्पेशल, प्लेट, कटोरी, चम्मच खरीदें, जो छोटे हो, जिनमें फनी चित्र बने हो। बच्चों को इन चीजों से खाने में ज्यादा मजा आयेगा। ऐसे में अपने लिए खाने की टेबल सजी देख वह खुद कुर्सी में बैठ जायेगा कि खाने का टाइम हो गया।

5. खाते वक्त टीवी, मोबाइल से रखें दूर

बच्चों को खाते वक्त हाथ में मोबाइल न दें। ना ही टीवी चलाएं। बच्चों से बातें करें। उन्हें जानवारों की आवाजें निकालकार सुनाएं। कलर्स के नाम बताएं। अजीब-अजीब चेहरे बनाकर मन बहलाएं। नर्सरी पोयम बोलें। कुछ भी करें, लेकिन मोबाइल व टीवी से दूर रखें। इनकी वजह से बच्चे खो से जाते हैं। ऐसे में उनका ध्यान नहीं रहता कि उन्हें क्या खिलाया जा रहा है। इस तरह वे खाना खाने की प्रोसेस को समझ नहीं पाते। खाने से जुड़ नहीं पाते। खाने में क्या चीज है, उसका नाम नहीं जान पाते।

6. खाने के बीच में गैप रखें

कई पैरेंट्स एकदम घड़ी के हिसाब से चलते हैं। जैसे ही बच्चा कोई चीज खाता है और उसे खाये 2 घंटे हो जाते हैं, तो वे दूसरी चीज लेकर उसे खिलाने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे में बच्चा जब वह नहीं खाता, तो परेशान हो जाते हैं, जबरदस्ती करते हैं। पैरेंट्स को समझना होगा कि बच्चे को टाइम के हिसाब से नहीं जरूरत के हिसाब से खाना देना चाहिए

कई बार बच्चे बहुत ज्यादा एक्टिविटी करते हैं तो उन्हें जल्दी भूख लग जाती है और कई बार बच्चे आराम से बैठे रहते हैं, तो उन्हें जल्दी भूख नहीं लगती। जैसे हम बड़े कभी-कभी चार रोटी खा लेते हैं, लेकिन कभी एक रोटी में ही पेट भरा-भरा सा लगता है। ठीक वैसे ही बच्चों का भी है। आपको तब तक परेशान होने की जरूरत नहीं, जब तक बच्चे का वजन उसकी उम्र के मुताबिक है। वजन जब हद से ज्यादा कम हो, तब डॉक्टर को दिखाएं।

7. खाने का सेकेंड ऑप्शन तैयार रखें

कई बार हम दिमाग में तय कर लेते हैं कि आज बच्चे को ये चीज खिलाना है, लेकिन बच्चे का मूड वो खाने का नहीं होता। ऐसे में मम्मियां दुखी हो जाती हैं कि मैंने इतनी मेहनत से ये चीज बनायी और बच्चा खा नहीं रहा। वे बच्चे को जबरदस्ती करती हैं या गुस्से में जो बच्चे को चाहिए वो दे देती हैं, जैसे बिस्किट, चिप्स।

मम्मियों को चाहिए कि बच्चों के लिए खाना बनाते वक्त दो ऑप्शन रखें। माना कि इसमें मेहमत थोड़ी बढ़ जाती है, लेकिन शुरुआत के कुछ महीने ऐसा करना जरूरी है ताकि बच्चा भूखा न रह जाएं या अनहेल्दी चीजें न खाएं। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चा दाल-चावल नहीं खा रहा तो दूध-केला का मिक्सचर बना लें। चीला बना कर दे दें। ऐसे ऑप्शन रखें।

8. सही खाना सही उम्र में देना शुरू करें

बच्चे को हर खाना इन्ट्रोड्यूस कराने की एक उम्र होती है। अगर वक्त के पहले उसे उस चीज को खाने दे दिया, तो भी वह उस चीज से नफरत कर सकता है। यानी सही खाना सही उम्र पर देना शुरू करें। अगर आपने सोचा कि दांत आ गये हैं तो अभी रोटी सब्जी देना शुरू कर देना चाहिए, तो ये गलत होगा।

बच्चे को पहले नॉर्मल रोटी खिलाना सिखाएं। फिर सब्जी पराठे के रूप में उसमें शामिल करें। जब बच्चा बदला हुआ टेस्ट भी खाने लगे, तब आप धीरे-धीरे अलग से सब्जी इन्ट्रोड्यूस करें। कई पैरेंट्स एकदम से सब्जी रोटी खिलाने की कोशिश करते हैं, जिससे बच्चा घबरा जाता है। ऐसे में बच्चा उस खाने को देख इतना डर जाता कि प्लेट देख कर ही रोने लगता है।

कोशिश करें कि बच्चों को खाने के लिए प्रोत्साहित करें, जबरदस्ती न करें