अपनों को जरूर बताएं अपनी परेशानी

अपनों को जरूर बताएं अपनी परेशानी

परेशानी छिपाना समझदारी नहीं, बेवकूफी है

इन दिनों महिलाओं का फेवरेट सीरियल अनुपमा है। बस इस सीरियल में कुछ बातें खटकती हैं, जो भले ही सीरियल मेकर्स के लिए सही हो क्योंकि उन्हें ड्रामा क्रिएट करना है, लेकिन असल जिंदगी में अगर कोई ऐसा करे तो मुर्खता ही होगी। यहां बात हो रही है पति के अफेयर को छुपाने की। जी हां, अनुपमा को जब पता चलता है कि उसके पति का उसकी कुलिग के साथ अफेयर है तो वह उस बात को अपने तक ही सीमित रखती है। सब दुख अकेले सहन करती है। वह सोचती है कि सास-ससुर को दुख होगा, ससुर हार्ट पेशेंट हैं, उन्हें कुछ हो गया तो? बच्चे कैसा महसूस करेंगे… वगैरह… वगैरह।

आखिरकार जब सीरियल की विलेन मिसेज दवे, वनराज का यह राज सबके सामने तमाशा बनाकर खोल देती है, तो अनुपमा के सास-ससुर मजबूती से इस परिस्थिति का सामना करते हैं। इस पूरे ड्रामा को देख यही महसूस होता है कि बेहतर तो यही होता कि अनुपमा खुद घरवालों को सब बता देती, तो इतना तमाशा नहीं होता।

किसी करीबी को अपना दुख जरूर बताएं

दोस्तों, जब भी कभी डिप्रेशन की बात आती है, सुसाइड जैसे केस सामने आते हैं, तो यह चर्चा जरूर होती है कि हर किसी के पास ऐसा कोई दोस्त, रिश्तेदार होना ही चाहिए, जिससे दुखी इंसान बात कर सके। हम सभी इस बात को समझते हैं, मानते भी हैं, लेकिन जब असल जिंदगी में हमारे साथ ऐसी कोई बात होती है, जिससे हम परेशान रहते हैं, तो हम उस बात को छिपा लेते हैं।

हम क्यों छिपाते हैं परेशानी?

हम सभी के पास घर में, रिश्तेदारों में, दोस्तों में ऐसे कुछ लोग जरूर होते हैं, जो दिल के करीब होते हैं, जिन्हें सच में हमारी परवाह होती है, जिनसे अपना दुख बांटकर हम हल्का कर सकते हैं, परेशानी का हल भी निकाल सकते हैं, लेकिन हम उन्हें अपनी परेशानी नहीं बताते कि कहीं हमारी परेशानी सुनकर वो परेशान न हो जाएं। वो इतनी ज्यादा चिंता न करने लगे कि उन्हें कोई सदमा लग जाये और भगवान न करें, उन्हें कुछ हो गया तो क्या होगा?

इस डर को हम अपने अंदर इतना हावी कर लेते हैं कि दुख सालों-साल सहन करते जाते हैं और जब वह छोटा-सा घाव बड़ी बीमारी बन कर सबके सामने आ जाता है और उस परेशानी का हल भी जैसे-तैसे निकल जाता है, तो हम पछताते हैं कि काश, पहले ही यह सब इन्हें बता दिया होता, तो इतना सब सहन नहीं करना पड़ता। इतने साल यूं ही बर्बाद कर दिये।

किस तरह की बातें छिपाते हैं लोग?

अक्सर पति अपनी पत्नी के और पत्नी अपने पति के अफेयर की खबर छिपाती है। उन्हें लगता है कि इस पर खुलकर बात की, परिवारवालों को यह बात पता चली तो मामला बिगड़ जायेगा। बच्चे क्या सोचेंगे? मम्मी-पापा को सदमा लगेगा, उन्हें कुछ हो न जाये। अगर मामला सबके सामने आ गया और तलाक लेना पड़ा तो समाज के लोग हंसी उड़ायेंगे।

इसके अलावा कई बार लोग अपनी गंभीर बीमारी को छिपाते हैं। उन्हें लगता है कि इस बीमारी से हम तो जूझ ही रहे हैं, अपने घरवालों को बता कर उन्हें क्यों दुखी करें। ऐसा सोचकर वो बीमारी का पूरा तनाव अकेले ही झेलते हैं। उन्हें लगता है कि वे ठीक हो जायेंगे, तब सबको बता देंगे, लेकिन वो यह नहीं सोचते कि अगर अभी बता देंगे तो उन्हें परिवारवालों का सपोर्ट मिलेगा, जिससे उन्हें भी बीमारी से लड़ने की हिम्मत मिलेगी।

कई बार पति-पत्नी अपने बीच संबंध मधुर न होने के बावजूद सभी के सामने हैप्पी कपल होने का दिखावा करते हैं। ये सब भी वे अपने माता-पिता की खातिर करते हैं। समाज के डर के कारण करते हैं। वे सोचते हैं कि शायद कुछ सालों में सब ठीक हो जायेगा। वे अकेले में लड़ते-झगड़ते हैं। अलग-अलग सोते हैं, ठीक से बैठकर बात तक नहीं करते। बस कोई बाहर का आ जाये, तो दिखावा करते हैं कि वे दोनों कितने खुश है। अगर वे अपनी समस्या किसी बड़े को बताएं तो उनकी काउंसलिंग हो सकती है। वे किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर रिश्तों को सुधार सकते हैं। आपस में नहीं बनती तो अलग होकर अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सकते हैं।

अपनों को समस्या बतायेंगे तो होगा फायदा

जब आप अपनी परेशानी अपने करीबी को बताते हैं तो इससे कई फायदे होते हैं। सबसे पहला फायदा यही है कि आपका दिल हल्का हो जाता है। आपके पास उस परेशानी को लेकर बात करने के लिए कोई होता है, जिससे बात करके आपको बेहतर महसूस होता है। इसके अलावा पहले आप अकेले समस्या का हल खोज रहे थे, अब आपके साथ एक और दिमाग हल खोजने में जुटा है, इससे मदद ही मिलेगी।

एक बात यह भी है कि जब आप अपने सभी करीबी लोगों को वह समस्या बता देते हैं, तो सभी का दिमाग एकजुट हो जाता है और हल जरूर निकल जाता है। इसलिए इस पर विचार करें।

माता-पिता आपसे भी ज्यादा स्ट्रॉन्ग हैं

अक्सर बच्चे अपनी परेशानी माता-पिता से छिपाते हैं। उन्हें लगता है कि अगर माता-पिता को पता चलेगा, तो उन्हें हार्ट अटैक आ जायेगा। वे काफी बुजुर्ग है, डायबिटीज के पेशेंट हैं। सहन नही कर पायेंगे। टूट जायेंगे। वे वैसे ही फलां बच्चे की समस्या से दुखी हैं, मेरी समस्या सुनेंगे तो उनका क्या होगा? वगैरह.. वगैरह... वे भूल जाते हैं कि वे उनके माता-पिता है। उन्होंने बहुत दुनिया देखी है और वे काफी मजबूत है। एक बार आप उन्हें शांति से बैठकर अपनी समस्या बता कर तो देखें। आपको भी यकीन हो जायेगा कि आप कितने गलत थे।

लोगों का काम है कहना

कभी भी इस डर से अपनी समस्या न छिपाये कि लोग क्या कहेंगे? हंसी उड़ेगी। लोग पीठ पीछे बातें करेंगे। रिश्तेदार ताना मारेंगे। दोस्त मजाक उठायेंगे। सबकी निगाहें बदल जायेगी। वगैरह.. वगैरह…। याद रहे कि ये जिंदगी आपकी है। ये जीवन सिर्फ एक बार मिलता है, इसलिए इसे दुख, परेशानी में किसी मजबूरीवश जीने की जरूरत नहीं है।

आपको भी खुश रहने का हक है। लोग कुछ दिन बात करेंगे, कुछ महीने बात करेंगे, लेकिन अंत में सब भूल जायेंगे। और अगर कभी नहीं भी भूले तो इससे आपको क्या फर्क पड़ता है? ये उनकी सोच है। आप खुश रहें, ये सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

किसी भी समस्या का हल सुसाइड नहीं

एक बात अंत में यही कि किसी भी समस्या का हल जान देना नहीं हो सकता। दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका हल न निकल सके। ऐसी कोई बात नहीं, जो लोग कुछ सालों में भूल न सकें। इंसान की बड़ी से बड़ी गलती भी समय के साथ भुला दी जाती है। हर घाव भर जाता है। जीवन चलता रहता है।

जो समस्या आज आपको जान देने जितनी बड़ी लग रही हैं, वह कुछ सालों बाद इतनी छोटी लगेगी कि आपको खुद पर हंसी आयेगी कि आप इतनी-सी बात पर जान देने जा रहे थे। इसलिए समस्या का हल निकालने की कोशिश करें, अपनों के साथ बैठकर। जान देने का कभी न सोचें।